Moral Story In Hindi

दोस्त और दुश्मन की कहानी | Dost Aur Dushman Ki Kahani

dost dushman ki kahani दोस्त और दुश्मन की कहानी | Dost Aur Dushman Ki Kahani
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दोस्त और दुश्मन की कहानी (Dost Aur Dushman Ki Kahani) प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में दोस्ती और दुश्मनी के अलग-अलग अनुभव होते हैं। दोस्ती हमें सहारा देती है, जबकि दुश्मनी हमें संघर्ष और कठिनाइयों से रूबरू कराती है। इस कहानी में हम दो मुख्य पात्रों, अर्जुन और समीर, की दोस्ती और दुश्मनी की गाथा को जानेंगे, जो प्रारंभ में पक्के दोस्त थे, पर समय और परिस्थितियों के चलते एक-दूसरे के कट्टर दुश्मन बन गए। लेकिन अंत में, उन्होंने यह समझा कि दुश्मनी से जीवन में कुछ भी हासिल नहीं होता।

Dost Aur Dushman Ki Kahani

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Dost Aur Dushman Ki Kahani

अर्जुन और समीर बचपन के सबसे अच्छे दोस्त थे। वे दोनों एक ही स्कूल में पढ़ते थे और हमेशा एक-दूसरे का साथ देते थे। उनकी दोस्ती इतनी गहरी थी कि वे हर काम एक साथ करते थे, चाहे वह खेलना हो, पढ़ाई हो, या स्कूल की किसी प्रतियोगिता में भाग लेना। उनके घर के लोग भी उनकी इस दोस्ती से खुश थे और अक्सर उन्हें साथ देखकर मुस्कुराते थे।

अर्जुन अपने स्वभाव में शांत और मेहनती था, जबकि समीर थोड़ा चंचल और नटखट था। लेकिन उनकी मित्रता में इन स्वभावों का कोई असर नहीं पड़ा। वे दोनों एक-दूसरे की ताकत और कमजोरियों को समझते थे और हमेशा एक-दूसरे का साथ देते थे। लोग उनकी दोस्ती की मिसाल देते थे, और सभी को लगता था कि वे हमेशा ऐसे ही साथ रहेंगे।

समय बीतता गया, और दोनों दोस्तों ने एक ही कॉलेज में दाखिला लिया। कॉलेज में उनका नया जीवन शुरू हुआ। लेकिन यहीं से उनकी दोस्ती में दरार आने लगी। अर्जुन ने पढ़ाई में अपनी पूरी ताकत झोंक दी और कॉलेज में अव्वल आने की ठानी, जबकि समीर अब भी अपने पुराने चंचल स्वभाव में मग्न था। उसे पढ़ाई की इतनी परवाह नहीं थी, और वह अपने दोस्तों के साथ समय बिताना ज्यादा पसंद करता था।

समीर को यह महसूस होने लगा कि अर्जुन अब पहले जैसा नहीं रहा। वह उसे समय नहीं देता था और हमेशा पढ़ाई में डूबा रहता था। दूसरी ओर, अर्जुन को लगता था कि समीर उसकी मेहनत की कदर नहीं करता और उसे हर बात में टोकता रहता है। दोनों के बीच गलतफहमियां बढ़ने लगीं। एक दिन कॉलेज में एक बड़ा प्रोजेक्ट आया, जिसमें दोनों को साथ काम करना था। लेकिन समीर ने इसे गंभीरता से नहीं लिया, और अर्जुन ने अकेले ही सारा काम कर लिया।

जब प्रोजेक्ट का रिजल्ट आया, तो अर्जुन को सबसे ज्यादा प्रशंसा मिली, और समीर को लगा कि अर्जुन ने उसका अपमान किया है। यह बात समीर के मन में बैठ गई, और उसने अर्जुन से दूरी बना ली। धीरे-धीरे उनकी दोस्ती में खटास आने लगी, और जो दोस्त पहले एक-दूसरे के बिना कुछ नहीं करते थे, अब एक-दूसरे से बात तक नहीं करते थे।

समीर को अर्जुन से जलन होने लगी। वह हर जगह अर्जुन को नीचा दिखाने की कोशिश करने लगा। अर्जुन ने कई बार कोशिश की कि वह समीर से बात करके चीजों को सुलझा ले, लेकिन समीर ने उसकी हर कोशिश को नकार दिया। अर्जुन को भी अब गुस्सा आने लगा, और वह भी समीर से दूरी बनाने लगा।

