चींटी और मक्खी की कहानी | The Ant And The Fly Story In Hindi | Chinti Aur Makkhi Ki Kahani
Chinti Aur Makkhi Ki Kahani
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गर्मी के दिन थे। एक छोटी सी चींटी अपने घर के लिए भोजन ढूंढ रही थी। रास्ते में उसे एक मक्खी मिली, जो एक फूल पर बैठी आराम कर रहा था।
चींटी ने मक्खी को नमस्ते किया और पूछा, “क्या तुम मेरे साथ भोजन ढूंढने में मेरी मदद करोगी?”
मक्खी ने हंसते हुए कहा, “तुम छोटी चींटी भोजन ढूंढने में मेरी क्या मदद कर सकती हो? मैं तो आसानी से हवा में उड़कर कहीं भी जा सकती हूं और जो चाहूं खा सकती हूं।”
चींटी ने कहा, “मेरे पास भले ही तुम्हारे जैसे पंख नहीं हैं, लेकिन मेरे पास मेहनत और लगन है। मैं अपनी मेहनत से ढेर सारा भोजन इकट्ठा कर सकती हूं। तुम साथ दोगी, तो ये हम दोनों के लिए अच्छा होगा। हम एक दूसरे की कमजोरियां दूर कर देंगे।”
मक्खी ने चींटी के साथ मिलकर काम करने पर हामी भर दी। लेकिन उसके इरादे कुछ और ही थे।
उस दिन के बाद दोनों साथ मिलकर भोजन ढूंढने लगे। चींटी अपनी छोटी-छोटी टांगों से भोजन के टुकड़े इकट्ठा करती थी और मक्खी हवा में उड़कर चींटी को रास्ता दिखाती थी। इससे दोनों कम समय में ढेर सारा भोजन इकट्ठा कर लेती थीं। जब बारिश के लिए भी ढेर सारा भोजन इकट्ठा हो गया, तो मक्खी को लालच आ गया। उसने चींटी को धोखा देने की सोची।
अगले दिन जब चींटी और मक्खी भोजन ढूंढने निकले, तो उन्हें एक तालाब दिखाई दिया। तालाब में बहुत सारे फल तैर रहे थे।
मक्खी ने चींटी कहा, “देखो चींटी, कितने स्वादिष्ट फल हैं पानी में! चलो, हम उन फलों को खाते हैं।”
चींटी ने कहा, “लेकिन मैं पानी में नहीं तैर सकती। मैं उन फलों तक कैसे पहुंचूंगी?”
मक्खी ने कहा, “चिंता मत करो, मैं तुम्हें अपनी पीठ पर बिठाकर उन फलों तक ले जाऊंगी।”
चींटी मक्खी की पीठ पर बैठ गई और मक्खी उड़कर तालाब में तैर रहे फलों के पास पहुंच गई। वहां जैसे ही चींटी फल को छूने लगी, मक्खी ने उड़ान भर ली और चींटी को पानी में गिरा दिया।चींटी डूबने लगी।
उसने मक्खी से मदद मांगी, लेकिन मक्खी ने हंसते हुए कहा, “अब तुम क्या कर सकती हो चींटी? तुम पानी में तैर नहीं सकती। मैं तो चली। अब सारा भोजन मेरा है।”
चींटी बहुत दुखी और गुस्से में थी। उसने मच्छर को धोखा देने और उसकी जान लेने की कोशिश करने के लिए माफ नहीं किया।
चींटी किसी तरह पानी से बाहर निकली और अपने घर वापस चली गई। उसने मक्खी को सबक सिखाने का फैसला किया।
वो जानती थी कि मक्खी को शहद है। इसलिए उसने एक योजना बनाई। उसने अपने घर के पास एक छोटा सा गड्ढा खोदा और उसमें थोड़ा सा शहद रख दिया। फिर वो एक पत्ते पर बैठकर इंतजार करने लगी।
कुछ देर बाद, मक्खी उड़ती हुई उधर से गुजरी, तो शहद देखकर उसे लालच आ गया और वो गड्ढे में उतर गई। जैसे ही उसने शहद चखना चाहा, उसके पैर शहद में फंस गए।
वो उड़ने की कोशिश करने लगी, लेकिन उड़ नहीं पाई। चींटी ने मक्खी को फंसा हुआ देखकर कहा, “तुम्हें मेरी दोस्ती की कद्र नहीं थी, मच्छर। तुमने मुझे धोखा दिया और मेरी जान लेने की कोशिश की। अब तुम्हें अपनी गलती का एहसास होगा।”
मक्खी पछताने लगी। उसने चींटी से माफी मांगी और कहा, “मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया है। कृपया मुझे माफ कर दो, चींटी। मैं अब किसी को भी धोखा नहीं दूंगा।”
चींटी को मक्खी पर दया आ गई। उसने एक पत्ते गड्ढे में फेंका। मक्खी किसी प्रकार पत्ते में बैठ गई और खुद को बाहर लिया।
बाहर निकल कर उसने चींटी का शुक्रिया अदा किया और वादा किया कि वो अब कभी धोखा नहीं देगी।
सीख
- यह कहानी हमें सिखाती है कि बुरा करने वाले के साथ बुरा होता है।
- हमें हमेशा दूसरों को माफ करने और उन्हें दूसरा मौका देने के लिए तैयार रहना चाहिए।
- लालच बुरी चीज है और हमें हमेशा लालच से दूर रहना चाहिए।
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