पापड़ बेचने से लेकर ‘सुपर ३०’ तक का सफ़र, “आनंद कुमार” की सफ़लता की प्रेरणादायक कहानी | Anad Kumar ‘Super 30’ Biography & Success Story In Hindi

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Anand Kumar Super 30 Success Story And Biography In Hindi

भारत में IIT जैसे टॉप इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ने का सपना कई छात्र-छात्रायें देखते है. ऐसे में उनका मार्गदर्शक बनती हैं – कोचिंग संस्थायें. लेकिन कोचिंग संस्थाओं की भारी-भरकम फीस वहन कर पाना हर छात्र के लिए संभव नहीं हो पाता. ऐसे में आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के छात्र यह मार्गदर्शन प्राप्त करने से वंचित रह जाते हैं और कहीं न कहीं यह उनके इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में सफ़लता प्राप्ति में अडंगा बन जाता है.

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ऐसे आर्थिक रूप से कमज़ोर छात्रों के मसीहा बनकर उभरे हैं – आनंद कुमार (Anand Kumar), जो अपने सुपर ३० संस्थान में इन छात्रों को मार्गदर्शन प्रदान कर रहे हैं और उनके लिए न सिर्फ टॉप इंजीनियरिंग कॉलेज (Top Engineer College) में प्रवेश का मार्ग, बल्कि उज्जवल भविष्य का मार्ग भी प्रशस्त कर रहे हैं.

आनंद कुमार एक गणितज्ञ, शिक्षाविद और स्तंभकार हैं, जिन्होंने आर्थिक विपन्नता का जीवन करीब से देखा है. उनका संपूर्ण बचपन अभावों में व्यतीत हुआ. लेकिन उन्होंने शिक्षा को अपना सबसे बड़ा संबल माना. कैम्ब्रिज युनिवेर्सिटी का कॉल लैटर हाथ में होने के बाद भी आर्थिक तंगी के कारण वे कैम्ब्रिज न जा सके. गली-गली पापड़ बेचने को मजबूर हुए. लेकिन आज वे इस मुकाम पर हैं, जहाँ वे समाज के आर्थिक रूप से कमज़ोर छात्रों के शैक्षिक उत्थान की दिशा सराहनीय कार्य कर रहे हैं.

आनंद कुमार के कार्यों को देश-विदेश में सराहना प्राप्त हुई है और उन्हें कई पुरुस्कारों से नवाज़ा गया है. वे विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा श्रोत है. उनके प्रेरणादायक जीवन पर आधारित हिंदी फिल्म ‘सुपर ३०’ (Super 30) का निर्माण भी किया गया है. आइये विस्तार से जानते हैं आनंद कुमार (Anand Kumar) और उनके संस्थान  ‘सुपर ३०‘ (Super 30) के बारे में :      

 आनंद कुमार का जीवन परिचय (Anand Kumar Super 30 Biography In Hindi ) 

नाम   आनंद कुमार  (Anand Kumar)
जन्म  १ जनवरी १९७३ 
जन्म स्थान  पटना. बिहार (Patna, Bihar, India)
माता  जयंती देवी 
भाई  प्रणव कुमार 
पत्नि  ऋतु रश्मि 
बेटा  जगत कुमार 
कार्य  शिक्षक, गणितज्ञ
उपलब्धि  सुपर ३० संस्थान के द्वारा आर्थिक रूप से कमज़ोर विद्यार्थियों को IIT की निशुल्क कोचिंग,  हर वर्ष २६ से ३० बच्चों का चयन. इस सराहनीय कार्य के लिए कई पुरुस्कार और सम्मान से नवाज़ा गया.

आनंद कुमार का प्रारंभिक जीवन (Anand Kumar Early Life)

आनंद कुमार (Anand Kumar) का जन्म १ जनवरी १९७३ को बिहार के पटना जिले में हुआ था. उनके पिता डाक विभाग में लिपिक (Clerk) के पद पर कार्यरत थे. परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. छोटी सी नौकरी के साथ आनंद कुमार के पिता के लिए उनको किसी प्राइवेट स्कूल में पढ़ा पाना संभव नहीं था. उन्होंने आनंद कुमार का दाखिला एक हिंदी माध्यम सरकारी स्कूल “पटना हाई स्कूल’ (Patna High School) में करवा दिया.

