बच्चों की बाल कहानियाँ (Bachchon Ki Baal Kahaniyan) इस पोस्ट में शेयर की जा रही है।
Bachchon Ki Baal Kahaniyan
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1. चींटी और कबूतर
जंगल के बीचोबीच एक नदी बहती थी। इस नदी के पास कई जीव-जन्तु पानी पीने आते थे। एक दिन, एक छोटी चींटी नदी के किनारे पानी पीने के लिए आई। जैसे ही उसने पानी पिया, अचानक उसका पैर फिसल गया और वह नदी में गिर गई। चींटी ने अपने आप को बचाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह नदी की तेज धारा में बहने लगी।
तभी, एक कबूतर जो एक पेड़ की डाल पर बैठा था, उसने चींटी को डूबते हुए देखा। कबूतर ने तुरंत एक बड़ा पत्ता तोड़ा और उसे नदी में डाल दिया। चींटी पत्ते पर चढ़ गई और धीरे-धीरे किनारे की ओर बहने लगी। आखिरकार, चींटी सुरक्षित किनारे पर पहुँच गई और उसने कबूतर का धन्यवाद किया।
चींटी ने कबूतर से कहा, “तुमने मेरी जान बचाई है। मैं तुम्हारी मदद कभी नहीं भूलूँगी।” कबूतर ने मुस्कुराते हुए कहा, “यह मेरा कर्तव्य था। हमें एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए।”
कुछ दिन बाद, जंगल में एक शिकारी आया। उसने कबूतर को पकड़ने के लिए एक जाल लगाया। कबूतर ने शिकारी को देखा और तुरंत उड़ गया। लेकिन शिकारी ने अपने जाल को कबूतर के पीछे फेंक दिया और कबूतर उसमें फंस गया। कबूतर ने जोर से चिल्लाना शुरू किया।
चींटी ने कबूतर की आवाज सुनी और तुरंत उसकी मदद के लिए दौड़ी। उसने शिकारी के पैर पर चढ़कर उसे जोर से काट लिया। शिकारी ने दर्द से कराहते हुए अपना पैर झटका और कबूतर को छोड़ दिया। कबूतर ने उड़कर अपनी जान बचाई और चींटी का धन्यवाद किया।
उस दिन के बाद से, चींटी और कबूतर अच्छे दोस्त बन गए और वे एक-दूसरे की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहते थे। चींटी ने सीखा कि छोटी-सी मदद भी बड़े काम आ सकती है, और कबूतर ने सीखा कि सच्चे दोस्त हमेशा मुसीबत में साथ होते हैं।
सीख: सच्ची मित्रता और मदद एक-दूसरे के प्रति समर्पण और सहयोग का प्रतीक होती है। हमें एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए और मित्रता को महत्व देना चाहिए।
2. खरगोश और कछुआ
एक हरे-भरे जंगल में एक घमंडी खरगोश रहता था। वह हमेशा अपनी तेज दौड़ने की क्षमता पर गर्व करता था और अन्य जानवरों को चिढ़ाता था। एक दिन, खरगोश ने एक धीमे और स्थिर कछुए को देखा। उसने कछुए का मजाक उड़ाते हुए कहा, “तुम बहुत धीमे हो! क्या तुम कभी दौड़ सकते हो?”
कछुआ मुस्कुराया और शांति से जवाब दिया, “हाँ, मैं दौड़ सकता हूँ। चलो, हम दौड़ लगाते हैं और देखते हैं कि कौन जीतता है।” खरगोश ने हँसते हुए कहा, “तुम मुझसे दौड़ में जीतोगे? यह मजाक है!”
