बेजुबान गवाह तेनालीराम की कहानी (Bezuban Gawah Tenaliram Ki Kahani) तेनालीराम, विजयनगर साम्राज्य के सबसे चतुर और प्रसिद्ध दरबारी, अपनी बुद्धिमत्ता और हाजिरजवाबी के लिए जाने जाते हैं। उनकी कहानियाँ न केवल मनोरंजक होती हैं, बल्कि जीवन के महत्वपूर्ण सबक भी सिखाती हैं। आज की इस कहानी में, तेनालीराम ने अपनी सूझ-बूझ से एक ऐसे मामले को सुलझाया, जिसमें कोई इंसान गवाह नहीं था, लेकिन उन्होंने एक बेजुबान गवाह के जरिए सच उजागर किया।
Bezuban Gawah Tenaliram Ki Kahani
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एक दिन विजयनगर साम्राज्य में खबर फैली कि एक अमीर व्यापारी की उसके घर में हत्या कर दी गई है। पूरा गाँव स्तब्ध था। राजा कृष्णदेवराय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच का जिम्मा तेनालीराम को सौंपा।
व्यापारी के घर पहुंचकर तेनालीराम ने चारों ओर बारीकी से निरीक्षण किया। घर के अंदर खून के धब्बे थे, लेकिन कोई गवाह या सबूत नहीं था। केवल व्यापारी का पालतू तोता एक पिंजरे में बैठा हुआ था।
तेनालीराम ने घर के नौकरों और पड़ोसियों से पूछताछ की। हर कोई व्यापारी की ईमानदारी और अच्छे स्वभाव की तारीफ कर रहा था। लेकिन किसी ने भी हत्या का कोई सुराग नहीं दिया।
तभी तेनालीराम की नजर पिंजरे में बंद तोते पर गई। उसने देखा कि तोता बार-बार कुछ शब्द दोहरा रहा था,
“मारो मत! बचाओ! मैं सब बता दूंगा!”
तेनालीराम को समझ में आ गया कि यह तोता कुछ महत्वपूर्ण जानता है।
तेनालीराम ने तोते को ध्यान से सुनना शुरू किया। तोता लगातार दोहराता रहा,
“मारो मत! बचाओ! रामू, तुमने क्यों किया?”
तोते के शब्द सुनकर तेनालीराम को पहली बार एक नाम मिला—*रामू*। उन्होंने तुरंत नौकरों की सूची की जांच की। रामू व्यापारी का पुराना नौकर था, जिसने कुछ दिनों पहले अचानक नौकरी छोड़ दी थी।
तेनालीराम ने राजा कृष्णदेवराय को यह बात बताई। राजा ने तुरंत सैनिकों को रामू को ढूंढने का आदेश दिया। रामू को कुछ ही दिनों में पकड़ लिया गया और दरबार में लाया गया।
रामू ने पहले तो अपनी बेगुनाही का दावा किया, लेकिन तेनालीराम ने उससे कड़ाई से पूछताछ की। उन्होंने कहा,
“रामू, तुम्हारा सच तोते ने पहले ही बता दिया है। अब यह तुम्हारे लिए अच्छा होगा कि तुम खुद अपनी गलती मान लो।”
रामू यह सुनकर हक्का-बक्का रह गया। उसने सोचा, “अगर तोते ने सब देख लिया है, तो बचने का कोई रास्ता नहीं है।”
रामू ने टूटकर अपनी गलती मान ली। उसने बताया कि व्यापारी की तिजोरी से चोरी करने के लिए उसने उसकी हत्या कर दी थी। उसने सोचा था कि कोई उसे पकड़ नहीं पाएगा, लेकिन वह नहीं जानता था कि तोता उसकी हरकत का गवाह बन जाएगा।
रामू ने बताया, “उस रात मैं तिजोरी से पैसा निकाल रहा था। व्यापारी ने मुझे पकड़ लिया, तो मैंने घबराकर उसे मार डाला। लेकिन मैं नहीं जानता था कि तोता सब देख रहा है और मेरे शब्द याद रख लेगा।”
रामू की स्वीकारोक्ति के बाद राजा ने उसे सजा सुनाई। व्यापारी के परिवार को न्याय मिला, और तोते को उसकी वफादारी और चतुराई के लिए इनाम दिया गया।
तेनालीराम की सूझबूझ और एक बेजुबान गवाह की मदद से मामला सुलझ गया।
सीख
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हर सच को छुपाना संभव नहीं है। कभी-कभी बेजुबान प्राणी भी गवाह बन सकते हैं और न्याय की दिशा में अहम भूमिका निभा सकते हैं। सच और ईमानदारी की हमेशा जीत होती है।
तेनालीराम की इस कहानी में उनकी बुद्धिमत्ता और परिस्थिति को समझने की क्षमता हमें यह सिखाती है कि किसी भी समस्या को सुलझाने के लिए केवल प्रमाण ही नहीं, बल्कि विवेक और धैर्य की भी जरूरत होती है।
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