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चूहे और गेंडा की कहानी | Chuhe Aur Genda Ki Kahani 

चूहे और गेंडा की कहानी (Chuhe Aur Genda Ki Kahani) The Rat And Rhino Story In Hindi  कहानियां जीवन के गहरे अर्थ को सरल और रोचक तरीके से समझाने का माध्यम हैं। यह कहानी एक बड़े गैंडे और छोटे चूहे की है, जो दिखने में अलग होने के बावजूद, जीवन के पाठ सिखाते हैं। यह कहानी हमें सिखाती है कि ताकत सिर्फ शरीर की नहीं होती, बल्कि दिमाग की भी होती है।  

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Chuhe Aur Genda Ki Kahani

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Chuhe Aur Genda Ki Kahani

एक घने जंगल में एक बड़ा और शक्तिशाली गैंडा रहता था। उसकी मोटी चमड़ी, लंबा सींग, और विशाल शरीर देखकर हर जानवर उससे डरता था। लेकिन गैंडा, स्वभाव से बहुत शांत और अकेला था।  

वहीं, जंगल में एक छोटा सा चूहा भी रहता था। चूहा तेज-तर्रार और निडर था, लेकिन वह अपनी छोटी कद-काठी के कारण अक्सर बड़े जानवरों का मजाक सहता था।  

एक दिन गैंडा नदी के किनारे पानी पी रहा था, तभी चूहे की मुलाकात उससे हुई। चूहा बोला, “गैंडा जी, आप बहुत बड़े और ताकतवर हैं। लेकिन क्या आपको कभी अकेलापन महसूस होता है?”  

गैंडा थोड़ा मुस्कराया और बोला, “हां, मैं हमेशा अकेला महसूस करता हूं। शायद मेरी ताकत और डरावने रूप की वजह से कोई मुझसे दोस्ती नहीं करना चाहता।”  

चूहे ने तुरंत कहा, “तो फिर आज से हम दोस्त हैं।” गैंडा ने हैरानी से पूछा, “तुम इतने छोटे हो, और मैं इतना बड़ा। हम कैसे दोस्त बन सकते हैं?”  

चूहे ने कहा, “दोस्ती में कद या ताकत का कोई मतलब नहीं। मैं छोटा जरूर हूं, लेकिन दोस्ती निभाना जानता हूं।”  

गैंडा और चूहा अच्छे दोस्त बन गए। गैंडा जंगल में जहां भी जाता, चूहा उसकी पीठ पर बैठ जाता। वे दोनों साथ खेलते, बातें करते और एक-दूसरे की मदद करते। उनकी दोस्ती देखकर जंगल के अन्य जानवर चौंक गए।  

लेकिन चूहा अक्सर गैंडे से कहता, “मित्र, ताकत से ज्यादा दिमाग की जरूरत होती है।” गैंडा मुस्कराकर उसकी बात टाल देता।  

एक दिन, गैंडा और चूहा जंगल के बीच टहल रहे थे। तभी जंगली कुत्तों का झुंड वहां आ गया। कुत्ते गैंडे को घेरने लगे और उसकी मोटी चमड़ी पर हमला करने की कोशिश करने लगे।  

गैंडा ताकतवर था, लेकिन कुत्तों की संख्या ज्यादा थी। वह घबरा गया। चूहे ने गैंडे से कहा, “डरो मत, मैं कुछ करता हूं।”  

चूहे ने तुरंत पास के गड्ढे में जाकर सूखी पत्तियों और कांटों को खींचकर कुत्तों के रास्ते में बिछा दिया। कुत्तों ने जैसे ही उस रास्ते पर दौड़ लगाई, उनके पैर कांटों में फंस गए। वे दर्द से चीखने लगे और वहां से भाग गए।  

गैंडा चकित होकर बोला, “मित्र, तुमने मेरी जान बचाई। मुझे अब समझ में आया कि दिमाग ताकत से ज्यादा काम आता है।”  

कुछ समय बाद, जंगल में सूखा पड़ गया। तालाब सूखने लगे, और जानवरों के लिए पानी ढूंढना मुश्किल हो गया। गैंडा और चूहा भी पानी की तलाश में इधर-उधर भटकने लगे।  

एक दिन, चूहे ने गैंडे से कहा, “तुम्हारी ताकत हमारी मदद कर सकती है। अगर तुम जमीन को खोदो, तो शायद हमें पानी मिल जाए।”  

गैंडे ने अपनी ताकत का उपयोग करते हुए जमीन खोदनी शुरू की। कुछ ही देर में वहां एक छोटा तालाब बन गया, जिसमें से पानी निकलने लगा। दोनों ने अपनी प्यास बुझाई, और दूसरे जानवरों को भी वहां बुलाया।  

सभी जानवरों ने गैंडे की तारीफ की। लेकिन गैंडे ने कहा, “यह मेरी ताकत नहीं, बल्कि मेरे दोस्त के दिमाग का कमाल है।” 

जंगल में एक चालाक लोमड़ी रहती थी, जो गैंडे और चूहे की दोस्ती से जलती थी। उसने सोचा, “मैं इनकी दोस्ती खत्म करके दिखाऊंगी।”  

लोमड़ी ने गैंडे के पास जाकर कहा, “तुम इतने बड़े और ताकतवर हो, फिर भी तुम इस छोटे चूहे की बात मानते हो? क्या तुम्हें नहीं लगता कि वह तुम्हारी ताकत का इस्तेमाल कर रहा है?”  

गैंडा थोड़ा उलझन में आ गया। उसने चूहे से कहा, “क्या तुम सच में मेरा इस्तेमाल कर रहे हो?”  

चूहे को बहुत दुख हुआ। उसने कहा, “अगर तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं, तो मैं चला जाता हूं।” 

चूहे के जाने के बाद, गैंडा फिर अकेला हो गया। उसने महसूस किया कि उसकी जिंदगी फिर से खाली और उदास हो गई है। उसे समझ में आया कि लोमड़ी ने झूठ बोला था। उसने चूहे को ढूंढने का फैसला किया।  

चूहा जंगल के एक कोने में बैठा था, तभी वहां शेर आ गया। शेर ने चूहे को देखा और उसे पकड़ने के लिए झपटा। चूहे ने जोर से आवाज लगाई, “गैंडा! मुझे बचाओ!”  

गैंडा ने आवाज सुनी और तुरंत वहां पहुंचा। उसने अपनी ताकत का इस्तेमाल करके शेर को भगाया और चूहे की जान बचाई।  

गैंडा ने चूहे से माफी मांगी और कहा, “मुझे अब समझ में आ गया कि सच्चा दोस्त वही होता है, जो हर हाल में साथ खड़ा हो। मैं तुम्हारे बिना अधूरा हूं।”  

चूहा मुस्कराया और बोला, “दोस्ती में न शक की जगह होनी चाहिए, न स्वार्थ की। चलो, अब हम फिर से साथ चलते हैं।”  

उस दिन के बाद, गैंडा और चूहा हमेशा साथ रहे और उनकी दोस्ती और भी मजबूत हो गई।  

सीख

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सच्ची दोस्ती में न शक की जगह होती है और न ही ईर्ष्या की। दोस्तों को अपने-अपने गुणों का सम्मान करना चाहिए और एक-दूसरे की ताकत और कमजोरियों को समझना चाहिए। साथ ही, यह भी कि ताकत से ज्यादा महत्वपूर्ण है दिमाग और विश्वास।

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