फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम सिन्ड्रेला की कहानी (Cinderella Fairy Tale Story In Hindi) शेयर कर रहे हैं. Cinderella Ki Kahani एक पुरानी लोकप्रिय परी कथा है, जो एक सौतेली माँ की सतायी एक युवा लड़की की कहानी है. कैसे उसके जीवन में बदलाव आता है, यही इस कहानी में रोचक तरीके से बताया गया है. यह कहानी देश-विदेश में आज में बच्चों द्वारा बहुत पसंद की जाती है. पढ़िए पूरी कहानी :
Cinderella Story In Hindi
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एक नगर में एक धनी व्यापारी रहा करता था. उसकी ‘एला’ नाम की एक बहुत सुंदर बेटी थी. एला की माँ नहीं थी. बिन माँ की बच्ची एला को उसके पिता बहुत प्यार करते और उसकी हर ज़रूरतों का ख्याल रखते थे. एला भी अपने पिता से बहुत प्यार करती थी. लेकिन माँ की कमी उसे अक्सर महसूस होती और वह उसे याद कर रोया करती थी.
एला के पिता व्यापार के सिलसिले में अक्सर नगर से बाहर रहते थे. अपने पीछे उसे सदा एला की चिंता सताया करती थी. इसिलिये दूसरा विवाह कर वे एला के लिए माँ ले आये. एला की सौतेली माँ एक दुष्ट औरत थी. उसका इरादा एला के पिता की दौलत पर ऐशो-आराम का जीवन व्यतीत करना था. उसकी पहले से ही दो बेटियां थी. वे बदसूरत और अपनी अपनी माँ की तरह दुष्ट थी.
शादी के बाद एला की सौतेली माँ और बहनें उसके घर पर रहने लगी. एला के पिता के सामने तो वे उससे बहुत मीठी बातें और बहुत अच्छा व्यवहार करती. लेकिन उसके पीठ पीछे उसे तंग करने का कोई अवसर हाथ से जाने नहीं देती थी.
एक रोज़ एला के पिता को व्यापार के सिलसिले में नगर से बाहर जाना पड़ा. कई महिने गुजर गए. एला इंतज़ार करती रही. लेकिन उसके पिता नहीं लौटे. एक दिन उनके मौत की ख़बर आई. पिता के जाने के बाद एला अकेली रह गई थी. उसकी दुष्ट सौतेली माँ घर की मालकिन बन बैठी और एला की हालत अपने ही घर में नौकरानी जैसी हो गई.
राजकुमारी की तरह जीवन जीने वाली एला को उसकी सौतेली माँ पहनने के लिए फटे-पुराने कपड़े देती और घर का पूरा काम करवाती. फटे-पुराने कपड़ों में भी एला बहुत सुंदर लगती थी. इसलिए उसकी दोनों बदसूरत बहनें उससे जलती-कुढ़ती रहती थी.
अकेली एला के दोस्त उस घर में रहने वाले दो चूहे और एक नन्ही चिड़िया थी. दिन भर काम करने के बाद जब भी समय मिलता, वह उनके साथ खेला करती. रात को थककर वह अंगीठी के किनारे ही सो जाती. सोते समय अंगीठी की राख (सिंडर) छिटककर उस पर गिरने लगती. सुबह-सुबह उस पर अंगीठी की राख बिखरी होती, जिसे देखकर उसकी सौतेली बहनें उसे ‘सिंडर-एला’ के नाम से चिढ़ाती. धीरे-धीरे उसका नाम ‘सिन्ड्रेला’ (Cinderella) पड़ गया.
एक बार पूरे राज्य में यह घोषणा हुई कि राजा राजमहल में एक बहुत बड़े जलसे का आयोजन कर रहे हैं. उस जलसे में आने वाली लड़कियों में से ही एक लड़की राजकुमार विवाह के लिए चुनेंगे. जलसे में राज्य की सभी लड़कियों को बुलाया गया.
