बुद्धिमान काज़ी : कश्मीरी लोक कथा | Buddhiman Kazi Kashmiri Lok Katha

फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम कश्मीरी लोक कथा “बुद्धिमान काज़ी” (Buddhiman Kazi Kashmiri Lok Katha) शेयर कर रहे है. यह कहानी कश्मीर के बादशाह के बुद्धिमान क़ाज़ी की है. कैसे वह एक लकड़हारे को मौत की सजा से बचाता है? पढ़िये पूरी कहानी : 

Buddhiman Kazi Kashmiri Lok Katha

Buddhiman Kazi Kashmiri Lok Katha
Buddhiman Kazi Kashmiri Lok Katha

देश विदेश की लोक कथाओं का विशाल संग्रह : click here

>

दरबार लगा हुआ था. बादशाह अपने सबसे बुद्धिमान काज़ी से किसी विषय पर विचार-विमर्श कर रहा था. तभी कहीं से एक कौवा उड़ता हुआ आया और ‘काँव-काँव’ करता हुआ शोर मचाने लगा.

कौवे के शोर से बादशाह और काज़ी के विचार-विमर्श में खलल पड़ने लगा. कुछ देर तक तो बादशाह ने बर्दाश्त किया, लेकिन फ़िर उसे क्रोध आ गया. उसने सैनिकों को हुक्म दिया, “फ़ौरन इस परिंदे को निकाल बाहर करो.”

सैनिक फ़ौरन हरक़त में आये और कौवे को भगा दिया. बादशाह फ़िर से विचार-विमर्श में लग गया. लेकिन, कुछ समय बाद कौवा फ़िर से वहाँ आ गया और ‘काँव-काँव’ करने लगा.

क्रोधित बादशाह ने सिपाहियों को हुक्म दिया, “इस कौवे को ज़िन्दा मत छोड़ो. अभी के अभी मौत के घाट उतार दो.

सिपाही बादशाह का हुक्म बजाते, उसके पहले ही बुद्धिमान काज़ी बोला, “नहीं जहाँपनाह! आप कौवे को मत मारिये. हो सकता है कि ये आपके पास कोई फ़रियाद लेकर आया हो. सिपाहियों से इसके आने की वजह पता करवाइए.”

बादशाह ने एक सिपाही से कहा, “जाओ पता करो कि ये कौवा आखिर चाहता क्या है? बिना जाने वापस मत लौटना.”

“जी हुज़ूर” कहकर सिपाही कौवे की तरफ़ मुड़ा. कौवा महल के बाहर उड़ गया. सिपाही उसके पीछे-पीछे जाने लगा. कौवा उड़ते-उड़ते जंगल में चिनार के ख़ूबसूरत पेड़ की एक डाली पर जा बैठा. उसमें एक घोंसला बना हुआ था.

सिपाही भी कौवे के पीछे-पीछे चिनार के पेड़ तक पहुँच गया. उसने देखा कि कौवा जिस पेड़ पर बैठा है, उस पेड़ को एक लकड़हारा काट रहा है.

सिपाही को देख कौवा ‘काँव-काँव’ करने लगा.

सिपाही को समझते देर नहीं लगी कि जिस पेड़ को लकड़हारा काट रहा है, उसकी डाली पर कौवे का घोंसला है.

पढ़ें : सच्चा मन उत्तर प्रदेश की कहानियाँ

वह लकड़हारे से बोला, “सुनो…फ़ौरन पेड़ काटना बंद करो. पेड़ काटने के पहले तुमने देखा नहीं कि इस पर एक परिंदे का घोंसला बना हुआ है.”

लकड़हारा कहाँ जानता था कि वह सिपाही बादशाह के हुक्म से उसे रोक रहा है. वह तैश में आ गया और बदतमीज़ी से जवाब दिया, “मैं क्यों परिंदे का घोंसला देखूं? वह है क्या? तुमसे ज़रा सा कीमती होगा, बस.”

लकड़हारे की बदतमीज़ी देख सिपाही को क्रोध आ गया. वह लकड़हारे को पकड़कर बादशाह के सामने ले गया.

जंगल में घटी सारी घटना विस्तार से सुनाने के बाद वह बादशाह से बोला, “जहाँपनाह! ये लकड़हारा उस निर्दोष कौवे का घर उजाड़ रहा था. मैंने मना किया, तो बदतमीज़ी करने लगा. ये सज़ा का हक़दार है.”

बादशाह को भी लकड़हारे के व्यवहार पर क्रोध आ गया. उसने उसे सज़ा देने की ठान ली और बुद्धिमान काज़ी से पूछने लगा, “इस आदमी ने बहुत बड़ी गुस्ताखी की है. इसे क्या सजा दी जानी चाहिए? क्या इसे मौत के घाट उतार दिया जाये.”

काज़ी ने जवाब दिया, “जहाँपानाह! इसे कहाँ पता था कि सिपाही आपके आदेश का पालन कर रहा है. इसलिए बदतमीज़ी कर बैठा होगा. हालांकि, उसका वह व्यवहार भी गलत था. लेकिन, मौत की सजा इस गुस्ताखी के लिए बहुत ज्यादा है. वैसे भी दिल ही दिल में ये पछता रहा होगा. ऐसा करें इसे महल से इसके घर तक बेंत से मारते हुए ले जाने की सज़ा दे दीजिये.”

बादशाह ने वही सज़ा सुनाई.

सिपाही लकड़हारे को उसने घर तक बेंत से मारते हुए ले गया. यह सज़ा मौत के घाट उतारने जैसी सख्त नहीं थी. लेकिन, सबके सामने बेंत की मार सहते हुए उछल-उछलकर घर तक पहुँचना शर्मनाक था.

सीख (Moral of the story)

सबसे अच्छा व्यवहार करें. कई बार आपका दुर्व्यवहार आपको मुसीबत में डाल सकता है.

(रस्किन बांड की रचना ‘कश्मीरी किस्सागो’ की कहानी)

Friends, आपको “Buddhiman Kazi Kashmiri Lok Katha” कैसी लगी? आप अपने comments के द्वारा हमें अवश्य बतायें. “Kashmir Ki Lok Katha” पसंद आने पर Like और Share करें. ऐसी ही अन्य “Folk Tales In Hindi” पढ़ने के लिए हमें Subscribe कर लें. Thanks.

Read More Hindi Stories :

अकबर बीरबल की २१ सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ

२१ सर्वश्रेष्ठ प्रेरणादायक कहानियाँ

२१ सर्वश्रेष्ठ शिक्षाप्रद कहानियाँ

तेनालीराम की २१ सर्वश्रेष्ठ कहानियां 

Leave a Comment