कॉलेज में एक खेल प्रतियोगिता का आयोजन हुआ, जिसमें अर्जुन और समीर दोनों ही भाग ले रहे थे। यह मौका था कि दोनों फिर से एक टीम बन सकते थे, लेकिन समीर ने अर्जुन के साथ टीम बनाने से मना कर दिया। वे अलग-अलग टीमों में खेलते हुए एक-दूसरे को हराने की कोशिश करने लगे। प्रतियोगिता के दौरान दोनों ने अपने-अपने तरीकों से जीतने की पूरी कोशिश की, लेकिन अंत में अर्जुन की टीम जीत गई। समीर को यह हार बहुत बुरी लगी और उसने अर्जुन से बातचीत पूरी तरह बंद कर दी।

समीर अब अर्जुन को अपना दुश्मन मान चुका था। वह हर जगह अर्जुन को नीचा दिखाने के मौके तलाशता रहता था। एक दिन कॉलेज के एक कार्यक्रम में अर्जुन को उसकी मेहनत के लिए सम्मानित किया गया। समीर ने उस दिन अर्जुन का अपमान करने का मन बना लिया। उसने अर्जुन के खिलाफ झूठी अफवाहें फैलाईं और सभी से कहा कि अर्जुन ने अपनी सफलता के लिए गलत तरीके अपनाए हैं।

अर्जुन को जब यह बात पता चली, तो वह बहुत दुखी हुआ। उसे समझ नहीं आया कि उसका सबसे अच्छा दोस्त उसके साथ ऐसा क्यों कर रहा है। अब दोनों की दुश्मनी पूरे कॉलेज में चर्चा का विषय बन गई थी। जहां एक समय लोग उनकी दोस्ती की मिसाल देते थे, अब उनकी दुश्मनी की कहानियां हर तरफ सुनाई देने लगीं।

समय बीतता गया, और एक दिन समीर के पिता गंभीर रूप से बीमार पड़ गए। समीर को तुरंत पैसों की जरूरत थी, लेकिन उसके पास इतने पैसे नहीं थे। उसने कई दोस्तों से मदद मांगी, लेकिन कोई भी आगे नहीं आया। वह बहुत परेशान था और नहीं जानता था कि अब क्या करे।

अर्जुन को जब यह बात पता चली, तो उसने बिना सोचे-समझे समीर की मदद करने का फैसला किया। उसने अपनी सारी बचत समीर को दी ताकि वह अपने पिता का इलाज करा सके। समीर को जब यह पता चला कि उसकी मदद अर्जुन ने की है, तो वह हैरान रह गया। उसे अपनी गलती का एहसास हुआ कि उसने अपने सच्चे दोस्त को गलत समझा और बेवजह उसकी दुश्मनी मोल ली।

समीर तुरंत अर्जुन के पास गया और उससे माफी मांगी। उसने अर्जुन से कहा, “मैंने तुम्हें गलत समझा। तुमने मेरी इतनी मदद की, जबकि मैंने तुम्हारे साथ हमेशा बुरा किया। मैं बहुत शर्मिंदा हूं।”

अर्जुन ने मुस्कुराते हुए कहा, “दोस्त, दोस्ती में माफ करने और समझने की जरूरत होती है। हम दोनों ने गलतफहमियों के चलते अपनी दोस्ती खो दी, लेकिन अब हमें इसे फिर से ठीक करना होगा।”

समीर और अर्जुन ने फिर से अपनी पुरानी दोस्ती को वापस पा लिया। उन्होंने समझा कि दुश्मनी से कुछ हासिल नहीं होता, बल्कि यह हमारे जीवन में कड़वाहट ही भरती है। उन्होंने तय किया कि वे अब कभी भी छोटी-छोटी बातों पर एक-दूसरे से नाराज नहीं होंगे और हमेशा एक-दूसरे का साथ देंगे।

सीख

दोस्ती जीवन का सबसे अनमोल रिश्ता है। अगर हम अपने दोस्तों के साथ ईमानदारी और समझदारी से पेश आते हैं, तो कोई भी गलतफहमी हमारी दोस्ती को नुकसान नहीं पहुंचा सकती। लेकिन अगर हम दुश्मनी पालते हैं, तो हम अपनी ही खुशियों को खो देते हैं। इसलिए, हमेशा अपने दोस्तों को समझें, उन्हें माफ करें और अपनी दोस्ती को मजबूत बनाएं।

दोस्ती सबसे बड़ी ताकत होती है, और इसे बर्बाद नहीं करना चाहिए। जब हम एक-दूसरे को समझते हैं और गलतफहमियों को दूर करते हैं, तब ही हम सच्ची दोस्ती को कायम रख सकते हैं।

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