फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम उत्तर प्रदेश की लोक कथा “धान की कहानी” (Dhaan Ki Kahani UP Ki Lok Katha) शेयर कर रहे है. यह लोक कथा खेतों में धान उगने की शुरूवात से संबंधित हैं.
Dhaan Ki Kahani UP Ki Lok Katha
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ब्राह्मण बस्ती के ब्राहमणों को एक बार पड़ोसी गाँव से भोज का निमंत्रण मिला. सभी बहुत प्रसन्न हुए और अगले दिन प्रातःकाल ही पड़ोसी गाँव के लिए निकल गये. वहाँ उनकी जमकर खातिरदारी हुई. एक से बढ़कर एक पकवान परोसे गये. सबने पेट भरकर और मन भरकर खाया. फिर दक्षिणा प्राप्त कर वापस घर लौटे लगे.
सभी पैदल आये थे, तो पैदल ही लौट रहे थे. रास्ते में उन्होंने देखा कि चांवल का एक खेत लहलहा रहा है. वे सभी खेत में गये. चांवल की बालियाँ देखते ही, वे स्वयं पर नियंत्रण नहीं रख सके और कच्चे चांवल ही खाने लगे.
उसी समय आकाश मार्ग से भगवान शिव और माँ पार्वती जा रहे थे. उन ब्राह्मणों पर दृष्टि पड़ते ही माँ पार्वती शिवजी से बोली, “देखिये इन्हें, कैसे कच्चे चांवल चबा रहे हैं. जबकि अभी कुछ देर पहले ही भोज करके आ रहे हैं.”
भगवान शिव ने उन ब्राहमणों पर दृष्टि डाली, किंतु कुछ नहीं बोले.
माँ पार्वती बोली, “हमें कुछ करना चाहिए.”
इस पर भी भगवान शिव का मौन न टूटा. तब माँ पार्वती ने सोचा कि अब मुझे ही कुछ करना पड़ेगा और उन्होंने चांवल को श्राप दिया कि उसके ऊपर छिलका हो जाये. तब से ही चांवल के ऊपर छिलका आने लगा और खेतों में चांवल नहीं धान उगने लगा.
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