दाऊद और गोलियत की कहानी बाइबल (David And Goliath Story In Hindi Bible) दाऊद और गोलियत की कहानी बाइबिल के पुराने नियम में 1 शमूएल 17 में वर्णित है। यह कहानी साहस, विश्वास, और भगवान पर निर्भरता का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करती है।
David And Goliath Story In Hindi
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फिलिस्तीनियों और इजरायलियों के बीच युद्ध चल रहा था। फिलिस्तीनी और इजरायली सेनाएं सोकोह नामक स्थान पर आमने-सामने थीं। फिलिस्तीनियों के पास एक शक्तिशाली योद्धा था जिसका नाम गोलियत था। गोलियत का कद लगभग नौ फुट लंबा था और वह पूरी तरह से हथियारों से सुसज्जित था। उसकी शक्ति और ऊंचाई के कारण इजरायली सेना भयभीत थी।
गोलियत ने 40 दिनों तक रोज सुबह और शाम इजरायली सेना को चुनौती दी। वह कहता, “तुम में से एक योद्धा मेरे साथ लड़ने के लिए आए। यदि वह मुझे हरा दे, तो हम तुम्हारे दास होंगे; लेकिन यदि मैं उसे हरा दूं, तो तुम हमारे दास बनोगे।”
इस चुनौती से इजरायली सेना में भय फैल गया। कोई भी योद्धा गोलियत का सामना करने के लिए तैयार नहीं था। यहां तक कि राजा शाऊल भी इस स्थिति से चिंतित थे।
दाऊद, यिशै का सबसे छोटा बेटा था। वह एक चरवाहा था और अपने पिता की भेड़ों की देखभाल करता था। उसके तीन बड़े भाई इजरायली सेना में थे और गोलियत की चुनौती के समय युद्ध में थे। यिशै ने दाऊद को अपने भाइयों के लिए भोजन और समाचार लाने के लिए भेजा।
जब दाऊद युद्ध क्षेत्र में पहुंचा, तो उसने गोलियत की चुनौती को सुना और देखा कि सभी इजरायली योद्धा भयभीत थे। उसने अपने भाइयों और अन्य सैनिकों से पूछा, “इस फिलिस्तीनी को हराने वाले को क्या मिलेगा?” सैनिकों ने उत्तर दिया, “राजा शाऊल ने वादा किया है कि जो कोई भी गोलियत को हराएगा, उसे बहुत धन मिलेगा, उसकी बेटी से विवाह करेगा और उसके पिता के परिवार को कर मुक्त करेगा।”
दाऊद ने कहा, “यह अनारक्षित फिलिस्तीनी कौन है जो जीवित परमेश्वर की सेना को ललकार रहा है?” उसके साहस और विश्वास ने सैनिकों को प्रभावित किया और वे उसे राजा शाऊल के पास ले गए।
शाऊल ने दाऊद से कहा, “तुम इतने छोटे हो, और यह व्यक्ति लड़ाई का अनुभवी योद्धा है। तुम इसका सामना कैसे करोगे?”
दाऊद ने उत्तर दिया, “जब मैं अपने पिता की भेड़ों की देखभाल करता था, तो शेर या भालू के आने पर मैं उसे मार डालता था। यह अनारक्षित फिलिस्तीनी भी उन शेरों और भालुओं की तरह है। परमेश्वर, जिसने मुझे शेर और भालू से बचाया, वही मुझे इस फिलिस्तीनी से भी बचाएगा।”
शाऊल ने दाऊद की दृढ़ता को देखते हुए उसे गोलियत का सामना करने की अनुमति दी और उसे अपने कवच पहनने के लिए कहा। लेकिन दाऊद ने उन्हें पहनने के बाद कहा, “मैं इनसे नहीं लड़ सकता, क्योंकि मैं इनका अभ्यस्त नहीं हूं।” उसने कवच उतार दिया और केवल अपनी छड़ी, पांच चिकने पत्थर और अपनी गोफन के साथ गोलियत का सामना करने के लिए निकल पड़ा।
गोलियत ने दाऊद को आते देखा और उसका मजाक उड़ाते हुए कहा, “क्या मैं कुत्ता हूं जो तुम लाठी लेकर मेरे पास आ रहे हो?” उसने दाऊद को शाप दिया और कहा, “आओ, मैं तुम्हारा मांस आकाश के पक्षियों और मैदान के जानवरों को दूंगा।”
दाऊद ने उत्तर दिया, “तुम तलवार, भाला और ढाल लेकर मेरे पास आते हो, लेकिन मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर के नाम पर तुम्हारे पास आता हूं। आज ही परमेश्वर तुम्हें मेरे हाथ में कर देगा और मैं तुम्हें हराकर तुम्हारा सिर काट लूंगा। सभी को पता चल जाएगा कि इजरायल में एक परमेश्वर है। यह युद्ध तलवार और भाले से नहीं, बल्कि परमेश्वर की शक्ति से लड़ा जाएगा।”
गोलियत ने दाऊद की ओर बढ़ना शुरू किया। दाऊद ने अपने थैले से एक पत्थर निकाला, उसे गोफन में रखकर घुमाया और सीधे गोलियत के माथे पर दे मारा। पत्थर गोलियत के माथे में धंस गया और वह जमीन पर गिर पड़ा। दाऊद ने दौड़कर गोलियत की तलवार निकाली और उसका सिर काट लिया।
फिलिस्तीनी योद्धा अपने विशाल योद्धा की मौत देखकर भयभीत हो गए और भाग खड़े हुए। इजरायली सेना ने उनका पीछा किया और बड़ी विजय प्राप्त की।
सीख
दाऊद और गोलियत की कहानी हमें यह सिखाती है कि सच्चा साहस और विश्वास आकार, शक्ति, या अनुभव पर निर्भर नहीं होता। दाऊद ने अपने विश्वास, साहस और परमेश्वर पर निर्भरता के बल पर एक विशाल योद्धा को परास्त किया। इस कहानी से हमें यह भी सिखने को मिलता है कि अपने डर का सामना करना और अपने विश्वास पर दृढ़ रहना हमें किसी भी चुनौती को पार करने में मदद कर सकता है।
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