Akbar Birbal Stories In Hindi

बीरबल का न्याय : अकबर बीरबल की कहानी | Akbar Birbal Story In Hindi

birbal story hindi बीरबल का न्याय : अकबर बीरबल की कहानी | Akbar Birbal Story In Hindi
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मित्रों, इस ‘akbar birbal story hindi‘ में बताया गया है कि बीरबल कैसे एक नन्हीं अनाथ बच्ची को न्याय दिलाता है और उसके माता-पिता के हत्यारे को पकड़ता है. पढ़िए अकबर बीरबल की पूरी कहानी (akabr birbal kahani) : 

Akbar Birbal Story Hindi

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Birbal Story Hindi

Birbal Story Hindi | Source : Akbar Birbal PNG

बादशाह अकबर के राज्य के एक गाँव में एक अंधा साधु रहा करता था. अपना भविष्य जानने लोगों का उसके पास तांता लगा रहता था. सबका मानना था कि वह एकदम सही भविष्यवाणी करता है.

एक दिन गाँव में रहने वाले एक आदमी का रिश्तेदार अपनी भतीजी का इलाज़ कराने उसके घर आया. उस बच्ची के माता-पिता की उसकी आँखों के सामने ही हत्या कर दी गई थी. तबसे वह बीमार रहा करती थी.

गाँव में रहते हुए एक दिन बच्ची की नज़र अंधे साधु पर पड़ी. उसे देखते ही वह चीख पड़ी, “इसने अम्मी-अब्बू को मारा है.”

बच्ची के इस इल्ज़ाम पर अंधा साधु नाराज़ हो गया. उसने उसके रिश्तेदारों को कहा, “मुझ अंधे पर ये कैसा इल्ज़ाम लगा रही है? तुम्हें इसे समझाना चाहिए.”

साधु से माफ़ी मांगकर बच्ची के रिश्तेदार घर चले आये. घर पर बच्ची पूरे दिन रोती रही और यही कहती रही कि वह साधु ही उसके माता-पिता का हत्यारा है.

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आखिरकार, सबको उसकी बात पर यकीन आ गया और उन्होंने तय किया कि वे उस संबंध में बीरबल से मदद मागेंगे. वे बीरबल के पास पहुँचे और उसे पूरी बात बता दी.

पूरी बात जानकर बीरबल बोला, “आप लोग बादशाह अकबर के दरबार में जाकर इंतजार करो. मैं कुछ देर में आता हूँ.”

उन्होंने वैसा ही किया. इधर बीरबल ने अंधे साधु को भी अकबर के दरबार में आमंत्रित कर लिया.  

साधु के दरबार में पहुँचने पर बीरबल ने अकबर और सभी मंत्रियों के सामने अपनी तलवार निकाल की और साधु को मारने के लिए उसके करीब ले गया. यह देख साधु घबरा गया और उसने अपने कपड़ों के पीछे छुपाकर रखी तलवार निकाल ली.

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बीरबल समझ गया कि साधु अंधा नहीं है, बल्कि वह अंधा होने का दिखावा कर रहा है. उसने सारा माज़रा अकबर को बताया और बच्ची को न्याय दिलाने की गुज़ारिश अकबर से की. अकबर ने सैनिकों को आदेश दिया कि वे साधु को बंदी बना लें.

साधु से बंदीगृह में कड़ाई से पूछ-ताछ की गई, तो उसने अपना अपराध कबूल कर लिया. उसे फांसी की सजा सुनाई गई. इस तरह बीरबल की सूझ-बूझ से बच्ची को न्याय मिल सका. 

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