छोटे बच्चों के लिए बेडटाइम स्टोरीज (Bedtime Stories For Toddlers In Hindi) यहां बेहतरीन और संक्षिप्त कहानियाँ दी जा रही हैं, जो छोटे बच्चों के लिए आदर्श हैं। हर कहानी के अंदर नैतिक शिक्षा शामिल है, ताकि बच्चों को सिखाने और प्रेरित करने का काम भी हो सके:
Bedtime Stories For Toddlers In Hindi
Table of Contents
खरगोश और कछुआ
किसी समय एक घने जंगल में एक तेज़ दौड़ने वाला खरगोश और एक धीमा लेकिन धैर्यवान कछुआ रहते थे। खरगोश को अपनी गति पर बहुत घमंड था, जबकि कछुआ शांत स्वभाव का था। एक दिन, खरगोश ने कछुए को चिढ़ाते हुए कहा, “तुम बहुत धीमे हो, तुम कभी दौड़ में जीत नहीं सकते!” कछुए ने धैर्यपूर्वक जवाब दिया, “क्यों न हम एक दौड़ लगाएं और देख लें कौन जीतता है?”
दौड़ की शुरुआत हुई। खरगोश तेजी से दौड़ते हुए काफी आगे निकल गया। जब उसने देखा कि कछुआ बहुत पीछे है, तो उसने सोचा, “कछुआ तो बहुत धीरे-धीरे आ रहा है। मैं आराम से सो जाता हूँ, फिर भी जीत जाऊँगा।” वह एक पेड़ के नीचे सो गया।
कछुआ बिना रुके धीरे-धीरे चलता रहा। वह थका नहीं, न ही उसने बीच में कोई आराम किया। खरगोश गहरी नींद में सोया रहा, और जब वह जागा, तो कछुआ लगभग फिनिश लाइन पर पहुँच चुका था। खरगोश तेजी से दौड़ने लगा, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। कछुआ जीत चुका था!
नैतिक शिक्षा: धैर्य और लगातार मेहनत करने से सफलता मिलती है।
सच्ची दोस्ती
एक घने जंगल में मोहन नाम का एक हिरन और सोनू नाम का एक चूहा रहते थे। दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे। वे हमेशा साथ खेलते और खाते थे। एक दिन, जंगल में एक शिकारी आया। शिकारी ने अपने जाल में मोहन को फँसा लिया। मोहन बहुत घबरा गया और मदद के लिए चिल्लाने लगा।
सोनू ने मोहन की आवाज़ सुनी और तुरंत उसकी मदद करने के लिए दौड़ा। उसने देखा कि मोहन जाल में फँसा है। सोनू ने बिना समय बर्बाद किए अपने तीखे दाँतों से जाल काटना शुरू कर दिया। थोड़ी देर में सोनू ने जाल काट दिया और मोहन को आज़ाद कर दिया।
मोहन ने सोनू का धन्यवाद किया और कहा, “तुम सच्चे दोस्त हो। तुमने मेरी जान बचाई!” सोनू मुस्कुराया और कहा, “दोस्ती का मतलब ही मुश्किल समय में एक-दूसरे की मदद करना होता है।”
नैतिक शिक्षा: सच्ची दोस्ती मुश्किल समय में पहचानी जाती है।
चतुर लोमड़ी और अंगूर
एक बार की बात है, एक जंगल में एक चतुर लोमड़ी रहती थी। एक दिन वह जंगल में घूम रही थी, तभी उसने एक पेड़ की शाखा से लटके हुए मीठे और रसीले अंगूरों का गुच्छा देखा। लोमड़ी को अंगूर बहुत पसंद थे, इसलिए उसने उन्हें तोड़ने की कोशिश की।
लोमड़ी ने कई बार ऊँची छलांग लगाई, लेकिन अंगूर उसकी पहुँच से बाहर थे। उसने बहुत कोशिश की, पर अंगूर तक नहीं पहुँच पाई। थक-हारकर लोमड़ी ने सोचा, “शायद ये अंगूर खट्टे होंगे। इन्हें खाकर क्या फायदा?”
