कुएं का पानी : अकबर बीरबल की कहानी | Akbar Birbal Stories In Hindi

मित्रों, akbar birbal kahaniya विश्व भर में प्रसिद्ध है. उन्हें कहानियों में से आज हम लाये हैं – akbar airbal stories in hindi ‘कुएं का पानी’. इस कहानी में दो आदमियों के मध्य कुएं के पानी को लेकर झगड़ा हो जाता है. ये झगड़ा जब बादशाह अकबर (Akbar) ने दरबार में पहुँचता है, इसके निराकरण की ज़िम्मेदारी बीरबल को सौंपी जाती है. बीरबल (Birbal) कैसे ये झगड़ा निपटाता है? यही इस कहानी में बताया गया है. पढ़िए पूरी कहानी –

Akbar Birbal Kahaniya 

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अकबर के राज्य में रहने वाले एक किसान ने एक आदमी से कुआं खरीदा. वह कुएं के पानी से अपने खेत की सिंचाई करना चाहता था.

किसान ने कुएं की पूरी कीमत अदा की. लेकिन जब अगले दिन वो कुएं पर पहुँचा और पानी निकालने के लिए रस्सी के सहारे बाल्टी डालने लगा, तो कुआं बेचने वाले आदमी ने उसे रोक दिया.

उसने किसान से कहा, “मैंने अपना कुआं बेचा है, इसका पानी नहीं. इसलिए तुम इसका पानी नहीं निकाल सकते. चलो भागो यहाँ से.”

किसान अपना सा मुँह लेकर वहाँ से चला आया. वह स्वयं को ठगा सा महसूस कर रहा रहा था. आखिरकार न्याय की दरकार में वह अकबर के दरबार पहुँच गया.

अकबर ने किसान की गुहार सुनी और उसके मामले के निराकरण का दायित्व बीरबल को सौंप दिया.

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मामला पूरी तरह समझने के बाद बीरबल उस कुएं पर पहुँचा, जिसका सौदा हुआ था. किसान उस आदमी को भी बुला लाया, जिससे उसने कुआं खरीदा था.

बीरबल ने उस आदमी से पूछा, “क्यों भाई, तुम इस किसान को कुएं का पानी निकालने क्यों नहीं दे रहे हो? कीमत तो तुमने पूरी वसूली है.”

कुएं बेचने वाले आदमी ने वही बात फिर से दोहराई, “मैंने कुआं बेचा है, इसका पानी नहीं. पानी पर अब भी मेरा अधिकार है. फिर कैसे मैं इसे पानी निकालने की इज़ाज़त दे दूं?”

बीरबल उस धोखेबाज़ आदमी की चालाकी समझ गया. वह समझ गया कि यहाँ सीधी उंगली से घी नहीं निकलने वाला. इसलिए उसने अपना पासा फेंकते हुए कहा, “ठीक कहते हो भाई. चलो मान लिया कि कुएं का पानी तुम्हारे स्वामित्व में है. लेकिन ये तो मानते हो ना कि अब कुएं का स्वामी ये किसान है?”

“हाँ, ये बात मैं मानता हूँ.” उस आदमी ने हामी भरी.

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“ठीक है! तो फिर ऐसा करो कि फ़ौरन किसान के कुएं का सारा पानी निकाल कर कहीं और ले जाओ या फिर कुएं में पानी रखने का किराया तुम किसान को दो. बिना किराया दिए तुम अपना पानी किसान के कुएं में नहीं रख सकते.” बीरबल बोला.

कुआं बेचने वाला धोखेबाज़ आदमी हक्का-बक्का रह गया. किसान को बेवकूफ़ बनाने की उसकी पूरी तरक़ीब पर पानी फिर चुका था. उसने बीरबल से माफ़ी मांगी और किसान को कुएं का पूरा स्वामित्व सौंप दिया. आखिर सेर को सवा सेर मिल ही गया.

सीख – कभी दूसरों को धोखा मत दो. ऐसी चतुराई किसी काम की नहीं, जिसमें दूसरों का बुरा हो. ऐसी चतुराई अंततः धरी की धरी रह जाती है.

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