इस घोषणा के बारे में जब सिन्ड्रेला की सौतेली बहनों को पता चला, तो वे भी जलसे में जाने की तैयारियाँ करने लगी. सिन्ड्रेला भी राजमहल का जलसा देखने उत्साहित थी. लेकिन उसकी सौतेली माँ सिन्ड्रेला के वहाँ जाने के खिलाफ़ थी. उसे पता था कि सिन्ड्रेला की सुंदरता के सामने उसकी बदसूरत बेटियों की दाल नहीं गलने वाली. उसने सिन्ड्रेला को जलसे में जाने की अनुमति नहीं दी.
जलसे के दिन सिन्ड्रेला (Cinderella) को दुगुना काम सौंपकर उसकी सौतेली माँ अपनी दोनों बेटियों के साथ जलसे में चली गई. उदास सिन्ड्रेला दिन भर घर का काम करती रही और जलसे के बारे में सोचती रही. काम ख़त्म कर जब वह अंगीठी के पास बैठी, तो नन्हीं चिड़िया और दोनों चूहे उसकी पास आये और उसका मन बहलाने की कोशिश करने लगे. लेकिन उदास सिन्ड्रेला का मन नहीं बहला और उसकी आँखों में आँसू आ गए. वह अपनी माँ को याद करने लगी और सोचने लगी कि उसकी माँ होती, तो आज वह भी जलसे में जा पाती.
सिन्ड्रेला यह सोच ही रही थी कि अचानक उसके सामने एक परी प्रकट हुई. परी ने सिन्ड्रेला से उसकी उदासी का कारण पूछा, तो उसने जलसे की बात उसे बता दी. परी ने सिन्ड्रेला को जलसे में जाने के लिए तैयार किया. अपनी जादुई छड़ी से उसके उसके फटे-पुराने कपड़े को नये और ख़ूबसूरत कपड़े में बदल दिया. रसोई में रखे कद्दू को उसके जादू से एक ख़ूबसूरत बग्गी बना दी. दोनों चूहे घोड़े बन गए और चिड़िया कोचवान.
सिन्ड्रेला (Cinderella) के ख़ूबसूरत पैरों में परी ने काँच की जूतियाँ पहनाई और आँखों पर नक़ाब पहना दिया. अब सिन्ड्रेला बग्गी पर बैठकर जलसे में जाने के लिए तैयार थी. जाते-जाते परी ने उसे कहा कि उसका जादू रात १२ तक ही है. १२ बजे के पहले उसे किसी भी सूरत में वापस आना होगा, नहीं तो जादू समाप्त होते ही वह अपने फटे-पुराने कपड़ों में आ जायेगी. सिन्ड्रेला ने परी को वचन दिया कि वह रात १२ बजे के पहले घर वापस आ जाएगी और जलसे के लिए निकल गई.
सिन्ड्रेला जब जलसे में पहुँची, तो सब उसकी सुंदरता देखकर हैरान थे. वह जलसे की सबसे सुंदर लड़की थी. जब उसकी सौतेली बहनों ने उसे देखा, तो जल-भुन कर रह गई. लेकिन नक़ाब के कारण उसे पहचान न सकी. राजकुमार की नज़रें भी सिन्ड्रेला पर ठहर गई.
राजकुमार को पहली ही नज़र में सिन्ड्रेला से प्रेम हो गया था. वह उसे पास गया और उसे नृत्य के लिए आमंत्रित किया. सिन्ड्रेला और राजकुमार पूरी शाम एक साथ नृत्य करते रहे. जलसे में उपस्थित हर लड़की उन्हें देखकर ईर्ष्या करती रही. नृत्य करते समय राजकुमार ने सिन्ड्रेला (Cinderella) से उसके बारे में पूछा, तो सिन्ड्रेला ने अपनी पहचान छुपा ली और उसे कुछ नहीं बताया.
बहुत दिनों बाद घर से बाहर निकली सिन्ड्रेला बहुत ख़ुश थी. इस ख़ुशी में परी की बात उसने ज़ेहन से निकल गई. रात के १२ बजते साथ ही जब घड़ी का घंटा बजा, तो उसे परी की बात याद आई कि १२ बजे के पहले उसे हर हाल में वापस आना है.
