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अक्ल बिकाऊ है शिक्षाप्रद कहानी | Akal Bikau Hai Moral Story 

अक्ल बिकाऊ है शिक्षाप्रद कहानी (Akal Bikau Hai Moral Story In Hindi) इस पोस्ट में शेयर की जा रही है।

Akal Bikau Hai Moral Story 

Akal Bikau Hai Moral Story 

बहुत समय पहले की बात है। एक छोटे से गाँव में एक विद्वान ब्राह्मण परिवार रहता था। उस परिवार में माता-पिता के साथ एक बेटा था जिसका नाम माधव था। माधव का पिता एक ज्ञानी और सच्चे ब्राह्मण थे, लेकिन गाँव के लोगों को उपदेश देने, समस्याओं को सुलझाने, और पंडिताई करने में इतना व्यस्त रहते कि अपनी गरीबी दूर करने के उपाय नहीं कर पाते। घर में हमेशा पैसों की कमी बनी रहती थी, और खाने-पीने का भी ठिकाना नहीं था।

माधव अपने माता-पिता को अपनी गरीबी से जूझते देखता, लेकिन उसे कोई उपाय समझ में नहीं आता था। वह सोचता कि आखिर किस तरह से वह अपने परिवार की सहायता कर सकता है। एक दिन उसके पिता ने कहा, “बेटा, इस जीवन में सबसे महत्वपूर्ण चीज़ अक्ल (बुद्धि) है। धन तो आता-जाता रहता है, लेकिन अक्ल हमारे साथ हमेशा रहती है और हर मुसीबत से बचा सकती है।”

माधव ने सोचा, “अगर अक्ल इतनी महत्वपूर्ण है तो इसे बेचकर पैसा क्यों नहीं कमाया जा सकता? लोग कपड़े, भोजन, और बहुत सारी चीजें खरीदते हैं, तो शायद अक्ल भी खरीदी जा सकती है।” यह सोचकर उसने एक योजना बनाई कि वह गाँव के हाट (बाजार) में जाकर “अक्ल” बेचेगा। उस समय उसके पिता घर पर नहीं थे, इसलिए उसने अपनी माँ से थोड़े पैसे लेकर एक बड़ा झोला लिया, जिस पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिख दिया – “अक्ल बिकाऊ है।”

अगले दिन माधव उस झोले को कंधे पर लटकाए गाँव के बाजार में पहुँच गया। लोग उसकी अजीबोगरीब दुकान और झोले को देखकर हँसने लगे। किसी ने पूछा, “अरे, माधव! ये क्या कर रहे हो?” माधव ने गर्व से कहा, “अक्ल बेच रहा हूँ। जिसके पास अक्ल नहीं है, वह मुझसे खरीद सकता है।”

लोग उसकी बात सुनकर जोर-जोर से हँसने लगे। एक किसान ने मजाक उड़ाते हुए कहा, “क्या सच में अक्ल बेचने आए हो? और वो भी झोले में? क्या तुम्हारे पास इतनी अक्ल है कि दूसरों को बेच सको?” माधव ने मुस्कराते हुए कहा, “अरे भाई, अक्ल अनमोल है। इसकी जरूरत सभी को होती है। और आज मैं इसे बहुत सस्ते दाम में दे रहा हूँ।”

थोड़ी ही देर में माधव के आस-पास भीड़ लग गई। सभी लोग उसकी दुकान का तमाशा देखने लगे। एक व्यापारी ने कहा, “अरे बेटे, तुम्हारी अक्ल कितने में बिकेगी?” माधव ने झोले को ध्यान से पकड़ा और गंभीरता से बोला, “मुझे इसकी कीमत का अंदाजा तो नहीं है, लेकिन यह जरूर जानता हूँ कि यह बहुत काम की चीज़ है। अगर आप चाहें, तो मैं इसे आपको तीन सोने के सिक्कों में दे सकता हूँ।”

व्यापारी ने उसका मजाक उड़ाते हुए कहा, “बेटा, तुम्हारे पास अक्ल है भी या नहीं?” तब माधव ने बुद्धि का पहला पाठ पढ़ाया। उसने व्यापारी से कहा, “मान लीजिए आपके पास ढेर सारा धन है, पर उसे कैसे खर्च करना है, इसका विवेक नहीं है। फिर आपका धन आपका नहीं रहेगा। इसलिए धन से पहले अक्ल की जरूरत होती है। यही कारण है कि मैं अक्ल बेचने आया हूँ।”

भीड़ में एक बुजुर्ग आदमी खड़ा था, जो माधव की बातों को गौर से सुन रहा था। उसने माधव से कहा, “बेटा, अगर तुम सच में अक्ल बेच रहे हो, तो मुझे एक सलाह दो। मेरे पास कुछ जमीन है, लेकिन मुझमें इसे ठीक से सँभालने की समझ नहीं है।”

