बीता हुआ कल : बुद्ध कथा | Beeta Hua Kal Buddha Katha In Hindi

फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम बीता हुआ कल बुद्ध कथा (Beeta Hua Kal Buddha Katha In Hindi) शेयर कर रहे है.  Beeta Hua Kal Inspiring Buddha Story Hindi. कई बार ऐसा होता है कि हम जीवन में की गई गलतियों को सोच-सोच कर ग्लानि महसूस करते रहते हैं और आगे बढ़ ही नहीं पाते. जबकि उसका कोई औचित्य ही नहीं होता, क्योंकि बीते हुआ कल हमारे वश में नहीं होता. उसे जाकर हम सुधार नहीं सकते. ये भगवन बुद्धा की कहानी हमें जीवन में आगे बढ़ने की सीख देती है.पढ़िये :

Beeta Hua Kal Buddha Katha In Hindi

Beeta Hua Kal Buddha Katha In Hindi
Beeta Hua Kal Buddha Katha In Hindi

भ्रमण करते हुए भगवान बुद्ध एक गाँव में पहुँचे। वहाँ उनका प्रवचन सुनने लोगों की भीड़ लग गई। लोग ध्यान मग्न होकर उनका वचन सुन रहे थे।

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भगवान बुद्ध उन्हें सहनशीलता और क्षमाशीलता का उपदेश दे रहे थे। वे बोले, ” क्रोध अग्नि है। ऐसी अग्नि, जो न केवल दूसरों को जलाएगी, बल्कि स्वयं को भी जलाकर राख कर देगी। इसलिए क्रोध को त्यागकर क्षमाशील और सहनशील बनो।”

प्रवचन सुनने वालों में एक क्रोधी व्यक्ति भी बैठा था। भगवान बुद्ध के वचन सुनकर उसका क्रोध बढ़ने लगा। वह उठ खड़ा हुआ और कर्कश स्वर में बोला, “इतना पाखंडी भिक्षुक मैंने आज तक नहीं देखा। अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए तुम गाँव में भ्रामक बातें फैला रहे हो। तुम्हें लज्जा नहीं आती।”

भगवान बुद्ध ने उसके कटु वचन सुने, किंतु कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। वे उतने ही शांत चित्त दिखाई दे रहे थे, जितने पहले थे। ये देख क्रोधी व्यक्ति का क्रोध और बढ़ गया और वह भगवान बुद्ध के मुख पर थूककर चला गया।

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भगवान बुद्ध तब भी शांत रहे। उन्होंने प्रवचन समाप्त किया और शिष्यों सहित दूसरे गाँव की ओर चल पड़े।

घर आने के बाद क्रोधी व्यक्ति बहुत देर तक भगवान बुद्ध के बारे में सोचता रहा। क्रोधवश वह जाने क्या क्या उन्हें कह आया था, किंतु उन्होंने उसके विरुद्ध कंठ से एक शब्द भी नहीं निकले। उसका क्रोध उतरने लगा और वह मन ही मन पछताने लगा।

वह तत्काल उसी स्थान पर पहुँचा, जहाँ भगवान बुद्ध प्रवचन दे रहे थे। मगर उसे उनके प्रस्थान की सूचना मिली। सारी रात वह स्वयं को कोसता रहा। अगले दिन गाँव वालों से पूछकर वह भागा-भागा पड़ोसी गाँव में पहुँचा, जहाँ भगवान बुद्ध का प्रवचन दे रहे थे।

उसने भगवान बुद्ध के चरण पकड़ लिये और रोते हुए उनसे क्षमा याचना करने लगा। बुद्ध ने विस्मय से उसे देखते हुए पूछा, “कौन हो तुम? क्यों मेरे पैरों में गिरकर क्षमा याचना कर रहे हो। उठ जाओ।”

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उस व्यक्ति को भगवान बुद्ध के मुख पर परिचय के कोई भाव दिखाई न पड़े।

वह बोला, “गुरुवर,! आपने मुझे को पहचाना नहीं। मैं वहीं व्यक्ति हूँ, जिसने कल आपके साथ दुर्व्यवहार किया था। मैं आपसे क्षमा मांगने आया हूँ गुरुवर!”

भगवान बुद्ध ने शांतिभाव से कहा, “बंधु, जिस कल की तुम बात कर रहे हो, वो बीत चुका है। मैं उस कल की सारी घटनायें और बातें छोड़कर आगे बढ़ चुका हूँ। अब मैं वर्तमान में हूँ। तुम क्यों उस कल में ठहरे हुए हो? तुमने कल जो किया, उसका पश्चाताप कर चुके हो। तुम्हारा हृदय शुद्ध हो चुका है। अब उन बातों को वहीं छोड़कर वर्तमान में आ जाओ और अच्छे कर्म करते हुए अपना वर्तमान सुधारो। क्यों बीती हुई बातें स्मरण करके अपना वर्तमान नष्ट करते हो?”

भगवान बुद्ध की बातें सुनकर उस व्यक्ति के नेत्रों से अश्रुधारा बहने लगी। उनका नमन करते हुए वह बोला, “गुरुवर! अब मैं क्रोध को त्यागकर प्रेम और करुणा का जीवन में समावेश करूंगा। अपने कर्मों से जीवन को बेहतर बनाऊंगा, ताकि जीवन में किसी बात का पश्चाताप न रहे।”

सीख (Moral Of Buddha Story Hindi)

मित्रों! प्रायः जीवन में की गई त्रुटियों को हृदय में रखकर हम आजीवन उस ग्लानि रूपी बोझ को ढोते है और पछतावे की आग में जलते रहते हैं। जो त्रुटि हो गई, उसे सुधारा नहीं जा सकता। इसलिए उसे पुनः न दोहराने के संकल्प के साथ हमें जीवन में आगे बढ़ जाना चाहिए। जो बीत चुका है, उस पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं। वर्तमान हमारे नियंत्रण में है। क्यों न अच्छे कर्मों से अपना वर्तमान बेहतर बनायें।

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