आनंद कुमार एक प्रतिभावान छात्र थे. उनकी रुचि गणित विषय में अधिक थी. इसलिए स्कूल के दिनों में ही गणित के सवालों को उन्होंने अपना दोस्त बना लिया. वे गणित के कठिन से कठिन सवालों को भी झट से हल कर दिया करते थे.

यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैम्ब्रिज में एडमिशन का प्रस्ताव

समय के साथ आनंद कुमार (Anand Kumar) की प्रतिभा निखरती गई और वे गणित में निपुण होते गए. ग्रेजुएशन के दौरान उन्होंने ‘नंबर थ्योरी’ (Number Theory) पर एक पेपर सबमिट किया, जिसे मैथेमेटिकल स्पेक्ट्रम (Mathematical Spectrum) और मैथेमेटिकल गैजेट (Mathematical Gazette) में पब्लिश किया गया.

उनके पेपर्स की चर्चा देश-विदेश में हुई. जिसकी बदौलत १९९३ में उन्हें यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैम्ब्रिज (University Of Cambridge) में एडमिशन के लिए कॉल लेटर आया. पिता सहित परिवार के सभी लोग आनंद कुमार की इस सफ़लता से बहुत ख़ुश थे. लेकिन जब उन्हें पता चला कि कैम्ब्रिज जाने के लिए ६ लाख रूपये की आवश्यकता पड़ेगी, तो सबकी ख़ुशी निराशा में तब्दील हो गई. उनके परिवार की निम्न आर्थिक स्थिति यहाँ रोड़ा बन गई. उनके पिता की आमदनी बहुत कम थी. कहीं से भी आर्थिक सहायता न मिलने के कारण वे यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैम्ब्रिज (University Of Cambridge) में पीएचडी के लिए दाखिला नहीं ले सके.

इसी दौरान उनके पिता की भी मृत्यु हो गई. पिता की मृत्यु के बाद उनके स्थान पर अनुकंपा नियुक्ति का प्रस्ताव आनंद कुमार के सामने आया. माता पढ़ी-लिखी नहीं थी और उनके भाई प्रणव कुमार की आयु कम थी. इसलिए यह प्रस्ताव आनंद कुमार को मिला. लेकिन आनंद सरकारी नौकरी नहीं करना चाहते थे. उन्होंने इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया.

आनंद कुमार के इस निर्णय को माँ और भाई का भी साथ मिला. उनकी माँ को पड़ोस में रहने वाली एक सिंधी महिला ने उड़द के पापड़ बनाने का सुझाव दिया, जो सिंधी लोगों के खान-पान का अहम हिस्सा है. इस सुझाव को मानकर आनंद कुमार की माँ ने पापड़ बनाने का काम प्रारंभ किया.

वे पापड़ बनाती और शाम को आनंद कुमार और उनके भाई प्रणव कुमार गली-गली घूमकर ‘आनंद पापड़’ के नाम से वह पापड़ बेचते. इस तरह घर का गुजारा और दोनों भाइयों की पढ़ाई चल रही थी. 

कैम्ब्रिज न जा पाने की टीस आनंद कुमार के मन में दबी हुई थी. एक दिन भाई प्रणव कुमार ने उन्हें हौसला दिया कि क्या हुआ जो आप कैम्ब्रिज न जा सके. जहाँ हैं वहीं से कुछ करने का प्रयास कीजिये. हिम्मत और जूनून हो, तो जहाँ हैं वहीं से आसमान की ऊँचाइयाँ छुई जा सकती हैं. यहाँ रहकर भी आप दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शिक्षक बन सकते हैं. भाई प्रणव की बात आनंद कुमार के मन में घर कर गई और उन्होंने गणित की ट्यूशन क्लासेस प्रारंभ की.

