चीनी बांस के पेड़ की प्रेरणादायक कहानी | Chinese Bamboo Tree Story In Hindi

फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम चीनी बांस के पेड़ की प्रेरणादायक कहानी (Chinese Bamboo Tree Story In Hindi) शेयर कर रहे हैं. जीवन में सफ़लता के लिए म्हणत की जितनी आवश्यकता है, उतनी ही धैर्य की भी. कई बार हम धैर्य खोकर सफ़लता से भी हाथ धो बैठते हैं.  यह कहानी धैर्य रखने की सीख देती है. पढ़िये Motivational Story On Patience In Hindi :

Chinese Bamboo Tree Story In Hindi

Chinese Bamboo Tree Story In Hindi
Chinese Bamboo Tree Story In Hindi

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एक गरीब किसान को उसके एक मित्र ने कुछ बीज दिये और उसे बताया कि ये बीज बांस के पेड़ की उस प्रजाति के हैं, जो चीन में पाए जाते है. इन पेड़ों की ऊँचाई ९० फीट तक होती है.

किसान ने वे बीज अपने मित्र से ले लिए और उन्हें अपने खेत में बो दिये. उसे आशा थी कि जिस दिन वे बांस के ऊंचे पेड़ बन जायेंगे, उन बांसों को बेचकर उसे अच्छी आमदनी होगी और उसका परिवार एक अच्छा जीवन जी पायेगा.

वह उन बीजों को पानी देता, दिनभर उनकी देखभाल करता और रात में भगवान से प्रार्थना करता कि उसके सपने पूरे हो जाये और उसे इन बीजों से १०० प्रतिशत परिणाम मिले. वह रोज अपने खेत में जाकर देखता कि बीज अंकुरित हुए हैं या नहीं. लेकिन उसे उनमें कोई भी परिवर्तन दिखाई नहीं पड़ता. इसी तरह एक वर्ष बीत गया. लेकिन उन बीजों से अंकुर नहीं फूटे.

अन्य बीज सामान्यतः एक सप्ताह में अंकुरित हो जाते थे और कुछ महीनों में ही फसल आ जाती थी. उस फसल के द्वारा ही किसान के परिवार का भरण-पोषण होता था. किसान सोचा करता कि इस तरह आज तो उसका गुजारा चल सकता है, लेकिन उसके सपने पूरे नहीं हो सकते और न ही उसका भविष्य संवर सकता. बांस के पेड़ों की बदौलत वह अपने सुनहरे भविष्य के सपने देखने लगा.

लेकिन समय बीतने के बाद भी वे बीज अंकुरित नहीं हुए और किसान को अपने सपने और आशायें टूटती हुई नज़र आने लगी. उसके मन में शंका उत्पन्न होने लगी कि कहीं वे बीज सड़ तो नहीं गए हैं. 

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एक वर्ष और बीता. लेकिन बीज अंकुरित नहीं हुए. दूसरे किसान और गांव वाले उसका मजाक उड़ाने लगे कि वह उन बेकार के बीजों पर अपना समय और परिश्रम व्यर्थ गंवा रहा है. सबके ताने सुनकर किसान विचलित होने लगा. उसने मन में यह भय समाने लगा कि कहीं सचमुच ही वह अपना समय और परिश्रम ऐसे कार्य में तो नहीं लगा रहा, जिससे उसे कोई प्रतिफल नहीं मिलने वाला है.

एक साल और बीत गया. लेकिन बीजों के अंकुरित होने के कोई चिन्ह दिखाई नहीं पड़े. लोगों ने किसान का मजाक उड़ाना जारी रखा. लेकिन किसान ने आंशिक भय के बाद भी अपने मन में छोटी सी आस बांध कर रखी थी. इसलिए उसने लोगों की बातों को दरकिनार कर उन बीजों की देखभाल करना जारी रखा.

ऋतुयें बीतती गई और किसान एक चमत्कार की उम्मीद में बीजों को रोज़ पानी देता रहा और उनकी देखभाल करता रहा. लेकिन चार साल बीत जाने के बाद भी एक भी बीज अंकुरित नहीं हुए. जिससे किसान की उम्मीदें थोड़ी और कम हो गई. लेकिन फिर भी वह उन बीजों को पानी देता रहा. यद्यपि समय के साथ किसान की आशा कम होती चली जा रही थी. लेकिन भगवान पर उसका विश्वास अटल था. उसका विश्वास था कि भगवान उसके परिश्रम का फल उसे अवश्य देंगें.

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५ वर्ष बीत जाने के बाद अचानक एक सुबह गाँव के लोगों को उस किसान के चिल्लाने की आवाज़ सुनाई पड़ी. वे सभी अपने घरों से बाहर निकल आये. उन्होंने देखा कि वह किसान अपने खेत के सामने खड़ा होकर खुशी से चिल्ला रहा है. पास जाकर देखने पर सभी गाँव वालों की आँखें फटी की फटी रह गई. किसान के खेत में बांस के बीज अंकुरित हो गए थे. किसान की खुशी की कोई सीमा नहीं थी. पांच साल बाद उसकी मेहनत सफल हुई थी.

वह खेत गाँववालों के आकर्षण का केंद्र बन गया. बांस के पेड़ तेजी से बढ़ रहे थे. ५ फ़ीट…१० फ़ीट….२० फ़ीट…..५० फ़ीट……७० फ़ीट…..८० फ़ीट…और ९० फ़ीट. ५ सालों से खाली पड़ा किसान का खेत मात्र ५ सप्ताह में ९० फ़ीट बांस के पेड़ों से भर गया. इस चमत्कार को देखकर सभी दंग थे. उधर किसान खुशी से फूला नहीं समा रहा था. वे बांस के  पेड़ न केवल उसके परिवार का बल्कि उसकी कई पीढ़ियों का भरण-पोषण करने वाले थे. वह रह-रहकर भगवान का धन्यवाद कर रहा था.

उसे यह भी समझ आ गया था कि जो सीख उसे मिली है, वह अमूल्य है.

उसने सपनों का बीज बोने और उसे यथार्थ में परिणित करने के लिए रोज़ उसका पोषण और देखभाल करने की सीख मिल गई थी. उसने लोगों की नकारात्मक बातों पर ध्यान न देने का पाठ भी पढ़ लिया था. उसने अपने भय और शंकाओं से परे हटकर अनवरत परिश्रम करने का महत्व समझ लिया था. साथ ही भगवान पर उसका विश्वास और अटल हो गया था.

किसान ने पूरे गाँव के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत कर दिया. जिसके बाद गाँव के अन्य किसान भी अपने खेतों में बांस का पेड़ उगाने लगे और धैर्य से हर दिन उसकी देखभाल करने लगे.

सीख  (Moral of The Story)

दोस्तों, किसान ने तो अपने सपनों पर विश्वास बनाये रखा. आपका क्या? आप अपने सपनों को पूरा करने के लिए किस हद तक परिश्रम करने के लिए तैयार हैं? आपमें कितना धैर्य है? अपने सपनों पर विश्वास रखें. ख़ुद पर विश्वास रखें. धैर्य से परिश्रम करते रहे. सफ़लता अवश्य प्राप्त होगी.


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