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बेर के पेड़ की कहानी | Ber Ke Ped Ki Kahani 

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Ber Ke Ped Ki Kahani 

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Ber Ke Ped Ki Kahani 

एक छोटे से गांव में, जो हरे-भरे खेतों और ऊँचे पहाड़ों से घिरा था, वहाँ एक छोटा लेकिन प्यारा बेर का पेड़ था। यह पेड़ गांव के किनारे पर स्थित था, जहां बच्चे खेलने जाते थे और पशु चरते थे। गांववालों के लिए बेर का पेड़ एक प्रिय स्थान था, खासकर बच्चों के लिए, जो इसके मीठे फलों का आनंद लेते थे।

इस गांव में एक नन्हा लड़का था, जिसका नाम रोहन था। रोहन का कोई भाई-बहन नहीं था और उसके माता-पिता खेतों में काम करने जाते थे। इसलिए, रोहन के पास दिनभर खेलने और मस्ती करने का समय था। लेकिन कभी-कभी वह अकेला महसूस करता था। एक दिन, जब रोहन बहुत उदास था, वह बेर के पेड़ के पास गया और उसकी छांव में बैठ गया। उसे अचानक लगा कि पेड़ उसके साथ बात कर रहा है।

“क्या हुआ रोहन? तुम उदास क्यों हो?” पेड़ ने पूछ लिया।

रोहन ने चौंक कर इधर-उधर देखा, लेकिन उसे कोई नहीं दिखा। फिर उसने पेड़ की ओर देखा और महसूस किया कि पेड़ ही उससे बात कर रहा था। 

“मैं अकेला हूँ,” रोहन ने कहा। “मेरे पास कोई दोस्त नहीं है।”

पेड़ ने मुस्कराते हुए कहा, “मैं तुम्हारा दोस्त बन सकता हूँ। तुम जब चाहो, यहाँ आ सकते हो और मुझसे बातें कर सकते हो।”

रोहन ने खुशी से सिर हिलाया और उस दिन से बेर का पेड़ उसका सबसे अच्छा दोस्त बन गया। वह रोज़ पेड़ के पास जाता, उसके तनों पर बैठता और अपनी कहानियाँ सुनाता।

एक दिन, रोहन ने देखा कि बेर का पेड़ बहुत दुखी है। उसने पेड़ से पूछा, “तुम क्यों उदास हो?”

पेड़ ने कहा, “मुझे इस बात का दुःख है कि मेरे फलों को सिर्फ कुछ ही लोग खाते हैं। मैं चाहता हूँ कि मेरे फल सबको मिलें, ताकि सब खुश रहें।”

रोहन ने सोचा और कहा, “हम इस समस्या का समाधान कर सकते हैं। मैं गांव के सभी बच्चों को यहाँ लाऊंगा और हम सब मिलकर फलों को बाँटेंगे।”

अगले दिन, रोहन ने अपने सभी दोस्तों को बुलाया और उन्हें बेर के पेड़ के बारे में बताया। बच्चे खुशी-खुशी आए और सबने मिलकर बेर के फलों का आनंद लिया। पेड़ को देखकर बहुत खुशी हुई और उसने रोहन को धन्यवाद कहा।

एक बार, गांव में एक बड़ा सूखा पड़ा। गांववाले परेशान हो गए क्योंकि उनकी फसलें सूखने लगीं और पानी की कमी हो गई। रोहन ने सोचा कि वह अपने दोस्त बेर के पेड़ से सलाह लेगा।

रोहन पेड़ के पास गया और पूछा, “हमारे गांव में सूखा पड़ा है। हम क्या करें?”

