फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम बाइबिल की कहानी – आदम और हव्वा की कहानी (Adam And Hawa Story In Hindi) शेयर कर रहे हैं. Bible Story Of Adam And Eve In Hindi बाइबिल के वर्णित पृथ्वी के प्रथम मानव आदम और हव्वा की कहानी है. इस काहनी में बताया गया है कि आदम और हव्वा कौन थे? बाइबिल के अनुसार आदम और हवा का इतिहास (Adam Hawa History In Hindi) क्या था? आदम और हव्वा का जन्म कैसे हुआ था? अर्थात् कैसे वे अस्तित्व में आये थे? वे कहाँ रहते थे? उनके साथ क्या हुआ था? पढ़िए विस्तार से ये Bible Ki Kahani :
Adam And Hawa Story In Hindi
ईश्वर ने संपूर्ण सृष्टि की रचना के बाद धरती की मिट्टी से मनुष्य गढ़ा और उसके नथुनों में प्राणवायु फूंक दी. इस प्रकार मनुष्य एक सजीव तत्व बन गया. वह ‘आदम’ कहलाया.
भूमि से निकले जल-प्रवाहों धरती को सिंचित कर रहे थे और उसमें सभी प्रकार के जंगली और फलदार पेड़-पौधे पनपने लगे थे. इसके बाद ईश्वर ने पूर्व की ओर अदन में एक वाटिका बनाई.
अदन की वाटिका में हर तरह के पेड़-पौधे थे. उसके बीचोंबीच ‘जीवन-वृक्ष’ था, जो भले-बुरे के ज्ञान का वृक्ष भी था. उस वाटिका को सींचने के लिए अदन से एक नदी निकलती थी, जो चार धाराओं में विभाजित हो जाती थी.
अदन को सींचने वाली पहली धारा ‘पीशोन’ है. यह धारा संपूर्ण हवीला देश के चारों ओर बहती है. वहाँ सोना पाया जाता है. वहाँ गुग्गुल और गोमेद भी मिलते हैं.
दूसरी धारा का नाम ‘गीहोन’ है, जो कूश देश के चारों ओर बहती है. तीसरी धारा का नाम ‘दजला’ है, जो अस्सूर के पूर्व में बहती है और चौथी धारा का नाम ‘फ़रात’ है.
ईश्वर ने अदन वाटिका में अपने द्वारा गढ़े मनुष्य ‘आदम’ को रखा, जो वाटिका की देखरेख करता था और वहाँ खेती-बाड़ी करता था. ईश्वर के आदेश के अनुसार उसे वाटिका के हर वृक्ष का फल खाने की अनुमति थी. किंतु जीवन-वृक्ष के फल खाने की अनुमति उसे नहीं थी.
ईश्वर ने उसे स्पष्ट निर्देश दिया था कि जीवन-वृक्ष या भले-बुरे के ज्ञान के वृक्ष के फल को कभी मत खाना. यदि तुमने उसका फल खाया, तो मर जाओगे.
ईश्वर नहीं चाहते थे कि मनुष्य अकेला रहे. उनका कहना था, “अकेला रहना मनुष्य के लिए अच्छा नहीं था. इसलिए मैं उसके लिए एक उपयुक्त सहयोगी बनाऊंगा.”
ईश्वर ने मिट्टी से धरती के सभी पशुओं और आकाश के सभी पक्षियों को गढ़ा और उन्हें ‘आदम’ के पास ले गए. आदम ने उन्हें नाम दिए. किंतु उसे अपने लिए उपयुक्त सहयोगी नहीं मिला था.
तब ईश्वर उसे गहरी नींद में सुला दिया. उसके बाद उसकी पसली निकालकर उसके स्थान पर मांस भर दिया. ईश्वर ने आदम से निकाली पसली से एक स्त्री को गढ़ा और उसके पास ले गया. वह ‘हव्वा’ कहलाई.
आदम और हव्वा (Adam And Eve) दोनों नग्न थे. किंतु उन्हें एक-दूसरे के सामने लज्जा का अनुभव नहीं होता था. वे अदन वाटिका में विचरण करते थे. हर वृक्ष का फल खाते थे. किंतु ईश्वर के आदेश के कारण कभी जीवन-वृक्ष के निकट नहीं जाते थे.
एक दिन सांप हव्वा के पास गया. वह ईश्वर के द्वारा बनाए सभी जीव-जंतुओं में सबसे धूर्त था. उसने हव्वा से पूछा, “क्या ईश्वर ने वाटिका के वृक्षों के फल खाने से तुम्हें मना किया है.?”