माधव ने थोड़ी देर सोचा और फिर कहा, “बाबा, अगर आपके पास जमीन है तो उसे दूसरों को किराए पर देकर उससे लाभ कमाइए। इस तरह आपकी जमीन से आय होती रहेगी और आपकी मेहनत भी बचेगी। यही तो अक्ल है – अपने संसाधनों का सही तरीके से इस्तेमाल करना।” बुजुर्ग ने उसकी बात समझी और उसे दो सोने के सिक्के दिए। इस तरह माधव की पहली “अक्ल की बिक्री” हो गई।

माधव के इस सफलता को देख भीड़ में कुछ और लोग उसकी सलाह लेने के लिए आगे बढ़े। एक व्यापारी ने माधव से पूछा, “मेरे पास व्यापार के लिए बहुत सारा सामान है, लेकिन मुझे हमेशा घाटा हो जाता है। अब बताओ, तुम्हारी अक्ल क्या कहती है?” 

माधव ने मुस्कराते हुए कहा, “धैर्य रखो और बाजार की मांग के अनुसार ही वस्तुएं बेचो। बिना सोचे-समझे किसी भी वस्तु में निवेश मत करो।” व्यापारी ने इसे ध्यानपूर्वक सुना और उसके समझाने के लिए उसे एक चांदी का सिक्का दिया।

धीरे-धीरे माधव का “अक्ल का व्यापार” मशहूर हो गया। लोग उसकी दुकान पर आने लगे, और उसकी सलाह के बदले उसे कुछ न कुछ भेंट करने लगे। माधव ने अपनी बुद्धि के आधार पर कई लोगों की समस्याओं का समाधान निकाला। 

कुछ समय बाद माधव के पिता को इस बात की खबर लगी। वह हैरान हो गए कि उनका बेटा अक्ल बेचने के नाम पर पैसे कमा रहा है। उन्हें लगा कि यह तो ब्राह्मण परिवार की मर्यादा के खिलाफ है। वह तुरंत बाजार पहुँचे और माधव को यह काम बंद करने के लिए कहा।

माधव ने अपने पिता से कहा, “पिताजी, मैं कोई गलत काम नहीं कर रहा। मैंने तो केवल लोगों की मदद की है। आप खुद कहते थे कि अक्ल सबसे कीमती चीज़ है, और मैंने वही लोगों को बेचा है। अगर मैंने किसी की जिंदगी में बदलाव लाने की समझ दी है, तो इसमें बुरा क्या है?”

पिता ने माधव की बातों पर विचार किया और महसूस किया कि उसका बेटा सही था। वह केवल लोगों की मदद कर रहा था और बदले में लोग उसे कुछ भेंट दे रहे थे। उन्होंने मुस्कराते हुए कहा, “बेटा, तुमने सही मायनों में मेरी सिखाई बातों को अपनाया है। सच में अक्ल बिकाऊ नहीं होती, बल्कि उसे सही तरीके से बाँटा जा सकता है। तुमने इसे समझा और इस ज्ञान को लोगों तक पहुँचाया। मुझे तुम पर गर्व है।”

माधव ने फिर से झोला उठाया और मुस्कराते हुए पिता के साथ घर लौट आया। उस दिन से उसकी “अक्ल बिकाऊ है” की दुकान बंद हो गई, लेकिन गाँव में उसकी बुद्धि की चर्चा दूर-दूर तक फैल गई। लोग उसके पास मदद के लिए आते रहे, और इस तरह वह गाँव का सबसे बुद्धिमान और आदरणीय व्यक्ति बन गया।

कहानी से सीख:

1. अक्ल सबसे अनमोल है : पैसा, संपत्ति या भौतिक चीजों से ज्यादा महत्वपूर्ण हमारी बुद्धि है। सही सोच और विवेक का इस्तेमाल करके हम किसी भी परिस्थिति का सामना कर सकते हैं।

2. ज्ञान का सही उपयोग : ज्ञान और समझ सिर्फ खुद तक सीमित रखने के लिए नहीं होते; उनका उपयोग दूसरों की सहायता और मार्गदर्शन के लिए करना चाहिए। 

3. मदद करने का मूल्य : किसी की मदद करने से न केवल उसे लाभ मिलता है, बल्कि हमारी भी प्रतिष्ठा और मान बढ़ता है। यह एक अनमोल चीज है, जो जीवन को संतोष और खुशियों से भर देती है।

4. विचारशीलता और धैर्य : इस कहानी में माधव ने न केवल अक्ल को समझने की कोशिश की, बल्कि धैर्य के साथ दूसरों को उसे समझाया भी। सच्ची अक्ल वही है जो शांत, धैर्यवान और सही तरीके से दूसरों तक पहुंचे।

5. साधनों का सही उपयोग : जो हमारे पास है, उसका सही तरीके से उपयोग करना ही अक्लमंदी है। सही समय पर सही निर्णय लेकर हम बड़ी से बड़ी मुश्किल को हल कर सकते हैं।

इस तरह से कहानी हमें सिखाती है कि सच्ची अक्ल किसी को नुकसान पहुँचाने के लिए नहीं, बल्कि खुद और समाज की भलाई के लिए होनी चाहिए।

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