Akbar Birbal Stories In Hindi

अकबर बीरबल की तीन कहानी | Akbar Birbal Ki Teen Kahani

मित्रों,  अकबर बीरबल की तीन कहानी (Akbar Birbal Ki Teen Kahani) हम इस पोस्ट में शेयर कर रहे हैं.  सभी कहानियाँ रोचक और मज़ेदार हैं, जो आपको अवश्य पसंद आयेंगी. 

Akbar Birbal Ki Teen Kahani

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दरबारियों की परीक्षा : अकबर बीरबल की कहानी 

बीरबल बादशाह अकबर का मुख्य सलाहकार था. दरबार में कई ऐसे दरबारी थे, जो यह पद पाने की लालसा रखते थे. इसलिए सदा बीरबल को नीचा दिखाने या अपनी अक्लमंदी साबित करने का प्रयास किया करते थे.

एक दिन कुछ दरबारी अकबर के पास पहुँचे और कहने लगे, “जहाँपनाह! हममें से कई दरबारी बीरबल से कहीं ज्यादा काबिल हैं. लेकिन आपने उसे अपना मुख्य सलाहकार बना लिया है. हम चाहते हैं कि आप हमें भी अपना मुख्य सलाहकार बनने का मौका दें.”

अकबर बोले, “ठीक है. मैं तुम लोगों की परीक्षा लूंगा. जो उस परीक्षा में सफ़ल होगा, उसे मैं बीरबल की जगह अपना मुख्य सलाहकार नियुक्त कर लूंगा.”

सभी दरबारी ख़ुशी-ख़ुशी राज़ी हो गए.

अकबर ने अपने कमर में पहना हुआ कपड़ा उतारा और ज़मीन पर लेट गए. फिर दरबारियों से कहा, “इस कपड़े से मुझे सिर के लेकर पैर तक ढक कर दिखाओ.”

कपड़े की लंबाई मात्र कमर से लेकर पैर तक की थी. दरबारियों ने बहुत प्रयास किया, लेकिन अकबर को उस कपड़े से सिर से लेकर पैर तक ढकने में असफ़ल रहे. आख़िरकार, सबने हार मान ली.

सबके हार मानने के बाद अकबर ने बीरबल पूछा, “बीरबल! क्या तुम यह करके दिखा सकते हो?”

बीरबल सामने आया और अकबर के पास आकर खड़ा हो गया गया. फिर बोला, “जहाँपनाह! आपसे मेरा निवेदन है कि आप अपने घुटने थोड़ा ऊपर की ओर मोड़ लें.”

अकबर ने वैसा ही किया. उसके बाद बीरबल ने उस कपड़े से अकबर को सिर से लेकर पैर तक ढक दिया. सारे दरबारी अवाक् रह गए.

अकबर उठा खड़े हुए और बोले, “अब वो सामने आये, जो ख़ुद को मुख्य सलाहकार पद के योग्य समझता है.”

प्रश्न सुनकर सभी दरबारियों ने शर्मिंदगी से अपना सिर झुका लिया. फिर कभी किसी ने कभी अकबर का मुख्य सलाहकार बनने के बारे में नहीं सोचा.

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असली शहंशाह : अकबर बीरबल की कहानी

ईरान के शहंशाह ने अकबर के नवरत्न बीरबल की अक्लमंदी की बहुत तारीफ़ें सुनी थी. वह उससे मिलने बड़ा लालायित था. उसने एक संदेश वाहक के हाथों बीरबल को अपने देश आने का निमंत्रण पत्र भिजवाया.

बीरबल ने वह निमंत्रण स्वीकार कर लिया और कुछ दिनों बाद ईरान के लिए रवाना हो गया. जब वह ईरान पहुँचा, तो सीधे शहंशाह से मिलने उनके राजदरबार गया. लेकिन जैसे ही उसने राजदरबार में प्रवेश किया, वह हैरान रह गया क्योंकि वहाँ एक नहीं, बल्कि ६ शहंशाह बैठे हुए थे. सबकी शक्ल बिल्कुल एक जैसी थी. सबने एक जैसे राजसी कपड़े पहने हुए थे.

वह समझ गया कि ईरान के शहंशाह उसकी परीक्षा लेना चाहते हैं. असली शहंशाह को पहचानने की एक बड़ी चुनौती बीरबल के सामने थी. उसने छहों शहंशाहों को ध्यान से देखा, फिर आगे बढ़ा और एक शहंशाह के सामने जाकर झुककर सलाम किया. वह असली शहंशाह था. उसे अंदाज़ा नहीं था कि इतने हमशक्लों के बीच भी बीरबल उसे पहचान लेगा.

