बादशाह और फ़कीर की कहानी | Badshah Aur Fakeer Story

फ्रेंड्स, हम बादशाह और फ़कीर की कहानी (Badshah Aur Fakeer Story) इस पोस्ट में शेयर कर रहे हैं। Raja Aur Fakeer Ki Kahani एक शिक्षाप्रद Dosti Story है, जो दोस्ती में भरोसे का महत्व बताती है। पढ़िए Friendship Story Hindi :

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Badshah Aur Fakeer Story Hindi 

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Badshah Aur Fakeer Story
Badshah Aur fakeer

एक बादशाह और गूंगे फकीर में गहरी मित्रता थी। बादशाह फकीर से अपने दिल की हर बात कहता और फकीर मुस्कुराते हुए सुनता। 

बादशाह को उसका साथ इतना भाने लगा कि उसने उसकी रहने की व्यवस्था अपने महल में करवा दी थी। फकीर राजा के साथ महल में रहने लगा। समय गुजरता गया और राजा का उसके प्रति प्रेम बढ़ता गया।

एक दिन बादशाह अपने काफ़िले के साथ राज्य भ्रमण पर निकला। फकीर भी उसके साथ था। शाम को वे राज्य के अंतिम छोर तक के गांवों की स्थिति जानकर वापस लौट रहे थे। रास्ते में घना जंगल पड़ा। बादशाह का काफिला रास्ता भटक गया। 

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बादशाह ने अपने सारे सैनिकों को रास्ता ढूंढने के लिए चारों दिशाओं में भेज दिया और खुद फकीर के साथ एक पेड़ के नीचे सुस्ताने लगा। उसी पेड़ पर एक फल लगा हुआ था। बादशाह और फकीर दोनों भूखे थे। बादशाह ने पेड़ पर चढ़कर फल तोड़ लिया और उसके छः टुकड़े कर दिए – तीन अपने लिए तीन फकीर के लिए।

अपनी आदत के अनुसार उसने पहला टुकड़ा फकीर को दिया। फकीर फल खाकर मुस्कुराया और अपना हाथ आगे बढ़ा दिया। बादशाह ने दूसरा टुकड़ा भी फकीर को दिया। फकीर फल खाकर मुस्कुराया और फिर से अपना हाथ आगे कर दिया। राजा ने उसे तीसरा टुकड़ा भी दे दिया। एक एक करके फकीर पांच टुकड़े खा गया और छटवे के लिए भी हाथ आगे बढ़ा दिया। 

ये देख बादशाह को बड़ा क्रोध आया। वह बोला, “ये मेरा तुम्हारे प्रति प्रेम है कि मैं तुम्हें अपने महल में अपने साथ रखता हूं। हर सुख सुविधा तुम्हें मुहैया करवाता हूं। पर आज मुझे पता चल गया कि तुम्हारे दिल में मेरे लिए ज़रा भी प्रेम नहीं है। भूखा मैं भी हूं। किंतु तुम इतने स्वार्थी हो कि सारा फल खुद खा जाना चाहते हो। तुम्हारी असलियत मैं जान गया। आज से हमारी दोस्ती खत्म। अभी इसी वक्त मेरी नज़रों से दूर चले जाओ।”

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फकीर चला गया। फकीर के जाने के बाद राजा फल का आखिरी टुकड़ा खाने लगा। लेकिन फल को चबाते ही उसने फल थूक दिया। फल इतना कड़वा था कि उसे खाया ही नहीं जा सकता था। राजा को समझ आ गया कि फकीर क्यों सारे टुकड़े मांग कर खा जाना चाहता था और यह भी कि उसका प्रेम कितना गहरा था।

राजा की दी हर चीज वह खुशी खुशी स्वीकार करता था और सदा मुस्कुराते रहता था। इसलिए जब राजा ने उसे फल दिया, तो वह भी स्वीकार किया और कड़वा होने के बावजूद मुस्कुराते हुए खा गया। वह सारे टुकड़े इसलिए मांगकर खा जाना चाहता था, ताकि राजा को इस बात का पता न चल सके कि वह साधु को कड़वा फल खिला रहा है। जब राजा के दिए मीठे फल उसने खुशी खुशी खाए थे, तो कड़वा क्यों न खाता।

ये बात समझ में आने पर बादशाह पछताने लगा। मगर अब देर हो चुकी थी। अपने संदेह के कारण वह अपना परम मित्र को चुका था।

सीख (Badshah Fakir Story Moral)

दोस्तों, सच्चा दोस्त कभी आपका बुरा नहीं चाहेगा। वह आपको रोकेगा भी तो आपके भले के लिए। सच्ची दोस्ती हमेशा सहेजकर रखें। दोस्ती के फल में संदेह का कीड़ा लग जाए, तो उसे खराब होते देर नहीं लगती। इसलिए जब भी दोस्ती करें, भरोसे की नींव पर करें।

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