दौड़ शुरू होने का समय आया। सभी जानवरों ने उत्सुकता से देखा। दौड़ शुरू होते ही खरगोश तेजी से दौड़ पड़ा और बहुत आगे निकल गया। उसने सोचा कि कछुआ तो बहुत पीछे रह जाएगा, इसलिए उसने एक पेड़ के नीचे आराम करने का फैसला किया। उसने सोचा, “कछुआ अभी तक यहाँ नहीं पहुंचा होगा। मैं थोड़ी देर सो जाता हूँ।”
इधर, कछुआ धीरे-धीरे लेकिन लगातार चलता रहा। उसने कभी हार नहीं मानी और अपने रास्ते पर दृढ़ता से चलता रहा। थोड़ी देर बाद, कछुआ उस पेड़ के पास पहुंचा जहां खरगोश सो रहा था। उसने बिना रुके आगे बढ़ना जारी रखा।
जब कछुआ फिनिश लाइन के करीब पहुंचा, तब खरगोश की नींद खुली। उसने देखा कि कछुआ फिनिश लाइन के पास पहुंच चुका था। खरगोश ने तेजी से दौड़ने की कोशिश की, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। कछुआ ने फिनिश लाइन पार कर ली और दौड़ जीत गया।
खरगोश ने अपनी हार स्वीकार की और कछुए से माफी मांगी। उसने कहा, “मैंने तुम्हें कम आंका और अपनी घमंड में हार गया। अब मैं समझ गया कि धैर्य और लगातार प्रयास भी जीत दिला सकते हैं।”
कछुआ ने मुस्कुराते हुए कहा, “धन्यवाद! हमें कभी भी हार नहीं माननी चाहिए और हमेशा अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहना चाहिए।”
सीख: धैर्य और लगातार प्रयास हमें सफलता दिला सकते हैं, चाहे हम कितने ही धीमे क्यों न हों। घमंड और अति आत्मविश्वास हमें पीछे कर सकता है।
3. दो दोस्त और भालू
एक गाँव में राम और श्याम नाम के दो अच्छे दोस्त रहते थे। वे हमेशा साथ में खेलते और घूमते थे। एक दिन, उन्होंने जंगल में घूमने का फैसला किया। वे दोनों जंगल में घूमते-घूमते बातें कर रहे थे और रास्ते का आनंद ले रहे थे।
जंगल के बीचोबीच, अचानक एक बड़ा भालू उनके सामने आ गया। राम और श्याम दोनों डर गए। राम को बचने का कोई उपाय नहीं सूझा और वह जल्दी से एक पेड़ पर चढ़ गया। श्याम पेड़ पर नहीं चढ़ सकता था, इसलिए उसने जल्दी से जमीन पर लेटकर सांस रोक ली। उसने सुन रखा था कि भालू मरे हुए लोगों पर हमला नहीं करता।
भालू ने श्याम को सूंघा और उसे मरा हुआ समझकर छोड़ दिया। राम पेड़ पर से सब देख रहा था और बहुत डर गया था। भालू के जाने के बाद, राम पेड़ से नीचे आया और श्याम से पूछा, “भालू तुम्हारे कान में क्या कह रहा था?”
श्याम ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “भालू ने कहा कि सच्चे दोस्त मुसीबत में साथ नहीं छोड़ते।” राम को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने श्याम से माफी मांगी। श्याम ने उसे माफ कर दिया, लेकिन उसने राम से कहा कि सच्ची मित्रता तभी होती है जब हम एक-दूसरे की मदद करें और साथ रहें।
इस घटना के बाद, राम ने सीखा कि सच्चे दोस्त कभी भी मुसीबत में एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ते। उन्होंने अपनी दोस्ती को और मजबूत किया और हमेशा एक-दूसरे का साथ देने का वादा किया।
सीख: सच्चे दोस्त वही होते हैं जो मुसीबत में एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ते। हमें अपने दोस्तों की मदद करनी चाहिए और उनके साथ हमेशा खड़ा रहना चाहिए।
4. शेर और चूहा
गर्मियों के एक दिन, एक शेर जंगल में सो रहा था। अचानक, एक छोटा चूहा उसके ऊपर से दौड़ने लगा। शेर की नींद टूट गई और उसने चूहे को पकड़ लिया। चूहा डर गया और शेर से गुहार लगाई, “मुझे छोड़ दो। अगर तुम मुझे छोड़ोगे, तो मैं तुम्हारी कभी मदद करूँगा।”
शेर ने हंसते हुए कहा, “तुम जैसे छोटे चूहे मेरी क्या मदद कर सकते हो?” लेकिन उसने चूहे को छोड़ दिया और उसे जाने दिया। चूहा बहुत खुश हुआ और उसने शेर का धन्यवाद किया।
कुछ दिन बाद, शेर जंगल में घूम रहा था। अचानक, वह एक शिकारी के जाल में फंस गया। शेर ने जोर-जोर से गरजना शुरू किया। चूहे ने शेर की आवाज सुनी और तुरंत उसकी मदद के लिए दौड़ा। उसने देखा कि शेर जाल में फंसा हुआ है और उसकी मदद की जरूरत है।
चूहे ने अपने नुकीले दांतों से जाल को काटना शुरू किया। उसने पूरी मेहनत से जाल को काटा और अंत में शेर को आजाद कर दिया। शेर ने चूहे का धन्यवाद किया और कहा, “मैंने तुम्हें छोटा समझा था, लेकिन तुमने मुझे बचाकर यह साबित कर दिया कि मदद किसी भी आकार की हो सकती है।”
चूहे ने मुस्कुराते हुए कहा, “हमें कभी किसी को छोटा नहीं समझना चाहिए। हर कोई किसी न किसी तरीके से मदद कर सकता है।”
