सिंह, चूहा और बिल्ली : हितोपदेश | A Lion, A Mouse And A Cat Hitopadesha Story In Hindi

फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम सिंह, चूहा और बिल्ली की कहानी (A Lion A Mouse And A Cat Hitopadesha Tale In Hindi) शेयर कर रहे हैं. ये कहानी हितोपदेश से ली गई है.  Sher Or Chuhe Or Billi Ki Kahani अपनी उपयोगिता बनाये रखने के बारे में हैं, क्योंकि लोगों के बीच महत्त्व तब तक रहता है, जब तक उपयोगिता रहती है. उपयोगिता न रह जाने पर तिरस्कार के सिवाय कुछ नहीं रह पाता. पढ़िए पूरी कहानी : 

A Lion A Mouse And A Cat Story In Hindi 

A Lion, A Mouse And A Cat Hitopadesha Story In Hindi
A Lion, A Mouse And A Cat Hitopadesha Story In Hindi

बहुत समय पहले की बात है. दुर्दांत नाम का एक बलिष्ट सिंह अर्बुदशिखर नामक पर्वत की गुफ़ा में निवास करता था. प्रतिदिन वह शिकार हेतु वन में जाता और वापस गुफ़ा में आकर विश्राम किया करता था. एक दिन कहीं से एक चूहा उस गुफा में आ गया धमका और बिल बनाकर रहने लगा.

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जब भी सिंह विश्राम कर रहा होता, चूहा बिल से निकलता और सिंह के केशों को कुतर जाता. जागने के उपरांत सिंह की जब अपने कुतरे हुए केशों पर दृष्टि जाती, तो वह क्रोध से आग-बबूला हो जाता. बलशाली होने के बावजूद भी उसका चूहे जैसे छोटे से जीव पर बस नहीं था. जब भी वह उसे पकड़ने के प्रयास करता, वह चपलता से अपने बिल में घुस जाता और सिंह क्रोधवश दांत पीसता रह जाता.

एक दिन सिंह ने सोचा कि इस छोटे से जीव पर अपनी ऊर्जा व्यर्थ करने का कोई औचित्य नहीं है. इसके विनाश के लिए इसका ही कोई परम शत्रु लाना चाहिए और वह गाँव जाकर बहला-फ़ुसलाकर एक बिल्ली ले आया.

प्रतिदिन सिंह बिल्ली के लिए ताज़ा मांस लाया करता और प्रेम से उसे खिलाता. बदले में बिल्ली (Cat) सिंह के विश्राम के समय चौकसी करती. बिल्ली की उपस्थिति में चूहा डर के मारे बिल में घुसा रहता. सिंह अब निश्चिंत होकर सोने लगा. बिल्ली रोज़ ताज़ा मांस प्राप्त कर हृष्ट-पुष्ट होने लगी.

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इधर चूहा (Mouse) बिला में घुसा-घुसा कमज़ोर हो चला था. सिंह के केश उसका आहार थे. आखिर, कब तक वह भूखे-प्यासे बिल में पड़ा रहता? एक दिन व्याकुल होकर वह अपने बिल से निकल ही गया.

सिंह उस समय विश्राम कर रहा था और बिल्ली पास ही बैठकर मांस का भक्षण कर रही थी. चूहा बिल्ली को चकमा देकर सिंह के पास जाने का प्रयास करने लगा, किंतु बिल्ली चपल थी. उसने चपलता से चूहे को अपने पंजे में दबोच लिया और मारकर खा गई.

बिल्ली प्रसन्न थी कि उसने अपने स्वामी की चिंता का सदा के लिए अंत कर दिया. उसे विश्वास था कि प्रसन्न होकर सिंह अवश्य उसे और स्वादिष्ट मांस लाकर देगा.

सिंह के जागने पर बिल्ली ने उसे चूहे को मार डालने की बात बता दी. सिंह की परेशानी का कारण समाप्त हो चुका था. वह बड़ा प्रसन्न हुआ. किंतु अब बिल्ली उसके किसी प्रयोजन की नहीं रही रही थी. उसने उसे भोजन देना बंद कर दिया. बिना भोजन के बिल्ली कमज़ोर होने लगी. उसे समझ में आ गया कि चूहे को मारकर उसने अपनी उपयोगिता समाप्त कर दी है. इसलिए सिंह उसकी उपेक्षा करने लगा लगा है. अंततः वह गुफ़ा छोड़कर चली गई.

सीख (Moral of the story)

प्रयोजन सिद्ध हो जाने के उपरांत पूछ-परख समाप्त हो जाती है. इसलिए अपनी उपयोगिता बनाये रखें.


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