दूज का चाँद : अकबर बीरबल की कहानी | Akbar Birbal Ki Kahani

मित्रों, इस “akbar birbal ki kahani” में बीरबल काबुल के बादशाह को ‘पूर्णिमा के चाँद’ की संज्ञा देते है और बादशाह अकबर को ‘दूज के चाँद’ की. अकबर इस बात पर बहुत नाराज़ हो जाते है. बीरबल कैसे अकबर की नाराज़गी दूर करता है, यही इस कहानी में बताया गया है. पढ़िए पूरी कहानी –  

Akbar Birbal Ki Kahani 

Table of Contents

akbar birbal kahani
Source : Akbar Birbal PNG

पढ़ें : अकबर बीरबल की संपूर्ण कहानियाँ

>

एक बार बीरबल काबुल की यात्रा पर गया. वहाँ की संस्कृति को जानने की उत्सुकता में वह बातों-बातों में वहाँ के बारे में लोगों से सवाल करने लगा.

कुछ लोगों को बीरबल (Birbal) की बातें सुनकर ये शक़ हो गया कि वो किसी राज्य का भेदिया है. उन्होंने ये बात काबुल के शहंशाह के कानों तक पहुँचा दी. काबुल के शहंशाह ने बिना देर किये बीरबल को गिरफ्तार करने सैनिकों की टुकड़ी भेज दी.

बीरबल को गिरफ्तार काबुल के शहंशाह के सामने पेश किया गया. काबुल के शहंशाह ने बीरबल से पूछा, “कौन हो तुम? हमारे राज्य में क्या कर रहे हो?”

बीरबल ने उत्तर दिया, “हुज़ूर! मैं एक यात्री हूँ. भिन्न-भिन्न देशों का भ्रमण करना और वहाँ की संस्कृति के बारे में जानने का मुझे शौक है.”

“किस देश के निवासी हो तुम और कौन है तुम्हारा राजा?” काबुल के शहंशाह ने पुनः प्रश्न किया.

पढ़ें : ध्रुव तारे की कहानी : पौराणिक कहानी | Dhruv Tara Story In Hindi

“हुज़ूर! मैं हिंदुस्तान का निवासी हूँ और वहाँ के शहंशाह जिलालुद्दीन अकबर हैं.” बीरबल ने शालीनता से उत्तर दिया.

“ओह! बादशाह अकबर और हमारे बारे में यदि एक शब्द में कुछ कहना पड़े, तो क्या कहोगे?”

“हुज़ूर! आप पूर्णिमा के चाँद हैं और वो दूज़ के.” बीरबल का ये त्वरित उत्तर सुनकर काबुल का शहंशाह बहुत ख़ुश हुआ. उसने बीरबल को छोड़ दिया और कई हीरे-जवाहरात के साथ विदा किया.

जब बीरबल वापस लौटकर अपने घर आया, तो काबुल का हाल घरवालों को बताया. उसने काबुल के शहंशाह से हुई बात-चीत के बारे में भी घरवालों को बताया. एक मुँह से दो मुँह और इस तरह बात फैलते-फैलते अकबर के दरबारियों के कानों में पहुँची और ईर्ष्या करने वाले कुछ दरबारियों ने अकबर के कान भर दिए.

जब अकबर (Akbar) को मालूम पड़ा कि बीरबल ने काबुल जाकर उन्हें काबुल के शहंशाह के सामने ‘दूज के चाँद’ की संज्ञा दी और काबुल के शहंशाह को ‘पूर्णिमा के चाँद’ की, तो वे बहुत नाराज़ हुये.

पढ़ें : कैसे हुआ नारियल का जन्म? : पौराणिक कथा | Coconut Birth Story In Hindi

अगले दिन जब दरबार लगा, तो उन्होंने बीरबल पर व्यंग्य बाण छोड़ते हुए कहा, “क्यों बीरबल? काबुल जाकर तुम तो काबुल के हो गए. वहाँ का शहंशाह तुम्हें पूर्णिमा का चाँद लगता है और हम दूज के. तो फिर तुम हमारे दरबार में क्या कर रहे हो? जिसकी बड़ाई करते हो, उसकी के दरबार में रहो.”

बीरबल समझ गया कि दरबारियों ने अकबर के कान भर दिए हैं. उसने तुरंत उत्तर दिया, “हुज़ूर! पहले आप मेरी पूरी बात सुन लीजिये. फिर कोई निष्कर्ष निकालिए. पूर्णिमा का चाँद आकार में चाहे कितना ही बड़ा क्यों न हो, प्रतिदिन घटता चला जाता है और अमावस्या के दिन पूरा अदृश्य हो जाता है. लेकिन दूज का चाँद प्रतिदिन बढ़ता जाता है. पूर्णिमा का चाँद एक दिन चमकता है और दूज का चाँद पूरे पखवाड़े. अब बताइए, बड़ाई किसकी हुई? मैंने तो यही कहा कि दिन-प्रतिदिन आपका पराक्रम, साम्राज्य और यश बढ़ता रहे.”

बीरबल की बात सुनकर अकबर की नाराज़गी खत्म हो गई और उन्होंने बीरबल को कई वस्त्र और आभूषण उपहार में दिए. इधर ईर्ष्या करने वाले दरबारी अपना सा मुँह लेकर रह गए.

दोस्तों, आशा है आपको akbar birbal Ki Kahani ‘Dooj Ka Chand Akbar Birbal Stories In Hindi‘ पसंद आयी होगी. आप इसे Like कर सकते हैं और अपने Friends को Share भी कर सकते हैं. ऐसी ही मज़ेदार Akbar Birbal Stories के लिए हमें subscribe ज़रूर कीजिये. Thanks.

Read More Akbar Birbal Stories In Hindi :

Leave a Comment