शब्दों की ताकत को पहचानो बौद्ध कथा (Buddhist Story On Power Of Words In Hindi) Shabdon Ki Taqat Pehchano Buddhist Story In Hindi इस पोस्ट में शेयर की जा रही है।
Buddhist Story On Power Of Words In Hindi
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बहुत समय पहले की बात है। एक सुंदर और शांत गांव था, जिसे सभी लोग ‘शांतिपुर’ के नाम से जानते थे। इस गांव में एक बुद्धिमान और आदरणीय बौद्ध भिक्षु रहते थे, जिनका नाम वसुधामा था। वे अपने ज्ञान और करुणा के लिए पूरे गांव में मशहूर थे। वसुधामा हमेशा लोगों को जीवन की सच्चाइयों और शब्दों की शक्ति के बारे में सिखाते रहते थे।
एक दिन गांव के एक युवक का नाम धवल था, जो अपनी कड़वी और कठोर बातों के लिए जाना जाता था। धवल को अक्सर गुस्सा आता था और वह गुस्से में आकर बिना सोचे-समझे किसी को भी बुरा-भला कह देता था। उसकी बातों से कई लोग आहत हो चुके थे, लेकिन उसे इस बात का कोई एहसास नहीं था।
वसुधामा को इस बात का पता चला और उन्होंने धवल को अपने आश्रम में बुलाया। धवल के आने पर वसुधामा ने उसे मुस्कुराते हुए स्वागत किया और कहा, “धवल, मैं तुम्हें एक कहानी सुनाना चाहता हूं।”
धवल ने सिर हिलाते हुए कहा, “हाँ, गुरुजी, कृपया बताएं।”
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वसुधामा ने कहना शुरू किया, “बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गांव में एक किसान रहता था। वह बहुत मेहनती और ईमानदार था। एक दिन उसके साथ एक छोटी सी घटना घटी, जिससे उसका पूरा जीवन बदल गया।”
धवल की आंखें उत्सुकता से चमक उठीं और उसने ध्यान से सुनना शुरू किया।
वसुधामा ने आगे कहा, “एक दिन किसान अपने खेत में काम कर रहा था। तभी एक राहगीर वहां से गुजरा। वह थका हुआ था। उसने किसान के खेत में लगे आम के पेड़ से आम तोड़कर खाए और वहीं पेड़ की छांव में आराम करने लगा। किसान राहगीर को अपने खेत में देखकर अपशब्द कहने लगा। जाते जाते राहगीर ने किसान से कहा, ‘तुम्हारे शब्दों का असर तुम्हारे ही ऊपर होगा।’
किसान को यह बात बहुत बुरी लगी, लेकिन उसने इसे गंभीरता से नहीं लिया। समय बीतता गया और किसान की फसलें धीरे-धीरे खराब होने लगीं। किसान बहुत परेशान हो गया और उसने सोचा कि यह सब उस राहगीर के श्राप की वजह से हो रहा है। वह राहगीर को ढूंढ़ने निकल पड़ा।
कई दिनों की यात्रा के बाद किसान ने उस राहगीर को ढूंढ़ निकाला और उससे माफी मांगने लगा। राहगीर ने मुस्कुराते हुए कहा, ‘मेरा श्राप नहीं, बल्कि तुम्हारे ही शब्दों का असर है। तुम्हारे शब्दों में जो नकारात्मकता और क्रोध था, उसने तुम्हारे चारों ओर एक नकारात्मक ऊर्जा का निर्माण किया, जो तुम्हारे जीवन पर विपरीत प्रभाव डाल रही है।’
किसान को तब समझ में आया कि उसके शब्दों का कितना बड़ा प्रभाव हो सकता है। उसने राहगीर से माफी मांगी और अपने शब्दों को सोच-समझकर बोलने का वचन दिया। धीरे-धीरे उसकी फसलें फिर से अच्छी होने लगीं और उसका जीवन सामान्य हो गया।”
धवल ने गहरी सांस ली और वसुधामा की ओर देखा, “गुरुजी, क्या आप कहना चाहते हैं कि मेरे शब्दों का भी ऐसा ही प्रभाव हो सकता है?”
वसुधामा ने धैर्यपूर्वक कहा, “हाँ, धवल। तुम्हारे शब्दों की ताकत बहुत अधिक है। वे न केवल दूसरों को प्रभावित करते हैं, बल्कि तुम्हारे अपने जीवन पर भी गहरा प्रभाव डालते हैं। यदि तुम अपने शब्दों का सही उपयोग करो, तो वे प्रेम, शांति और सकारात्मकता फैला सकते हैं। लेकिन यदि तुम उन्हें नकारात्मकता और क्रोध के साथ इस्तेमाल करो, तो वे तुम्हारे और दूसरों के जीवन में कष्ट और दु:ख ला सकते हैं।”
धवल ने सोचा और फिर धीरे-धीरे कहा, “गुरुजी, मुझे समझ में आ गया है। मैं अपने शब्दों का सही उपयोग करने का प्रयास करूंगा।”
वसुधामा ने संतोषपूर्वक मुस्कुराते हुए कहा, “यह तुम्हारे जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, धवल। याद रखो, शब्दों की ताकत अद्भुत होती है। वे लोगों के दिलों को जीत सकते हैं या तोड़ सकते हैं। उन्हें सोच-समझकर और करुणा के साथ इस्तेमाल करना सीखो।”
धवल ने वसुधामा के पांव छूकर आशीर्वाद लिया और संकल्प किया कि वह अपने शब्दों का सदैव ध्यान रखेगा। उसने अपने गुस्से पर नियंत्रण पाने और सोच-समझकर बोलने का अभ्यास शुरू किया। धीरे-धीरे उसकी जिंदगी में बदलाव आने लगा। उसके संबंध सुधारने लगे और लोग उसे सम्मान और प्रेम देने लगे।
वसुधामा ने धवल को देखकर गर्व महसूस किया और सोचा कि अगर हर व्यक्ति अपने शब्दों की ताकत को समझे और उनका सही उपयोग करे, तो यह दुनिया कितनी सुंदर और शांतिपूर्ण हो सकती है। शब्दों की ताकत को पहचानकर, धवल ने अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में बदल लिया और एक नई शुरुआत की।
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि शब्दों की ताकत अद्भुत होती है। वे केवल ध्वनि नहीं होते, बल्कि उनके पीछे भावनाएं, विचार और ऊर्जा होती है। सही शब्द सही समय पर बोले जाएं तो वे जादू कर सकते हैं। वहीं, गलत शब्द न केवल दूसरों को बल्कि खुद को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसीलिए हमें हमेशा अपने शब्दों का सोच-समझकर और करुणा के साथ इस्तेमाल करना चाहिए।
इस तरह, वसुधामा और धवल की कहानी ने शांतिपुर के लोगों को शब्दों की ताकत की महत्वपूर्ण शिक्षा दी। सभी ने मिलकर यह संकल्प लिया कि वे अपने शब्दों का सही उपयोग करेंगे और अपने गांव को एक बेहतर और शांतिपूर्ण स्थान बनाएंगे। और इस प्रकार, शब्दों की शक्ति को पहचानकर, पूरे गांव में सुख, शांति और प्रेम की लहर दौड़ पड़ी।
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