रामानुज स्कूल ऑफ़ मैथेमेटिक्स की स्थापना

आनंद कुमार की कक्षा में प्रारंभ में मात्र ३ बच्चे पढ़ने आये. लेकिन धीरे-धीरे यह संख्या बढ़ने लगी. आनंद कुमार के पढ़ाने के तरीके की चर्चायें होने लगी. वे छात्रों को रुचिकर ढंग से और प्रेरित करते हुए पढ़ाते थे. नतीज़ा ये हुआ कि मात्र तीन सालों में छात्रों की संख्या ३ से ५०० हो गई.

इस क्लास का नाम उन्होंने ‘रामानुजन स्कूल ऑफ़ मैथेमेटिक्स’ (Ramanujan School Of Mathematics) रखा. प्रारंभ में ५०० रूपये की सालाना फीस पर यहाँ गणित, रसायन और भौतिकी की शिक्षा छात्रों को दी जाने लगी. यहाँ के छात्रों को IIT (Indian Institute Of Technology) और JEE (Joint Entrance Examination) जैसी टॉप इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश की परीक्षाओं के लिए तैयार किया जाता है.

सुपर ३० की स्थापना

यह वर्ष २००० की बात है. एक गरीब छात्र आनंद कुमार के पास आया. वह IIT की तैयारी करना चाहता था. लेकिन उसके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत ख़राब थी और वह ‘रामानुजन स्कूल ऑफ़ मैथेमेटिक्स’ (Ramanujan School Of Mathematics) की ट्यूशन फीस देने में असमर्थ था. उसे देख आनंद कुमार को अपना बचपन याद गया. उन्हें लगा कि पैसे के अभाव में किसी होनहार छात्र का भविष्य बर्बाद नहीं होना चहिये और उन्होंने उस छात्र को बिना पैसे लिए पढ़ाया. उस छात्र का चयन IIT में हो गया.

उस गरीब छात्र की सफ़लता देख आनंद कुमार ने सोचा कि क्यों न ऐसा एक कोचिंग संस्थान प्रारंभ किया जाये, जहाँ ऐसे ही आर्थिक रूप से कमज़ोर बच्चों को मुफ़्त में IIT (Indian Institutes Of Technology) और JEE (Joint Entrance Examination) की तैयारी कराई जाये. भाई प्रणव कुमार और माँ का भी साथ उन्हें मिला.

आनंद कुमार और उनके भाई प्रणव कुमार ने तय किया कि एक प्रवेश परीक्षा लेकर ३० गरीब बच्चों को चुना जायेगा और उन्हें पढ़ाने से लेकर रहने-खाने की सारी सुविधायें उनको प्रदान की जायेगी. इन कार्य में आनंद कुमार की माँ भी सामने आई और उन्होंने ऐसे बच्चों के लिए खाना बनाने की ज़िम्मेदारी अपने हाथों में ले ली.

इस तरह वर्ष २००२ से ‘सुपर ३०’ (Super 30) की शुरुवात हुई. इसका सारा मैनेजमेंट आनंद कुमार के भाई प्रणव कुमार देखते है. ‘सुपर ३०’ (Super 30) के पहले साल ३० में से लगभग २६ छात्रों का चयन IIT में हुआ. वर्ष २००३ से लेकर २०१७ तक ४८० छात्रों में से ४२२ छात्रों का चयन भारत के टॉप इंजीनियरिंग कॉलेजों में हुआ है. यहाँ से हर साल २७ से ३० बच्चों का चयन IIT और अन्य इंजीनियरिंग कॉलेजों में होता है.

‘सुपर ३०’ (Super 30) की सफ़लता देखकर कई सरकारी और प्राइवेट संस्थायें वित्तीय सहायता के लिए सामने आई, लेकिन आनंद कुमार ने कोई भी सहायता लेने से इंकार कर दिया. वे अपने दम पर ही इस संस्थान को चलाना चाहते हैं. ‘सुपर ३०’ का मैनेजमेंट ‘रामानुजन स्कूल ऑफ़ मैथेमेटिक्स’ (Ramanujan School Of Mathematics) से मिलने वाली फीस के पैसों से होता है.