वह अंगूरों को छोड़कर चली गई और खुद को दिलासा देती रही कि अंगूर खट्टे थे। असल में, वह अंगूर तक नहीं पहुँच सकी, इसलिए उसने बहाना बनाया।
नैतिक शिक्षा: जब हम किसी चीज़ को पाने में असफल होते हैं, तो हमें उसे बुरा नहीं कहना चाहिए।
शेर और चूहा
एक बार एक घने जंगल में एक बड़ा शेर आराम से सो रहा था। तभी एक छोटा चूहा उसके ऊपर दौड़ते हुए गलती से शेर को जगा देता है। शेर गुस्से में चूहे को अपने पंजे से पकड़ लेता है और उसे मारने की धमकी देता है।
चूहा डरकर शेर से विनती करता है, “मुझे माफ कर दो! मैं बहुत छोटा हूँ, लेकिन एक दिन मैं तुम्हारी मदद जरूर करूँगा।” शेर को यह सुनकर हंसी आ गई, लेकिन उसने चूहे को छोड़ दिया।
कुछ दिनों बाद, शेर एक शिकारी के जाल में फँस गया। उसने खुद को छुड़ाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह नाकाम रहा। तभी वह चूहा आया और उसने जाल को काटना शुरू किया। कुछ ही समय में शेर आज़ाद हो गया। शेर ने चूहे का धन्यवाद किया और कहा, “तुमने साबित कर दिया कि छोटे जीव भी बड़े काम कर सकते हैं।”
नैतिक शिक्षा: छोटी-छोटी मदद भी बड़ी हो सकती है।
ईमानदार लकड़हारा
एक बार की बात है, एक ईमानदार लकड़हारा नदी के किनारे पेड़ काट रहा था। अचानक उसकी कुल्हाड़ी फिसलकर नदी में गिर गई। लकड़हारा बहुत परेशान हो गया, क्योंकि उसके पास दूसरी कुल्हाड़ी नहीं थी।
तभी नदी से एक जलपरी निकली और लकड़हारे से बोली, “क्या हुआ?” लकड़हारे ने बताया कि उसकी कुल्हाड़ी पानी में गिर गई है। जलपरी ने पानी के अंदर जाकर एक सोने की कुल्हाड़ी निकाली और पूछा, “क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?” लकड़हारे ने कहा, “नहीं, मेरी कुल्हाड़ी लोहे की थी।”
फिर जलपरी ने चाँदी की कुल्हाड़ी निकाली और पूछा, “क्या यह तुम्हारी है?” लकड़हारे ने फिर से मना किया। अंत में, जलपरी ने लोहे की कुल्हाड़ी निकाली। लकड़हारे ने खुशी से कहा, “हाँ, यही मेरी कुल्हाड़ी है।”
उसकी ईमानदारी से खुश होकर जलपरी ने उसे तीनों कुल्हाड़ियाँ इनाम में दे दीं।
नैतिक शिक्षा: ईमानदारी का फल हमेशा मीठा होता है।
सच्ची खुशी
एक छोटे गाँव में राम नाम का एक गरीब किसान रहता था। वह बहुत मेहनत करता था, लेकिन उसे ज्यादा धन नहीं मिल पाता था। एक दिन, उसने सोचा कि वह अपनी किस्मत बदलने के लिए भगवान से प्रार्थना करेगा। वह एक साधु के पास गया और उनसे पूछा, “मुझे सच्ची खुशी कैसे मिलेगी?”
साधु ने उसे एक विशाल पहाड़ की ओर इशारा किया और कहा, “उस पहाड़ पर एक गुफा है, जहाँ एक अनमोल खजाना छिपा है। वह खजाना तुम्हें सच्ची खुशी देगा।” राम ने तुरंत उस पहाड़ की ओर यात्रा शुरू की। वह कई दिनों तक कठिन रास्ते पर चलता रहा और आखिरकार गुफा तक पहुँच गया।
गुफा के अंदर उसे सोने और चांदी के ढेर मिले, लेकिन अचानक उसे याद आया कि उसने गाँव में अपने परिवार को अकेला छोड़ दिया था। उसे चिंता हुई कि वे उसके बिना कैसे होंगे। वह खजाना छोड़कर अपने गाँव वापस लौट आया। जब उसने अपने परिवार को खुश और सुरक्षित देखा, तो उसकी आँखों में आँसू आ गए। उसने समझा कि सच्ची खुशी उसके परिवार के साथ ही थी।
नैतिक शिक्षा: सच्ची खुशी धन में नहीं, बल्कि अपने प्रियजनों के साथ समय बिताने में होती है।
दो बिल्लियाँ और बंदर
एक छोटे से गाँव में दो बिल्लियाँ रहती थीं। एक दिन, उन्हें एक रोटी का टुकड़ा मिला। दोनों उसे खाना चाहती थीं, लेकिन उनमें लड़ाई हो गई कि रोटी का बड़ा हिस्सा कौन खाएगा। काफी देर तक बहस करने के बाद, उन्होंने फैसला किया कि वे किसी और से मदद लेंगे।
