फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम अकबर बीरबल की मज़ेदार कहानी “सब बह जायेंगे” (Akbar Birbal Ki Mazedar Kahani) शेयर कर रहे हैं. इस कहानी बीरबल की हाज़िरजवाबी और चुटीले अंदाज़ का वर्णन करती है. पढ़िये ये किस्सा :
Akbar Birbal Ki Mazedar Kahani
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एक दिन बादशाह अकबर अपने सैनिकों को लेकर शिकार के लिए गये. उनके साथ बीरबल भी था. दिन भर शिकार करने के बाद वे शाम होते-होते लौटने लगे. रास्ते में एक गाँव पड़ा. अकबर ने बीरबल से उस गाँव के बारे में जानकारी मांगी, तो बीरबल बोला, “जहाँपनाह! मैं भी पहली बार इस गाँव में आया हूँ. इसलिए इसके बारे में मैं कुछ नहीं जानता. किसी गाँव वाले से पूछकर मैं आपको इस गाँव की जानकारी देता हूँ.”
बीरबल का ये कहना था कि एक आदमी वहाँ से गुजरा, जिस पर बीरबल की दृष्टि पड़ गई और उसने उसे अपने पास बुला लिया. वह आदमी बादशाह अकबर और बीरबल को पहचान गया. पास आकर प्रणाम करके वह हाथ जोड़कर खड़ा हो गया.
बीरबल अकबर से बोला, “जहाँपनाह! इस आदमी से पूछ लीजिये, जो भी आपको पूछना हो.”
अकबर अपने राज्य के अंतर्गत आने वाले गाँव के बारे में और वहाँ की प्रजा की खैरियत जानना चाहते थे. उन्होंने पूछा, “इस गाँव में सब ठीक है ना, कोई परेशानी तो नहीं है?”
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“जहाँपनाह! आपके राज में किसी को क्या परेशानी हो सकती है. सब कुशल मंगल है.” उस आदमी ने उत्तर दिया.
“ठीक है! क्या नाम है तुम्हारा?” अकबर ने पूछा.
“गंगा!”
“और पिता का नाम?”
“जमुना!”
“तो माँ का नाम सरस्वती होगा?” अकबर ने चुटकी ली.
“नहीं जहाँपनाह! नर्मदा!” वह आदमी झेंपते हुए बोला.
यह सुनकर बीरबल हँस पड़ा और बोला, “जहाँपनाह! बिना नाव के इस गाँव में प्रवेश नहीं किया जा सकता. अन्यथा इतनी नदियों में सब के सब बह जायेंगे.”
यह सुनकर अकबर ठहाके मारकर हँसने लगे.
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