आज ‘सुपर ३०’ (Super 30) में पढ़ने वाले छात्र देश-विदेश की बड़ी-बड़ी कंपनियों में उच्च पदों पर कार्यरत हैं और इस तरह यह संस्थान निःस्वार्थ भाव से आर्थिक रूप से कमज़ोर छात्रों का भविष्य सुधारने में लगा हुआ है.  

सुपर ३० को मिली पहचान और प्रशंषा

  • सुपर ३० पर डिस्कवरी चैनल (Discover Channel) ने मार्च २००९ में एक ३ घंटे का कार्यक्रम प्रसारित किया. इस कार्यक्रम में आनंद कुमार और उनके संस्थान ‘सुपर ३०’ (Super 30) के बारे में विस्तार से दिखाया गया.
  • वर्ष २००९ में अमरीकी समाचार पत्र ‘द न्यूयार्क टाइम्स’ (The New York Times) ने आनंद कुमार के बारे में आधे पन्ने का लेख प्रकाशित किया.
  • पूर्व मिस जापान और अभिनेत्री नोरिका फुजिवारा (Norika Fujiwara) ने पटना आकर आनंद कुमार के कार्यों पर एक शॉर्ट फिल्म बनाई.
  • आनंद कुमार को BBC के कार्यक्रमों में भी स्थान प्राप्त हुआ.
  • आनंद कुमार के ‘सुपर ३०’ (Super 30) का नाम ‘लिम्का बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ (Limca Book Of World Record) में भी दर्ज है.
  • टाइम पत्रिका (Time Magazine) ने वर्ष २०१० में आनंद कुमार के गरीब छात्रों की शैक्षणिक उन्नति के लिए चलाये जा रहे संस्थान ‘सुपर ३०’ (Super 30) को ‘बेस्ट ऑफ़ एशिया २०१०’ (Best Of Asia 2010) की सूची में सूचीबद्ध किया.
  • न्यूज़ वीक पत्रिका (Newsweek Magazine) ने आनंद कुमार के कार्यों को देखते हुए ‘सुपर ३०’ (Super 30) को चार सर्वाधिक अभिनव संस्थान (Innovative School) में स्थान दिया.
  • पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा (Barack Obama) के विशेष सलाहकार राशिद हुसैन (Rashid Hussain) ने ‘सुपर ३०’ को देश का सर्वश्रेष्ठ संस्थान कहा है.
  • आनंद कुमार को जर्मनी के सैक्सोनी प्रान्त के शिक्षा विभाग द्वारा सम्मानित किया गया है. इसके अलावा ब्रिटेन, कोलंबिया, कनाडा के शिक्षा मंत्रालय द्वारा भी आनंद कुमार को सम्मानित किया गया.
  • संयुक्त राष्ट्र की मैगजीन ‘मोनोकले’ (Monocle) द्वारा आनंद कुमार को विश्व के २० अग्रणी शिक्षकों की सूची में शामिल किया गया है.
  • आनंद कुमार भारतीय प्रबंध संस्थान अहमदाबाद, कई आईआईटी कॉलेजों, ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय, टोक्यो विश्वविद्यालय तथा स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय में अपने अनुभवों के बारे में भाषण दे चुके है.

आनंद कुमार को मिले पुरूस्कार (Anand Kumar’s Award)

