चतुर चिड़िया की कहानी (Clever Bird Story In Hindi) Chatur Chidiya Ki Kahani इस पोस्ट में शेयर की जा रही है।
Clever Bird Story In Hindi
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बहुत समय पहले की बात है, एक हरे-भरे जंगल में विभिन्न प्रकार के पक्षी रहते थे। उनमें से एक थी छोटी, पर बेहद चतुर चिड़िया जिसका नाम था “चातकी”। चातकी के बारे में कहा जाता था कि वह न केवल तेज़ उड़ान भरती है, बल्कि अत्यधिक बुद्धिमान भी है। उसके इसी गुण के कारण जंगल के सारे पक्षी उसकी प्रशंसा करते थे। लेकिन कुछ पक्षी उससे ईर्ष्या भी करते थे, खासकर गरुड़, जो अपनी ताकत और तेज उड़ान के लिए जाना जाता था। गरुड़ को यह बात बिल्कुल नहीं भाती कि चातकी को उसकी बुद्धिमत्ता के लिए इतना सम्मान मिलता है।
एक दिन गरुड़ ने चातकी से कहा, “तुम अपने आप को बहुत बुद्धिमान समझती हो, लेकिन याद रखना, जंगल का सबसे शक्तिशाली और तेज़ उड़ने वाला पक्षी मैं हूँ। तुम्हारी चालाकी मेरे सामने कुछ भी नहीं। आओ, एक प्रतियोगिता कर लें और यह साबित कर लें कि असली विजेता कौन है।”
चातकी गरुड़ की चुनौती सुनकर शांत रही। वह जानती थी कि गरुड़ बलवान और तेज़ उड़ने वाला पक्षी है, लेकिन चातकी ने अपनी बुद्धि और चतुराई पर भरोसा किया। उसने गरुड़ की चुनौती स्वीकार करते हुए कहा, “ठीक है गरुड़, मैं तुम्हारी चुनौती स्वीकार करती हूँ। हम दोनों एक प्रतियोगिता करेंगे।”
गरुड़ ने प्रतियोगिता की शर्त बताई, “हम दोनों सूरज उगने के साथ उड़ान भरेंगे और पहाड़ के उस पार बहने वाली नदी तक पहुँचेंगे। जो भी पहले वहाँ पहुँच जाएगा, वही विजेता होगा।”
चातकी ने सहमति में सिर हिलाया, लेकिन उसकी आँखों में एक चतुराई भरी चमक थी। उसने समझ लिया था कि गरुड़ शारीरिक बल के दम पर प्रतियोगिता जीतने की कोशिश करेगा, जबकि उसे अपनी बुद्धिमत्ता का सहारा लेना होगा।
अगले दिन सूरज उगने के साथ ही प्रतियोगिता शुरू हुई। जैसे ही सूरज की पहली किरणें धरती पर पड़ीं, गरुड़ अपनी शक्तिशाली पंखों को फैलाकर तेज़ गति से उड़ान भरने लगा। वह आसमान में बहुत ऊँचा और तेज़ उड़ रहा था। दूसरी तरफ, चातकी भी उड़ान भर चुकी थी, लेकिन उसकी उड़ान गरुड़ की तुलना में धीमी थी। गरुड़ ने देखा कि वह काफी आगे निकल चुका है और मन ही मन सोचने लगा, “यह तो आसान जीत है। चातकी को मैं आसानी से हरा दूंगा।”
गरुड़ ने अपनी गति बढ़ाई और कुछ ही देर में चातकी की नज़र से ओझल हो गया। लेकिन चातकी घबराई नहीं, वह अपनी योजना के अनुसार उड़ रही थी।
चातकी ने देखा कि गरुड़ तेज़ उड़ान के कारण जल्द ही थक जाएगा। उसने एक चतुर योजना बनाई। वह सीधे नदी की दिशा में न जाकर पेड़ों के घने जंगलों के बीच से उड़ने लगी, जहाँ हवा की दिशा और गति गरुड़ के मुकाबले उसे अधिक सहायता प्रदान कर सकती थी। उसने छोटे-छोटे आराम के पल लिए, लेकिन हमेशा अपनी मंजिल की ओर ध्यान बनाए रखा।
दूसरी तरफ, गरुड़ ने लगातार तेज़ गति से उड़ान भरी और उसकी ताकत धीरे-धीरे घटने लगी। गरुड़ यह सोचकर शांत नहीं हो रहा था कि चातकी उससे बहुत पीछे है और वह आराम से जीत जाएगा। लेकिन थोड़ी ही देर बाद गरुड़ को अपनी थकान का एहसास हुआ। उसने एक पेड़ की शाखा पर बैठकर थोड़ा आराम किया, लेकिन उसकी आत्मविश्वास भरी सोच ने उसे लापरवाह बना दिया। वह बहुत देर तक आराम करता रहा। इस दौरान, चातकी अपने चुने हुए रास्ते से तेजी से आगे बढ़ती रही।
जब गरुड़ ने फिर से उड़ान भरने की कोशिश की, तब उसकी ऊर्जा कम हो चुकी थी, और वह पहले जैसी गति से उड़ नहीं पा रहा था।
दूसरी ओर, चातकी अपनी योजना के अनुसार उड़ते हुए नदी के पास पहुँच गई। वह नदी के किनारे आराम करने लगी और गरुड़ का इंतजार करने लगी। थोड़ी देर बाद गरुड़ भी वहाँ पहुँचा, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी।
गरुड़ ने जैसे ही चातकी को नदी के किनारे आराम करते हुए देखा, उसकी आँखों में आश्चर्य और शर्म की मिलीजुली भावनाएँ थीं। वह गहरी सांस लेते हुए बोला, “मैंने सोचा था कि मैं ताकत और गति के दम पर जीत जाऊँगा, लेकिन तुमने अपनी चतुराई से बाजी पलट दी।”
चातकी ने मुस्कुराते हुए कहा, “गरुड़, सिर्फ ताकत ही सब कुछ नहीं होती। चतुराई और सही योजना भी उतनी ही जरूरी होती है। मैंने अपनी सीमाओं को समझा और उसी के अनुसार अपनी योजना बनाई।”
गरुड़ ने अपनी हार मान ली और कहा, “तुम सचमुच बुद्धिमान हो, चातकी। तुमने मुझे सिखाया कि कभी-कभी कम ताकतवर होना भी जीत का कारण बन सकता है, अगर उसके साथ चतुराई हो।”
इस प्रतियोगिता के बाद जंगल के सभी पक्षियों ने चातकी की चतुराई की प्रशंसा की और गरुड़ ने भी उसे अपना साथी मान लिया। इस कहानी से सभी ने यह सीखा कि सिर्फ शक्ति और गति ही नहीं, बल्कि समझदारी और सही योजना से भी बड़े लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं।
सीख
चाहे आप छोटे और कमजोर क्यों न हों, अगर आप सही तरीके से सोचें और काम करें, तो आप किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं।
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