उसने बीरबल से पूछा, “बीरबल! तुम्हारी अक्लमंदी के बारे में जैसा सुना था, वैसा ही हमने पाया. हमें लगा था कि तुम हमें पहचान नहीं नहीं पाओगे. लेकिन तुमने तो बड़ी ही आसानी से हमें हमारे हमशक्लों के बीच में से पहचान लिया. कैसे?”

“ये तो बड़ा ही आसान था हुज़ूर.” बीरबल मुस्कुराते हुए बोला, ”मैंने गौर किया कि शहंशाह बनकर एक जैसी शक्ल के जो लोग बैठे थे, उनमें से बस आप ही की नज़र सामने की ओर थी. बाकी सभी आपकी ओर देख रहे थे. मुझे समझते देर न लगी कि आप ही असली शहंशाह हैं. आम इंसान को चाहे राजसी कपड़े क्यों न पहना दिए जायें, संबल पाने वह अपने राजा की ओर ही देखता है. वही यहाँ हो रहा था.”

बीरबल का उत्तर सुन ईरान का शहंशाह बहुत ख़ुश हुआ और उसने बीरबल को ढेर सारे उपहार दिए.

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आधी धूप आधी छाँव : अकबर बीरबल की कहानी

एक बार अकबर बीरबल (Akbar Birbal) में किसी बात पर अनबन हो गई. अकबर ने गुस्से में आकर बीरबल को नगर छोड़कर जाने का आदेश दे दिया.

अकबर के आदेश के पालन में बीरबल नगर छोड़कर चला गया. वह एक गाँव में अपनी पहचान छुपाकर रहने लगा.

इधर दिन बीतने लगे और अकबर को बीरबल की कोई ख़बर नहीं लगी. बीरबल  अकबर का मुख्य सलाहकार होने के साथ-साथ परम मित्र भी था. अकबर को राजकीय कार्यों में बीरबल की सलाह की आवश्यकता महसूस होने लगी. साथ ही उन्हें उसकी याद भी सताने लगी.

उन्होंने सैनिकों को बीरबल को ढूंढने के लिए भेजा. किंतु वे उसका पता न लगा सके. अंत में अकबर ने बीरबल का पता लगाने के एक उपाय खोज निकाला. उन्होंने पूरे राज्य में ये ढिंढोरा पिटवा दिया कि जो कोई भी आधी धूप और आधी छाँव में उनसे मिलने आयेगा, उसे १००० स्वर्ण मुद्रायें ईनाम में दी जायेंगी. 

ये ख़बर उस गाँव में भी पहुँची, जहाँ बीरबल अज्ञातवास में रहता था. उसी गाँव में एक गरीब किसान भी रहता था. बीरबल ने सोचा कि यदि इस गरीब किसान को ईनाम की १००० स्वर्ण मुद्रायें मिल जायें, तो उसका भला हो जायेगा.

उसने किसान को अपने सिर पर एक चारपाई रखकर अकबर के पास जाने के लिए कहा. गरीब किसान ने वैसा ही किया.

सैनिकों ने जब उस किसान को भरी दोपहरी में अपने सिर पर चारपाई रखकर राजमहल की ओर आते देखा, तो अकबर को इस बात की सूचना दी. अकबर ने किसान को अपने पास बुलवाया. किसान ने अकबर के सामने हाज़िर होकर अपना ईनाम मांगा, तो अकबर ने पूछा, “सच-सच बताओ कि तुम्हें ऐसा करने किसने कहा था?”

भोले किसान ने सब कुछ सच-सच बता दिया, “जहाँपनाह, हमारे गाँव में एक भला मानुस आकर रुका है. उसी के कहने पर मैं सिर पर चारपाई रख आपके पास आया था.”

ये सुनकर अकबर समझ गए कि किसान को सलाह देने वाला व्यक्ति बीरबल ही है. उन्होंने फ़ौरन खजांची से कहकर किसान को १००० स्वर्ण मुद्रायें दिलवाई और सैनिकों को उसके साथ भेजकर बीरबल को वापस आने का पैगाम भिजवा दिया.

पैगाम पाकर बीरबल अकबर ने पास वापस लौट आया.      


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