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बारिश हुई मोर बना असम की लोक कथा

बारिश हुई मोर बना असम की लोक कथा (Barish Hui Mor Bana Assam Ki Lok Katha) इस पोस्ट में शेयर की

असम की हरी-भरी वादियों और रहस्यमय जंगलों में अनगिनत लोककथाएं बसी हुई हैं। ऐसी ही एक दिलचस्प कथा है “बारिश हुई, मोर बना”, जो प्रकृति की अद्भुतता और उसकी रहस्यमयी शक्तियों की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करती है। पढ़िए Barish Hui Mor Bana Assam Folk Tale Story In Hindi:

Barish Hui Mor Bana Assam Ki Lok KathaBarish Hui Mor Bana Assam Ki Lok Katha

बहुत समय पहले असम के एक छोटे से गाँव में गोपी नाम का एक गरीब लड़का रहता था। गोपी अपनी माँ के साथ एक छोटी सी झोपड़ी में रहता था। उसकी माँ उसे बहुत प्यार करती थी और गोपी भी अपनी माँ की हर बात मानता था। गोपी का एक ही सपना था – एक दिन वह अपनी माँ के लिए कुछ खास करेगा जिससे उनकी जिंदगी बदल जाएगी।

गाँव के पास एक घना जंगल था, जिसमें कई प्रकार के जंगली जानवर रहते थे। गोपी को बचपन से ही जंगल में घूमना बहुत पसंद था। एक दिन गोपी जंगल में घूमते हुए एक बहुत पुराने और विशाल बरगद के पेड़ के पास पहुँचा। उस पेड़ के नीचे एक पत्थर पर कुछ अजीब सी आकृतियाँ बनी हुई थीं। गोपी ने ध्यान से देखा और समझा कि यह कोई साधारण पत्थर नहीं है।

गोपी ने पत्थर को छुआ और अचानक से एक रहस्यमयी आवाज सुनाई दी, “हे बालक, तुमने मेरे पत्थर को छूकर मुझे जगा दिया है। मैं इस पेड़ का आत्मा हूँ। मैं तुम्हें एक वरदान दे सकता हूँ।”

गोपी ने बिना देर किए कहा, “हे देवता, मेरी माँ बहुत दुखी है। मैं चाहता हूँ कि उसके जीवन में खुशी आए।”

पेड़ की आत्मा ने कहा, “तुम्हारे इस निस्वार्थ प्रेम के लिए मैं तुम्हें एक खास वरदान दूंगा। जब भी गाँव में बारिश होगी, तुम एक मोर बन जाओगे। मोर के रूप में तुम सुंदर नृत्य करोगे और तुम्हारी माँ को खुशी मिलेगी। लेकिन याद रखना, यह वरदान केवल बारिश के दौरान ही काम करेगा।”

गोपी ने यह सुनकर आत्मा को धन्यवाद दिया और घर लौट आया। उसने अपनी माँ को कुछ नहीं बताया और सामान्य जीवन जीने लगा।

कुछ दिनों बाद गाँव में बारिश शुरू हुई। गोपी जैसे ही बाहर निकला, वह तुरंत एक सुंदर मोर में बदल गया। मोर बनकर उसने अपने पंख फैलाए और नृत्य करने लगा। गाँव के सभी लोग उसके नृत्य को देख आश्चर्यचकित हो गए। उसकी माँ भी यह देखकर बहुत खुश हुई और उसका दुःख दूर हो गया। वह समझ नहीं पाई कि यह मोर उसका गोपी ही है, लेकिन मोर का नृत्य देखकर उसकी आंखों में चमक आ गई।

हर बार जब बारिश होती, गोपी मोर बन जाता और नृत्य करता। उसकी माँ की खुशी दिन-ब-दिन बढ़ती गई। गाँव के लोग भी इस अद्भुत मोर के नृत्य का आनंद लेने लगे। गोपी का सपना पूरा हो गया था – उसने अपनी माँ के जीवन में खुशी भर दी थी।

एक दिन जब बारिश हो रही थी और गोपी मोर बनकर नृत्य कर रहा था, उसकी माँ ने ध्यान से देखा और महसूस किया कि यह मोर उसका बेटा गोपी ही है। उसने मोर को अपने पास बुलाया और गोपी के सिर पर हाथ रखा। गोपी तुरंत अपने असली रूप में आ गया।

गोपी ने अपनी माँ को सारी कहानी सुनाई और पेड़ की आत्मा के वरदान के बारे में बताया। उसकी माँ बहुत खुश हुई और भगवान का धन्यवाद किया कि उनके बेटे को ऐसा अद्भुत वरदान मिला।

सीख

यह कहानी हमें सिखाती है कि निस्वार्थ प्रेम और समर्पण के कारण चमत्कार हो सकते हैं। गोपी के सच्चे प्रेम और निस्वार्थ भाव ने न केवल उसकी माँ के जीवन में खुशी लाई बल्कि पूरे गाँव में आनंद और उत्सव का माहौल बना दिया। प्रकृति की शक्तियों और आत्माओं का सम्मान और सही उपयोग हमें जीवन में अद्भुत अनुभव दे सकता है।

असम की यह लोककथा “बारिश हुई, मोर बना” हमारे दिलों में प्रेम, समर्पण और निस्वार्थता का महत्व बताती है। गोपी की कहानी हमें यह सिखाती है कि सच्चे प्रेम और समर्पण से जीवन में किसी भी कठिनाई का सामना किया जा सकता है और खुशियों का द्वार खोला जा सकता है।

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