हव्वा ने उत्तर दिया, “नहीं, हम वाटिका के सभी वृक्षों के फल खा सकते हैं. परंतु वाटिका के बीचोंबीच स्थित जीवन-वृक्ष के फल खाने से ईश्वर ने हमें मना किया है. उन्होंने हमें उसे स्पर्श तक करने से मना किया है. हम उसे खायेंगे, तो अवश्य मर जायेंगे.”
यह बात सुन सांप ने हव्वा को फुसलाते हुए कहा, “ऐसा नहीं है. तुम नहीं मरोगी. ईश्वर ने तुम्हें वह फल खाने से इसलिए मना किया है क्योंकि उसका फल खाने से तुम्हारी आँखें खुल जायेंगी, तुम्हें भले-बुरे का ज्ञान हो जायेगा और इस प्रकार तुम ईश्वर के सदृश्य हो जाओगी. उस वृक्ष का फल अति-स्वादिष्ट है. तुम्हें उसे अवश्य खाना चाहिए.”
हव्वा ने सोचा कि उस वृक्ष का फल देखने में अच्छा है, खाने में स्वादिष्ट है और तो और उसे खाने से भले-बुरे का ज्ञान भी प्राप्त होता है, तो वह खाकर देखने में हर्ज़ क्या है?”
उसने वह फल तोड़कर खा लिया और आदम को भी दिया. आदम ने भी फल खा लिया. फल खाते ही दोनों की आँखें खुल गई. उन्हें ज्ञान हुआ कि वे नग्न हैं. उन्हें इस अवस्था में एक-दूसरे के सामने लज्जा का अनुभव होने लगा. इसलिए अंजीर के पत्ते जोड़-जोड़ कर उन्होंने अपने लिए लंगोट बना लिए.
उसी समय अदन वाटिका में टहलते हुए प्रभु-ईश्वर की वाणी उन्हें सुनाई पड़ी और वे लज्जा और भय से वृक्षों के पीछे छिप गए.
ईश्वर ने आदम को पुकारा, ““तुम कहाँ हो आदम?”
आदम ने उत्तर दिया, “प्रभु मैं नंगा हूँ. इसलिए तुझसे छिप गया हूँ.”
प्रभु ने पूछा, “तुम्हें किसने बताया कि तुम नंगे हो? क्या तुमने उस वृक्ष का फल खाया है, जिसे खाने से मैंने तुम्हें मना किया था?”
आदम ने उतर दिया, “प्रभु, तूने जिस स्त्री को मेरे साथ रहने के लिए बनाया, उसी ने मुझे उस वृक्ष का फल लाकर दिया और मैंने वह खा लिया.”
ईश्वर ने हव्वा से पूछा, “क्या तुमने यह किया है?”
हव्वा ने उत्तर दिया, “सांप ने मुझे फुसला दिया और मैंने उस वृक्ष का फल खा लिया.”
तब ईश्वर ने सांप से कहा, “तूने यह किया है. इसलिए तू सभी घरेलू और जंगली जानवरों में शापित होगा. तू पेट के बल चलेगा और जीवन भर मिट्टी खायेगा. मैं तेरे और स्त्री के बीच, तेरे वंश और उसके वंश के बीच शत्रुता उत्पन्न करूंगा. वह तेरा सिर कुचल देगा और तू उनकी एड़ी कटेगा.
ईश्वर ने हव्वा से यह कहा, “मैं तुम्हारी गर्भावस्था का कष्ट बढ़ाऊंगा और तुम पीड़ा में संतान को जन्म दोगी. तुम वासना के कारण पति में असक्त होगी और वह तुम पर शासन करेगा.”
उसने आदम से कहा, “चूँकि तुमने अपनी पत्नि की बात मानी है और उस वृक्ष का फल खाया है, जिसे खाने से मैंने मना किया था, भूमि तुम्हारे कारण शापित होगी. तुम जीवन भर कठोर परिश्रम करते हुये उससे अपनी जीविका चलाओगे. वह कांटे और ऊँट-कटारे पैदा करेंगी और तुम खेत के पौधे खाओगे. तुम तब तक पसीना बहाकर अपनी रोटी खाओगे, जब तक तुम उस भूमि में नहीं लौटोगे, जिससे तुम बनाये गए हो, क्योंकि तुम मिट्टी हो और मिट्टी में मिल जाओगे.”
ईश्वर ने आदम और हव्वा के लिए खाल के कपड़े बनाये और उन्हें पहनाया. उसने उन्हें अदन वाटिका से निकाल दिया और जीवन वृक्ष के मार्ग पर पहरा देने के लिए अदन-वाटिका के पूर्व में केरुबों और एक परिभ्रामी ज्वालामय तलवार रख दी.
ईश्वर के आदेश की अवहेलना के कारण ही मनुष्य को उस भूमि पर खेती करनी पड़ी, जिससे वह बनाया गया था और स्त्री को गर्भावस्था का कष्ट झेलना पड़ा.
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