शेर और चूहा अच्छे दोस्त बन गए और वे हमेशा एक-दूसरे की मदद करने के लिए तैयार रहते थे। शेर ने सीखा कि हमें किसी की क्षमता को कम नहीं आंकना चाहिए और सच्ची मित्रता का मूल्य समझना चाहिए।
सीख: हमें कभी भी किसी को छोटा नहीं समझना चाहिए। हर किसी में किसी न किसी तरीके से मदद करने की क्षमता होती है। सच्ची मित्रता में एक-दूसरे की मदद करना महत्वपूर्ण होता है।
5. लालची कुत्ता
एक बार एक कुत्ता था जो हमेशा खाने के लिए लालची था। एक दिन, उसे एक बड़ी हड्डी मिली। वह बहुत खुश हुआ और हड्डी को मुंह में पकड़कर नदी के पास चला गया। वह नदी पार करने के लिए एक लकड़ी के पुल पर चढ़ा। जब उसने पानी में देखा, तो उसने अपनी परछाईं देखी।
कुत्ते ने सोचा कि पानी में दूसरा कुत्ता है जिसके पास और भी बड़ी हड्डी है। लालच में, कुत्ते ने सोचा कि वह उस दूसरी हड्डी को भी पा सकता है। उसने जैसे ही भौंकने की कोशिश की, उसकी मुंह की हड्डी पानी में गिर गई और नदी में बह गई। अब कुत्ता खाली हाथ रह गया। उसने अपनी गलती पर पछताया, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी।
कुत्ते ने सीखा कि लालच करने से कुछ भी हासिल नहीं होता, बल्कि जो हमारे पास होता है वह भी खो जाता है। वह उदास होकर घर लौट आया और उसने खुद से वादा किया कि वह कभी लालच नहीं करेगा। उसके बाद से, वह कुत्ता संतोषी हो गया और जो भी मिला, उसमें खुश रहने लगा।
सीख: लालच बुरी बला है। हमें जो है, उसमें संतोष करना चाहिए और अधिक पाने की चाह में अपने पास जो है, उसे नहीं खोना चाहिए।
6. ईमानदार लकड़हारा
एक दिन, एक ईमानदार लकड़हारा जंगल में पेड़ काट रहा था। वह बहुत मेहनती और सच्चा आदमी था। काम करते-करते उसकी कुल्हाड़ी नदी में गिर गई। लकड़हारा बहुत दुखी हो गया क्योंकि कुल्हाड़ी उसकी आजीविका का साधन थी। वह नदी के किनारे बैठकर रोने लगा।
उसकी सच्चाई और दुख को देखकर नदी की देवी प्रकट हुईं। उन्होंने लकड़हारे से पूछा, “तुम क्यों रो रहे हो?” लकड़हारे ने अपनी कहानी बताई। देवी ने उसे सांत्वना दी और नदी में डुबकी लगाई। जब वे ऊपर आईं, तो उनके हाथ में सोने की कुल्हाड़ी थी।
देवी ने पूछा, “क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?” लकड़हारे ने ईमानदारी से कहा, “नहीं, यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं है।” देवी ने फिर से नदी में डुबकी लगाई और इस बार उनके हाथ में चांदी की कुल्हाड़ी थी। उन्होंने पूछा, “क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?” लकड़हारे ने फिर से मना कर दिया।
आखिरकार, देवी ने लकड़हारे की अपनी कुल्हाड़ी नदी से निकाली और उसे दी। लकड़हारा बहुत खुश हुआ और देवी का धन्यवाद किया। उसकी ईमानदारी से प्रभावित होकर, देवी ने उसे सोने और चांदी की कुल्हाड़ियाँ भी दे दीं।
लकड़हारा खुशी-खुशी घर लौटा और उसने सभी को अपनी कहानी सुनाई। उसकी ईमानदारी का सभी ने प्रशंसा की और वे भी सच्चाई और ईमानदारी का महत्व समझने लगे।
सीख: ईमानदारी सबसे बड़ी संपत्ति है। सच्चाई और ईमानदारी हमें जीवन में खुशियाँ और सम्मान दिलाते हैं।
7. दो बकरियों की कहानी
एक बार की बात है, दो बकरियां एक तंग पुल पर आमने-सामने आ गईं। पुल इतना संकरा था कि दोनों बकरियां एक साथ नहीं गुजर सकती थीं। दोनों में से कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं थी और वे एक-दूसरे को धकेलने लगीं। अचानक, उनका संतुलन बिगड़ गया और दोनों नदी में गिरकर बह गईं।
कुछ समय बाद, फिर से दो बकरियां उसी पुल पर मिलीं। इस बार, वे समझदार थीं और जान गईं कि झगड़े से कुछ नहीं मिलता। एक बकरी ने झुककर दूसरी को जाने दिया और वे दोनों सुरक्षित पुल पार कर गईं। इस घटना के बाद, उन्होंने समझ लिया कि सहयोग और समझदारी से ही समस्याओं का हल निकलता है।
सीख: समझदारी और सहयोग से समस्याओं का हल निकाला जा सकता है। झगड़े और जिद से हमें कुछ भी हासिल नहीं होता।
8. चतुर लोमड़ी और कौआ
एक दिन, एक कौआ एक पेड़ की डाल पर बैठा था, उसके मुंह में रोटी का टुकड़ा था। नीचे खड़ी लोमड़ी ने उसे देखकर सोचा कि यह रोटी मुझे चाहिए। उसने कौए की तारीफ करनी शुरू कर दी, “कौआ भाई, तुम्हारी आवाज बहुत सुंदर है। क्या तुम एक गाना गाओगे?”