पेड़ ने शांतिपूर्वक कहा, “प्रकृति को प्यार और सम्मान देने से ही हमें उसका आशीर्वाद मिलता है। गांववाले अगर पेड़-पौधों की रक्षा करेंगे, उन्हें पानी देंगे और ध्यान रखेंगे, तो प्रकृति हमें हमेशा कुछ न कुछ देगी।”

रोहन ने पेड़ की बात गांववालों को बताई। गांव के सभी लोग एकजुट हुए और उन्होंने मिलकर गांव में ज्यादा पेड़ लगाने और पानी का संरक्षण करने का फैसला किया। वे सभी मिलकर दिन-रात मेहनत करने लगे। उन्होंने नदियों और तालाबों की सफाई की और ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए। कुछ समय बाद, बारिश होने लगी और सूखा खत्म हो गया। गांव फिर से हरा-भरा हो गया।

गांव में एक और बच्ची थी, जिसका नाम अंजलि था। अंजलि को पेड़-पौधों से बहुत प्यार था और वह हमेशा चाहती थी कि वह कुछ ऐसा करे जिससे प्रकृति को फायदा हो। एक दिन, वह रोहन से मिली और उसने उसे अपने सपने के बारे में बताया। 

“रोहन, मैं चाहती हूँ कि हम एक बगीचा बनाएं, जहाँ हर तरह के पेड़-पौधे हों और बच्चे वहां खेल सकें,” अंजलि ने कहा।

रोहन ने उत्साहित होकर कहा, “यह बहुत अच्छा विचार है! हम इसे जरूर करेंगे।”

दोनों बच्चों ने मिलकर गांव के बाकी बच्चों को अपने विचार के बारे में बताया। सभी बच्चे बहुत उत्साहित हुए और उन्होंने मिलकर बगीचा बनाने की तैयारी शुरू कर दी। वे गांव के बड़े-बुजुर्गों से मदद मांगने गए, और सबने खुशी-खुशी उनकी मदद की।

बगीचे का काम शुरू हुआ। बच्चे रोज़ाना मिलकर जमीन तैयार करते, पौधों को लगाते और पानी देते। उन्होंने बेर के पेड़ को भी अपने बगीचे का हिस्सा बनाया। धीरे-धीरे बगीचा एक सुंदर रूप लेने लगा। 

बगीचे में फूलों के पौधे, फलों के पेड़ और सब्जियों की क्यारियाँ लगीं। बच्चे हर दिन वहां आकर काम करते और खेलते। गांव के लोग भी इस बगीचे को देखकर बहुत खुश हुए और उन्होंने बच्चों की प्रशंसा की।

एक दिन, जब बगीचा पूरी तरह से तैयार हो गया, बच्चों ने एक बड़ा उत्सव मनाया। उन्होंने बेर के पेड़ के नीचे एक छोटी सी सभा की और वहां अपनी सफलता का जश्न मनाया। 

बेर के पेड़ ने बच्चों से कहा, “तुम सबने मिलकर जो काम किया है, वह बहुत महान है। तुम्हारे इस प्रयास से न सिर्फ गांव हरा-भरा हुआ है, बल्कि तुमने एक मिसाल भी कायम की है। हमेशा याद रखना कि जब भी हम प्रकृति की सेवा करते हैं, वह हमें उसका आशीर्वाद जरूर देती है।”

बच्चों ने पेड़ की बातों को दिल से सुना और वादा किया कि वे हमेशा प्रकृति की रक्षा करेंगे और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करेंगे।

इस प्रकार, बेर का पेड़ बच्चों के जीवन में न सिर्फ एक मित्र बनकर आया, बल्कि उसने उन्हें जीवन की महत्वपूर्ण सीख भी दी। रोहन, अंजलि और गांव के अन्य बच्चों ने मिलकर न सिर्फ अपने गांव को हरा-भरा बनाया, बल्कि एक ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया जिसे देखकर अन्य गांवों के लोग भी प्रेरित हुए।

बच्चों ने समझा कि जब हम प्रकृति का सम्मान करते हैं और उसकी रक्षा करते हैं, तो वह हमें हमेशा खुशहाल और समृद्ध रखती है। बेर के पेड़ ने अपनी छोटी-सी कहानियों और सीखों से बच्चों को यह अनमोल ज्ञान दिया, जिसे वे जीवन भर याद रखेंगे।

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