  • २०१० में भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद के द्वारा उन्हें “राष्ट्रीय बाल कल्याण पुरूस्कार” (National Award For Child Welfare) प्रदान किया गया है.
  • आनंद कुमार को बिहार के सर्वोच्च पुरुस्कार ‘मौलाना अबुल कलाम आज़ाद शिक्षा पुरूस्कार’ (Maulana Abul Kalam Azad Shiksha Award) भी प्राप्त हुआ.
  • २०१० में ही इंस्टिट्यूट ऑफ़ रिसर्च एंड डॉक्यूमेंटेशन इन सोशल साइंसेज (Indian Institute Of Research & Documentation In Social Sciences) द्वारा आनंद कुमार को ‘रामानुजन पुरुस्कार’ (Ramanujan Award) से नवाज़ा.
  • मध्यप्रदेश सरकार द्वारा उन्हें ‘महर्षि वेद व्यास पुरूस्कार’ (Maharshi Vedvyas Award)  से सम्मानित किया गया.
  • भारत के राजकोट में संपन्न ८वें राष्ट्रीय गणित सम्मलेन में आनंद कुमार को ‘रामानुजन गणित पुरूस्कार’ (Ramanujan Award For Mathematics) से सम्मानित किया गया.
  • २०१० में ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद आनंद कुमार को बैंगलोर में ‘प्रोफेसर यशवंत राव केलकर युवा पुरुस्कार’ (Professor Yashwant Rao Kelkar youth Award) दिया गया.
  • बैंक ऑफ़ बड़ोदा मुंबई (Bank Of Baroda Mumbai) द्वारा आनंद कुमार को ‘बड़ौदा सन लाइफ अचीवमेंट अवार्ड (Baroda Sun Life Achievement Award) से सम्मनित किया गया.
  • कोयम्बटूर (Coimbatore) की कर्पगम यूनिवर्सिटी (Karpagam University) द्वारा उन्हें डायरेक्टरेट ऑफ़ साइंस (Directorate Of Science) की उपाधि प्रदान की गई.

कौन बनेगा करोड़पति शो में शिरकत (Anand Kumar In KBC)

आनंद कुमार को महानायक अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) के शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ (Kaun Banega Karodpati) में विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया. २ सितंबर २०१७ को प्रसारित इस शो में आनंद कुमार ‘सुपर ३०’ (Super 30) से निकले और एक बड़ी कंपनी नें कार्यरत छात्र अनूप कुमार के साथ पहुँचे. इस जोड़ी के द्वारा रू० २५ लाख की राशि जीती गई, जो इनके संस्थान ‘सुपर ३०’ के छात्रों की पढ़ाई के लिए खर्च की जायेगी.   

आनंद कुमार के जीवन पर आधारित फिल्म ‘सुपर ३०’ फिल्म 

आनंद कुमार के जीवन पर आधारित एक हिंदी फिल्म का भी निर्माण किया किया गया है, जिसका नाम ‘सुपर ३०’ (Super 30) है. इन फिल्म में सुपरस्टार ऋतिक रोशन (Hrithik Roshan) आनंद कुमार का किरदार निभाते नज़र आयेंगे. उनके साथ नज़र आयेंगी मृणाल ठाकुर (Mrunal Thakur). फिल्म का निर्देशन विकास बहल (Vikas Bhel) कर रहे हैं. इस फिल्म की शूटिंग का कुछ हिस्सा ‘बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय‘ (Banaras Hindu University) में फिल्माया गया है. यह पहली ऐसी फिल्म है, जिसकी शूटिंग के लिए बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय ने अनुमति प्रदान की है. फिल्म मुख्यतः रामनगर फोर्ट (Ramanar Fort) में शूट की गई है, जिसके एक हिस्से को सुपर ३० कोचिंग संस्थान के रूप में दिखाया गया है. फिल्म की शूटिंग कुछ दिन के लिए सांभर लेक टाउन में भी की गई है, जिसे कोटा (राजस्थान) के रूप में दिखाया गया है. इस फिल्म के लिए मुंबई में ही १० करोड़ की लगत से एक सेट लगाया गया है, जिसको पटना (Patna) शहर के रूप में ढाला गया है. इस फिल्म ने अच्छा बिज़नस किया है.  

आर्थिक रूप से कमज़ोर बच्चों के लिए आनंद कुमार एक मसीहा है, जिन्होंने अपने ‘सुपर ३०’ (Super 30) संस्थान के ज़रिये उनका भविष्य सुधारने में अपना जीवन समर्पित कर दिया है. यह एक सराहनीय प्रयास है, जिसके लिए आनंद कुमार प्रशंषा के पात्र है.

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