वे बंदर के पास गईं, जो बहुत चालाक था। बंदर ने कहा, “मैं तुम दोनों के लिए रोटी के टुकड़े बराबर कर दूँगा।” उसने रोटी को दो हिस्सों में तोड़ा, लेकिन जानबूझकर एक हिस्सा बड़ा और दूसरा छोटा रखा। फिर वह बड़े हिस्से को काटकर खा गया और बोला, “अब ये बड़ा है, इसे ठीक करता हूँ।” इस तरह वह धीरे-धीरे रोटी खाता गया, और आखिर में सिर्फ एक छोटा सा टुकड़ा बचा।
बंदर ने वह टुकड़ा खुद खा लिया और कहा, “अब तो रोटी बराबर हो गई।” बिल्लियों को कुछ भी नहीं मिला और वे समझ गईं कि उन्हें आपस में लड़ाई नहीं करनी चाहिए थी।
नैतिक शिक्षा: जब हम आपस में लड़ते हैं, तो कोई और इसका फायदा उठा सकता है।
गधा और नमक की बोरी
एक व्यापारी अपने गधे के साथ गाँव से शहर नमक लेकर जा रहा था। रास्ते में उन्हें एक नदी पार करनी पड़ी। गधा जैसे ही नदी में उतरा, उसका पैर फिसला और वह पानी में गिर गया। पानी के कारण उसकी पीठ पर लदी नमक की बोरी का काफी हिस्सा घुल गया, जिससे बोरी हल्की हो गई। गधे को यह देखकर अच्छा लगा कि अब उसका भार कम हो गया है।
अगले दिन, व्यापारी ने फिर से नमक लादकर यात्रा शुरू की। इस बार जब वे नदी के पास पहुँचे, तो गधे ने जानबूझकर पानी में गिरने की योजना बनाई ताकि बोरी फिर से हल्की हो जाए। जैसे ही गधा पानी में गिरा, नमक फिर से घुल गया और बोरी हल्की हो गई। व्यापारी समझ गया कि गधा चालाकी कर रहा है।
तीसरे दिन, व्यापारी ने गधे की पीठ पर कपास की बोरी लाद दी। गधा फिर से पानी में गिर गया, लेकिन इस बार कपास ने पानी सोख लिया और बोरी भारी हो गई। गधे को अब पहले से ज्यादा भार उठाना पड़ा और उसने अपनी चालाकी पर पछताया।
नैतिक शिक्षा: चालाकी करना हमेशा फायदेमंद नहीं होता, कभी-कभी उसका उल्टा असर भी हो सकता है।
सुनहरी मछली
एक बार एक गरीब मछुआरा समुद्र के किनारे मछलियाँ पकड़ रहा था। अचानक, उसने एक सुंदर सुनहरी मछली पकड़ ली। मछली ने मछुआरे से कहा, “मुझे छोड़ दो, मैं तुम्हारी मदद करूंगी।” मछुआरा दयालु था, उसने मछली को छोड़ दिया।
सुनहरी मछली ने उसे वादा किया कि जब भी उसे मदद की जरूरत होगी, वह पुकार सकता है। मछुआरा खुशी-खुशी घर लौट गया। कुछ दिनों बाद, उसकी पत्नी ने उससे कहा, “हम बहुत गरीब हैं। सुनहरी मछली से कुछ मांगो।” मछुआरे ने मछली को पुकारा और कहा, “हमें खाने के लिए थोड़ा भोजन चाहिए।” मछली ने उसकी इच्छा पूरी कर दी।
लेकिन उसकी पत्नी लालची हो गई। उसने मछुआरे से बार-बार मछली से और चीजें मांगने को कहा। आखिर में उसने एक महल मांगा। जब मछुआरे ने मछली से यह इच्छा बताई, तो मछली ने कहा, “तुम्हारी इच्छाएँ पूरी नहीं हो सकतीं, क्योंकि तुम संतुष्ट नहीं हो।” महल गायब हो गया और मछुआरा फिर से अपने छोटे घर में लौट आया।
नैतिक शिक्षा: लालच बुरी बला है।
बुद्धिमान ऊँट
एक बार की बात है, एक व्यापारी के पास एक बुद्धिमान ऊँट था। व्यापारी हर दिन ऊँट पर सामान लादकर एक शहर से दूसरे शहर जाता था। ऊँट अपनी समझदारी के लिए मशहूर था। एक दिन व्यापारी ने ऊँट की पीठ पर इतना सामान लाद दिया कि वह बोझ से झुकने लगा।
ऊँट ने व्यापारी से कहा, “यह बहुत भारी है, मुझे इसे उठाने में कठिनाई हो रही है।” लेकिन व्यापारी ने उसकी बात नहीं मानी। ऊँट ने सोचा कि उसे खुद ही कोई उपाय करना होगा। उसने नदी के पास आकर एक विचार किया। वह धीरे-धीरे पानी में उतर गया, जिससे व्यापारी का सामान भीगने लगा। भारी सामान पानी में हल्का हो गया और ऊँट को चलने में आसानी हो गई।
व्यापारी को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने ऊँट पर ज्यादा सामान लादना बंद कर दिया।
नैतिक शिक्षा: हमें अपनी क्षमता से अधिक काम नहीं करना चाहिए और अपनी सीमाओं को समझना चाहिए।
ये कहानियाँ बच्चों के लिए न केवल मनोरंजक हैं, बल्कि उन्हें जीवन के महत्वपूर्ण सबक भी सिखाती हैं।
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