कौआ लोमड़ी की बातों में आ गया और गाने के लिए जैसे ही उसने मुंह खोला, रोटी गिर गई। लोमड़ी ने तुरंत रोटी उठाई और भाग गई। कौआ समझ गया कि तारीफ में भी चालाकी हो सकती है। उसने अपनी गलती से सीख ली और अगली बार अधिक सावधान रहने का निर्णय लिया।
सीख: हमें हमेशा सतर्क रहना चाहिए और दूसरों की मीठी बातों में नहीं आना चाहिए। हर किसी की बातों पर बिना सोचे-समझे भरोसा नहीं करना चाहिए।
9. सच्चा दोस्त
एक गाँव में राम और श्याम नाम के दो दोस्त रहते थे। एक दिन, राम बहुत बीमार हो गया और उसे महंगी दवा की जरूरत पड़ी। श्याम को पता चला कि राम की हालत गंभीर है, लेकिन राम के पास दवा खरीदने के लिए पैसे नहीं थे। श्याम ने अपने पास थोड़े पैसे बचाए थे जो उसने किसी विशेष काम के लिए रखे थे, लेकिन उसने बिना सोचे-समझे वे पैसे राम को दे दिए।
राम ने दवा खरीदी और धीरे-धीरे उसकी तबीयत में सुधार होने लगा। राम ने महसूस किया कि श्याम ने उसकी जान बचाई है और उसके पैसे देकर उसकी मदद की है। उसने श्याम का धन्यवाद किया और समझा कि सच्चा दोस्त वही है जो मुसीबत में साथ खड़ा रहता है।
श्याम ने राम से कहा, “दोस्ती का असली मतलब यही है कि हम एक-दूसरे की मदद करें और हमेशा साथ रहें।” राम ने श्याम से वादा किया कि वह हमेशा उसका साथ देगा और कभी उसे अकेला नहीं छोड़ेगा। इस घटना के बाद, उनकी दोस्ती और मजबूत हो गई।
सीख: सच्ची मित्रता का मतलब एक-दूसरे की मदद करना और मुश्किल समय में साथ खड़ा रहना होता है। दोस्तों की मदद करना सबसे बड़ी संपत्ति है।
10. हाथी और चूहे
एक जंगल में हाथियों का एक झुंड रहता था। वहीं पास में चूहों का भी एक समूह रहता था। एक दिन, हाथियों ने गलती से चूहों के बिल रौंद दिए। चूहों ने हाथियों से विनती की कि वे उनके घर न रौंदें। हाथियों ने माफी मांगी और वादा किया कि वे ऐसा नहीं करेंगे।
कुछ दिन बाद, हाथी शिकारी के जाल में फंस गए। चूहों ने अपने नुकीले दांतों से जाल को काटकर उन्हें आजाद कर दिया। हाथियों ने चूहों का धन्यवाद किया और दोनों अच्छे दोस्त बन गए। चूहों ने हाथियों को सिखाया कि हर किसी की मदद करने की क्षमता होती है, चाहे वह कितना भी छोटा क्यों न हो।
सीख: हमें कभी भी किसी को छोटा नहीं समझना चाहिए। हर किसी में किसी न किसी तरीके से मदद करने की क्षमता होती है। सच्ची मित्रता में एक-दूसरे की मदद करना महत्वपूर्ण होता है।
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