वह राजकुमार (Prince) का हाथ छुड़ाकर महल के बाहर खड़ी बग्गी की ओर भागी. राजुकमार उसे जाने नहीं देना चाहता था. वह भी उसके पीछे भागा. भागते-भागते महल के दरवाज़े के पास सिन्ड्रेला के एक पैर की जूती निकल गई. सिन्ड्रेला के पास उसे फिर से पहनने का समय नहीं था. वह उसे वहीं छोड़कर बग्गी में बैठ गई. राजकुमार जब दरवाज़े तक पहुँचा, बग्गी जा चुकी थी और सिन्ड्रेला भी. राजकुमार उदास हो गया और महल में जाने लगा. तभी दरवाज़े पर पड़ी काँच की जूती पर उसकी नज़र पड़ी और उसने उसे उठा लिया.
इधर सिन्ड्रेला जैसे ही घर पहुँची, परी के जादू का प्रभाव समाप्त हो गया. वह पहले की तरह अपने फटे-पुराने कपड़ों में आ गई. बग्गी फिर से कद्दू बन गया. चूहे और नन्ही चिड़िया भी अपने असली रूप में वापस आ गये. लेकिन सिन्ड्रेला (Cinderella) बहुत ख़ुश थी. उसने परी का शुक्रिया अदा किया. परी उसे ढेर सारा आशीर्वाद देकर वापस चली गई.
दिन बीतने लगे. राजकुमार (Prince) के मन में अब भी सिन्ड्रेला बसी हुई थी. वह उसे भूल नहीं पा रहा था. उसने मन बना लिया कि वह किसी भी तरह सिन्ड्रेला को ढूंढ निकलेगा और उससे विवाह करेगा. सिन्ड्रेला को ढूंढने के लिए उसके पास उसकी काँच की जूती थी. उसने पूरे राज्य में यह घोषणा करवा दी कि जिस भी लड़की के पैर में काँच की वह जूती आ जायेगी. वह उससे विवाह करेगा.
राज्य की सभी लड़कियाँ राजुकमार से विवाह करने की इच्छुक थी. सभी उस काँच की जूती को अपना बताकर पहनने का प्रयास करने लगी. लेकिन वह जूती किसी के पैरों में नहीं आई. राजकुमार सेवकों के साथ नगर-नगर घूम रहा था. एक दिन घूमते-घूमते वह सिन्ड्रेला के घर पहुँच गया.
सिन्ड्रेला (Cinderella) की माँ ने राजकुमार का स्वागत कर उसे घर के अंदर ले गई. वहाँ उसे अपनी दोनों बेटियों से मिलवाया. लेकिन सिन्ड्रेला को राजकुमार के सामने आने नहीं दिया. सिन्ड्रेला की सौतेली बहनें काँच की वह जूती पैर में घुसाने में लग गई. लेकिन लाख कोशिशों के बाद भी वह उनके पैरों में नहीं आई.
निराश राजकुमार वहाँ से जाने लगा था, कि उसकी नज़र परदे के पीछे से झांकती सिन्ड्रेला पर पड़ गई. सिन्ड्रेला की माँ के बहुत मना करने के बाद भी उसने उसे जूती पहनने के लिए बाहर बुला लिया. सिन्ड्रेला ने बाहर आकर जब जूती पहनी, तो वह उसके पैर में आ गई. उसने दूसरी जूती भी निकालकर पहन ली. यह देखकर उसकी सौतेली माँ और बहनों की आँखें फटी की फटी रह गई.
लेकिन राजकुमार समझ गया था कि सिन्ड्रेला ही वह लड़की है, जो उसे जलसे में मिली थी और जिससे वह प्रेम करने लगा था. उसने सिन्ड्रेला के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा. सिन्ड्रेला ने भी वह प्रस्ताव सहर्ष स्वीकार कर लिया. राजकुमार और सिन्ड्रेला का विवाह हो गया और दोनों ख़ुशी-ख़ुशी रहने लगे.
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