भाई बहन के प्यार की कहानी (Bhai Behen Ke Pyar Ki Kahani) इस पोस्ट में शेयर की जा रही है।
Bhai Behen Ke Pyar Ki Kahani
Table of Contents
राधिका और रोहन का जन्म एक छोटे से गांव में हुआ था, जहां जीवन सीधा-सादा और लोगों के दिल उतने ही स्वच्छ थे जितने गाँव के तालाब का पानी। राधिका बड़ी थी, रोहन से पाँच साल बड़ी। जब रोहन का जन्म हुआ, तो राधिका ने पहली बार उसे अपनी छोटी सी बाँहों में लिया और उसकी मासूम मुस्कान देखी। तभी से उसके मन में भाई के प्रति अपार स्नेह उमड़ पड़ा।
राधिका ने बचपन से ही रोहन की हर छोटी-बड़ी ज़रूरत का ख्याल रखा। वो उसे कहानियाँ सुनाती, उसके साथ खेलती और उसे स्कूल का काम करने में मदद करती। राधिका की देखभाल में रोहन का बचपन खुशहाल बीता। दोनों की शरारतें और हंसी-ठिठोली पूरे घर को जीवंत बनाए रखती थी।
गांव की हवाओं में एक अलग ही मिठास थी जो उनके रिश्ते में और भी गहराई लाती थी। खेतों में दौड़ना, आम के पेड़ पर चढ़ना, और नदी में कागज की नावें तैराना उनके पसंदीदा खेल थे। राधिका और रोहन का ऐसा ही एक खूबसूरत खेल था पतंग उड़ाना। हर साल बसंत पंचमी पर दोनों मिलकर नई पतंगें बनाते और पूरे गांव की प्रतियोगिता में हिस्सा लेते। राधिका की पतंगबाजी की कला और रोहन की दौड़ लगाने की फुर्ती मिलकर हर बार उन्हें जीत दिलाती।
समय बीतता गया और राधिका अब कॉलेज जाने लगी थी। रोहन भी अब बड़े स्कूल में चला गया था। दोनों के बीच का बंधन उतना ही मजबूत था, लेकिन जीवन की नयी चुनौतियाँ उनके सामने थीं। एक दिन अचानक ही रोहन को बहुत तेज़ बुखार हो गया। डॉक्टर ने बताया कि रोहन को एक गंभीर बीमारी है और उसे शहर के बड़े अस्पताल में ले जाना पड़ेगा। राधिका और उसके माता-पिता के लिए यह खबर किसी वज्रपात से कम नहीं थी। राधिका ने तुरंत निर्णय लिया कि वह अपने भाई को हर हाल में ठीक करवाएगी।
शहर में इलाज शुरू हुआ, लेकिन बीमारी काफी गंभीर थी। राधिका ने अपने कॉलेज की पढ़ाई छोड़ दी और पूरा समय अस्पताल में अपने भाई की देखभाल में लगा दिया। दिन-रात की मेहनत और राधिका के असीम स्नेह ने आखिरकार रंग दिखाया। रोहन धीरे-धीरे स्वस्थ होने लगा। इस दौरान राधिका ने न केवल अपने भाई का ख्याल रखा, बल्कि उसके चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए उसे कहानियाँ सुनाती और उसके साथ खेलती।
रोहन ने भी अपनी बहन के बलिदान और प्यार को समझा। वह जानता था कि उसकी बहन ने उसके लिए कितना कुछ त्याग किया है। उसने राधिका से वादा किया कि वह जल्द ही ठीक हो जाएगा और अपनी बहन का सपना पूरा करेगा।
कुछ महीनों बाद, रोहन पूरी तरह स्वस्थ हो गया और दोनों फिर से अपने गांव लौट आए। राधिका ने अपनी अधूरी पढ़ाई फिर से शुरू की और जल्द ही स्नातक की उपाधि प्राप्त की। अब राधिका का एक ही सपना था – रोहन को भी अच्छे से पढ़ाना और एक सफल व्यक्ति बनाना।
रोहन ने भी अपनी बहन के सपने को साकार करने के लिए पूरी मेहनत की। उसने अपने स्कूल में अच्छे अंक प्राप्त किए और शहर के प्रतिष्ठित कॉलेज में दाखिला लिया। राधिका के प्रेरणा से उसने कड़ी मेहनत की और अपनी पढ़ाई में उत्कृष्टता प्राप्त की।
समय के साथ, रोहन एक सफल इंजीनियर बन गया और उसकी नौकरी शहर के बड़े कंपनी में लग गई। उसने अपनी पहली तनख्वाह से राधिका के लिए एक सुंदर साड़ी खरीदी और उसे सम्मानपूर्वक दिया। राधिका की आंखों में गर्व और खुशी के आँसू थे।
रोहन ने अपनी बहन को गले लगाते हुए कहा, “दीदी, आज जो कुछ भी मैं हूँ, आपके प्यार, स्नेह और त्याग के कारण हूँ। आपने मेरे लिए अपना सब कुछ त्याग दिया। आज मैं जो कुछ भी कमा रहा हूँ, उसमें आपका भी हिस्सा है।”
राधिका ने मुस्कुराते हुए कहा, “रोहन, तुम मेरी जान हो। तुम्हारी सफलता ही मेरी सबसे बड़ी खुशी है। हमें एक-दूसरे का साथ हमेशा यूं ही बनाए रखना है।”
इस प्रकार, राधिका और रोहन का भाई-बहन का रिश्ता समय की कसौटी पर खरा उतरा और उनके बीच का प्यार और भी गहरा होता गया। दोनों ने अपने माता-पिता का ख्याल भी बखूबी रखा और गांव में एक आदर्श भाई-बहन की मिसाल बने।
उनकी कहानी यह सिखाती है कि सच्चे प्यार और त्याग के आगे कोई भी मुश्किल टिक नहीं सकती। भाई-बहन का बंधन सबसे अनमोल होता है, जिसे संजोकर रखना चाहिए। राधिका और रोहन की कहानी हर भाई-बहन के रिश्ते के लिए प्रेरणा है।
चालीस भाइयों की पहाड़ी कश्मीर की लोक कथा