Jatak Katha

बुद्धिमान् मुर्गा की कहानी जातक कथा | Buddhiman Murga Ki Kahani Jatak Katha

बुद्धिमान् मुर्गा की कहानी जातक कथा (Buddhiman Murga Ki Kahani Jatak Katha) जातक कथाएँ बौद्ध धर्म से संबंधित नैतिक और शिक्षाप्रद कहानियाँ हैं, जो जीवन की वास्तविकताओं, नैतिकता और व्यवहारिकता को सरल शब्दों में प्रस्तुत करती हैं। ये कथाएँ बौद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा बुद्ध के पूर्व जन्मों की कथाओं पर आधारित हैं और इनमें अनेक पात्र, जैसे मनुष्य, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे आदि के माध्यम से शिक्षा दी जाती है। प्रस्तुत कहानी भी इसी श्रेणी में आती है और इसमें धूर्तता, चतुराई और आत्मसंरक्षण की सीख दी गई है।

Buddhiman Murga Ki Kahani

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Buddhiman Murga Ki Kahani

किसी घने वन में एक विशाल, हृष्ट-पुष्ट और सुंदर मुर्गा अपने सैकड़ों रिश्तेदारों के साथ निवास करता था। वह अपने पूरे परिवार में सबसे बड़ा और स्वस्थ था। उसकी कलगी चमकदार, पंख घने और सुन्दर थे, जिससे उसका व्यक्तित्व और भी आकर्षक दिखाई देता था। उसकी बुद्धिमानी और सतर्कता के कारण वन के अन्य पक्षी उसकी बहुत इज्जत करते थे।

उसी वन में एक जंगली बिल्ली भी रहती थी। वह चालाक और तेज़ थी तथा उसने कई छोटे-मोटे पक्षियों और मुर्गों को मार कर खा लिया था। उसकी नजर हमेशा उन पर रहती थी और जब भी उसे मौका मिलता, वह हमला कर देती। उसके पेट की भूख उसे हर समय शिकार की तलाश में बनाए रखती थी। अब उसने उस हृष्ट-पुष्ट मुर्गे को अपना शिकार बनाने का मन बना लिया था।

बिल्ली जानती थी कि मुर्गा बहुत चतुर है और सीधे-सीधे उसे पकड़ना आसान नहीं होगा। उसने कई बार मुर्गे को पकड़ने की कोशिश की, लेकिन हर बार वह असफल रही। मुर्गे की सतर्कता और समझदारी के कारण वह उस तक पहुंच ही नहीं पाती थी। कई प्रयासों के बाद भी जब बिल्ली अपने मनसूबे में कामयाब नहीं हो पाई, तो उसने एक नई योजना बनाई।

एक दिन बिल्ली ने देखा कि मुर्गा एक ऊंचे पेड़ की डाल पर बैठा हुआ है। उसने सोचा कि इस बार वह अपनी चालाकी से उसे नीचे उतारने में कामयाब हो सकती है। बिल्ली ने मुर्गे के पास जाकर उसे मनाने की कोशिश की। उसने मीठी-मीठी बातें बनाते हुए कहा, “हे सुंदर मुर्गे, मैं तुम्हारी सुंदरता पर मुग्ध हूँ। तुम्हारी कलगी, तुम्हारे पंख सब कुछ बहुत ही आकर्षक हैं। तुम इतने ताकतवर और सुन्दर हो कि मैं चाहती हूँ कि तुम मेरे जीवनसाथी बनो। कृपया नीचे आ जाओ और मुझे अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करो। मैं तुम्हारी सेवा करना चाहती हूँ।”

बिल्ली की मीठी बातों से मुर्गा थोड़ा चौकन्ना हो गया। उसे समझ में आ गया कि बिल्ली उसे किसी कपट में फंसाना चाहती है। वह जानता था कि बिल्ली के मन में उसके लिए कोई प्रेम नहीं है, बल्कि वह सिर्फ उसे अपना शिकार बनाना चाहती है। उसने सोच-समझकर जवाब दिया।

मुर्गे ने मुस्कुराते हुए कहा, “हे बिल्ली, तुम्हारे चार पैर हैं और मेरे केवल दो। हम दोनों की प्रकृति अलग है, हम एक साथ नहीं रह सकते। पक्षी और जंगली जानवर का मेल नहीं हो सकता। तुम किसी और को अपना जीवनसाथी बनाओ।”

बिल्ली ने देखा कि मुर्गा उसकी बातों में नहीं आ रहा है, तो उसने फिर से उसे फुसलाने की कोशिश की। उसने भावुकता का सहारा लेते हुए कहा, “मुर्गे, तुम मुझ पर इतना कठोर क्यों हो? मैं सचमुच तुमसे प्रेम करती हूँ और तुम्हारे साथ रहना चाहती हूँ। तुम्हारे जैसे मजबूत और सुन्दर साथी के साथ जीवन बिताना मेरा सपना है। तुम नीचे आ जाओ और मेरे साथ चलो।”

परंतु मुर्गा बहुत समझदार था और वह बिल्ली की चालों को भांप गया। उसने गंभीर होकर बिल्ली से कहा, “हे बिल्ली, तुमने मेरे कई रिश्तेदारों का शिकार किया है और उनकी जान ली है। मैं जानता हूँ कि तुम्हारे मन में मेरे लिए कोई सच्चा प्रेम नहीं है। तुम्हारी बातों में सिर्फ छल और धोखा है। यदि तुम सचमुच मुझसे प्रेम करतीं, तो मेरे परिवार के सदस्यों का खून नहीं पीतीं।”

मुर्गे की बात सुनकर बिल्ली को समझ में आ गया कि उसकी चालाकी काम नहीं आई। मुर्गे ने उसकी चाल को समझ लिया और उसकी योजना असफल हो गई। अब उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और शर्मिंदा होकर वह वहां से चली गई। वह कभी भी उस पेड़ के आस-पास फिर नहीं आई और मुर्गे ने अपनी बुद्धिमानी से खुद को बचा लिया।

सीख

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि कठिन परिस्थितियों में सतर्कता और चतुराई का सहारा लेना चाहिए। हर किसी के दिखावे पर विश्वास नहीं करना चाहिए, क्योंकि कई बार मीठे शब्दों में भी कपट छिपा हो सकता है। हमें अपनी सुरक्षा के लिए सदैव सजग रहना चाहिए और दूसरों के इरादों को समझने की कोशिश करनी चाहिए।

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