Buddha Story In Hindi

अछूत की कहानी गौतम बुद्ध | Achhut Ki Kahani Gautam Buddha

अछूत की कहानी गौतम बुद्ध (Achhut Ki Kahani Gautam Buddha) गौतम बुद्ध की शिक्षाओं में करुणा, अहिंसा, और समानता का विशेष स्थान है। उनके समय में समाज विभिन्न जातियों और वर्गों में विभाजित था, जिसमें अछूतों की स्थिति सबसे दयनीय थी। अछूतों को समाज से बहिष्कृत और अपमानित किया जाता था। बुद्ध की दृष्टि में सभी मनुष्य समान थे, और उन्होंने अछूतों के साथ होने वाले भेदभाव का कड़ा विरोध किया। इस संबंध में एक अछूत, सुप्पिया की कहानी महत्वपूर्ण है, जो बुद्ध के समर्पित अनुयायी बने।

Achhut Ki Kahani

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Achhut Ki Kahani Gautam Buddha

सुप्पिया का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ था जिसे समाज “अछूत” मानता था। उनका काम मरे हुए जानवरों की खाल उतारना और शवों का निपटारा करना था। इस काम के कारण उन्हें हमेशा तिरस्कार और अपमान का सामना करना पड़ता था। लोग उन्हें देखकर घृणा करते थे और उनके आसपास भी आने से कतराते थे। सुप्पिया अपने जीवन से बहुत दुखी थे और उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि वे किस अपराध की सजा भुगत रहे हैं।

एक दिन, जब गौतम बुद्ध अपने शिष्यों के साथ मगध राज्य के एक गांव में आए, तो सुप्पिया ने सुना कि एक महान संत अपने उपदेशों से लोगों का जीवन बदल रहे हैं। उन्होंने भी बुद्ध से मिलने का निर्णय लिया, लेकिन यह जानते हुए कि उन्हें उनकी जाति के कारण प्रवेश नहीं मिलेगा, वे उदास हो गए। फिर भी, उनके मन में एक आशा जगी और वे बुद्ध के पास पहुंचे। जब वह बुद्ध के पास पहुंचे, तो बुद्ध ने उनसे पूछा, “तुम कौन हो और क्या चाहते हो?”

सुप्पिया ने उत्तर दिया, “भगवन, मैं एक अछूत हूं। मेरा जीवन दुःख और अपमान से भरा है। मैं जानना चाहता हूं कि मैं इस पीड़ा से कैसे मुक्त हो सकता हूं।”

बुद्ध ने उन्हें ध्यान से सुना और मुस्कुराते हुए कहा, “तुम्हारा जन्म किस जाति में हुआ, यह महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण यह है कि तुम कैसे जीते हो, क्या सोचते हो और क्या करते हो। सभी मनुष्य समान हैं, और प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्मों के आधार पर उन्नति या अवनति प्राप्त करता है। यदि तुम सत्य, अहिंसा, और करुणा का पालन करते हो, तो तुम किसी भी उच्च जाति के व्यक्ति से कम नहीं हो।”

बुद्ध के ये शब्द सुनकर सुप्पिया के मन में नया आत्मविश्वास और आशा का संचार हुआ। उन्होंने बुद्ध से दीक्षा लेने की इच्छा प्रकट की। बुद्ध ने उन्हें भिक्षु के रूप में स्वीकार किया और उन्हें संघ का सदस्य बना लिया। यह घटना उस समय की सामाजिक व्यवस्था के खिलाफ एक क्रांतिकारी कदम था। बुद्ध ने इस कदम के माध्यम से यह संदेश दिया कि धर्म और आध्यात्मिकता के मार्ग में जाति, वर्ग, और जन्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।

सुप्पिया ने बुद्ध के मार्गदर्शन में कठोर साधना की। वे संघ के अन्य भिक्षुओं की तरह नियमों का पालन करते थे और अपनी साधना में पूरी तरह से लीन रहते थे। बुद्ध ने उन्हें शिक्षा दी कि समस्त प्राणियों के प्रति करुणा और प्रेम का भाव रखना चाहिए और उनके दुःख को समझकर उनकी मदद करनी चाहिए। धीरे-धीरे सुप्पिया ने अपनी साधना में प्रगति की और अंततः उन्होंने निर्वाण प्राप्त किया। उनकी यह साधना और बुद्ध के प्रति समर्पण ने उन्हें समाज में एक उच्च स्थान दिलाया।

सुप्पिया की यह कहानी न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन की कहानी है, बल्कि यह उस समय के सामाजिक ढांचे में बुद्ध द्वारा लाए गए बदलावों की भी कहानी है। बुद्ध ने न केवल सुप्पिया को, बल्कि कई अन्य अछूतों और समाज के निचले वर्गों के लोगों को अपने संघ में स्थान दिया और उन्हें आध्यात्मिक मुक्ति का मार्ग दिखाया। बुद्ध ने समाज को यह सिखाया कि जन्म और जाति के आधार पर किसी को ऊंचा या नीचा नहीं समझना चाहिए।

बुद्ध के संघ में ऐसे कई उदाहरण थे, जहां उन्होंने अछूतों और समाज के निचले तबके के लोगों को सम्मान दिया और उन्हें अपने शिष्यों के रूप में स्वीकार किया। उनके संघ में जाति और वर्ग के भेदभाव का कोई स्थान नहीं था। बुद्ध ने समाज में समानता, भाईचारे और प्रेम का संदेश दिया, और यह बताया कि धर्म और आध्यात्मिकता सभी के लिए है, चाहे वह किसी भी जाति या वर्ग का हो।

सुप्पिया की इस कहानी का महत्व आज भी है। यह हमें यह सिखाती है कि जाति, वर्ग, और सामाजिक भेदभाव से ऊपर उठकर हमें सभी मनुष्यों को समान दृष्टि से देखना चाहिए। गौतम बुद्ध के इस उपदेश ने समाज के नीचले तबके के लोगों को एक नई दिशा और आशा दी। उन्होंने यह संदेश दिया कि मनुष्य का मूल्य उसके कर्मों से होता है, न कि उसके जन्म से।

बुद्ध की शिक्षाओं का यह पहलू भारतीय समाज के लिए बहुत महत्वपूर्ण था, क्योंकि उस समय समाज जाति-पाति के जाल में बुरी तरह फंसा हुआ था। बुद्ध ने इस जाल को तोड़ने का प्रयास किया और समाज को एक नई दिशा दी। सुप्पिया जैसे अछूतों की कहानियां हमें यह याद दिलाती हैं कि हर व्यक्ति में महानता की संभावना होती है, और यह संभावना जाति या वर्ग की सीमा में बंधी नहीं होती।

आज भी, बुद्ध की यह शिक्षा हमारे लिए प्रासंगिक है। समाज में व्याप्त जातिगत भेदभाव और असमानता को मिटाने के लिए हमें बुद्ध के मार्ग का अनुसरण करना चाहिए। यह कहानी हमें यह प्रेरणा देती है कि सच्चा आध्यात्मिक और नैतिक विकास तभी संभव है जब हम सभी मनुष्यों को समानता, करुणा और प्रेम के साथ देखेंगे।

गौतम बुद्ध की शिक्षाएं और सुप्पिया की यह कहानी हमें समाज में व्याप्त भेदभाव और असमानता के खिलाफ लड़ने का साहस देती है। यह हमें यह सिखाती है कि अगर हम सच्चे अर्थों में धार्मिक और आध्यात्मिक होना चाहते हैं, तो हमें सभी प्रकार के भेदभाव से ऊपर उठकर सभी के प्रति प्रेम और करुणा का भाव रखना होगा।

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