हाथी और छः अंधे व्यक्ति की शिक्षाप्रद कहानी | Elephant And Six Blind Men Story In Hindi

फ्रेंड्स, हम इस पोस्ट में हाथी और छः अंधे व्यक्ति की शिक्षाप्रद कहानी (Elephant And Six Blind Men Story In Hindi) शेयर कर रहे हैं. ये छः अंधे दोस्तों की है, जिनके गाँव में हाथी आता है. उत्सुकतावश वे हाथी के पास जाते हैं और उसे छूकर महसूस करते हैं. उनकी हाथी के बारे में क्या सोच रहती है? क्या सब एक समान रहती है? यदि उनकी सोच में भिन्नता रहती है तो क्यों? कहानी से क्या सीख मिलती है? ये जानने के लिए पढ़िए The Blind Man And The Elephant Story In Hindi:

Elephant And Six Blind Men Story In Hindi

Elephant And Six Blind Men Story In Hindi
Elephant And Six Blind Men Story In Hindi

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एक गाँव में छः अंधे व्यक्ति रहते थे. एक दिन उनके गाँव में एक हाथी आया, जो पूरे गाँव में चर्चा का विषय बन गया. सब उसे देखने जाने लगे, विशेषकर बच्चे. लंबी सूंड और पंखे जैसे कान वाले विशालकाय हाथी को देखकर बच्चे बड़े ख़ुश थे.

छः अंधे व्यक्तियों को भी एक गाँव वाले ने बताया कि आज गाँव में हाथी आया है. हाथी के बारे में सुनकर उनमें जिज्ञासा जाग उठी. उन्होंने हाथी के बारे में सुना अवश्य था, किंतु छूकर उसके स्पर्श को महसूस नहीं किया था.

एक अंधे व्यक्ति बोला, “दोस्तों! इतना सुन रखा है हाथी के बारे में. आज गाँव में हाथी आया है, तो मैं उसे छूकर महसूस करना चाहता हूँ. क्या तुम लोग नहीं चाहते?”

उसकी बात सुनकर अन्य पाँच भी हाथी को छूकर महसूस करने के लिए लालायित हो उठे. वे सभी उस जगह पर पहुँचे, जहाँ हाथी था. वे हाथी के करीब गए और उसे छूने लगे.

पहले व्यक्ति ने हाथी के खंबे जैसे विशाल पैर को छुआ और बोला, “ओह, हाथी खंबे जैसा होता है.”

दूसरे व्यक्ति के हाथ में हाथी की पूंछ आई, जिसे पकड़कर वह बोला, “गलत कर रहे हो दोस्त, हाथी खंबे की तरह नहीं, बल्कि रस्सी की तरह होता है.”

तीसरे व्यक्ति के हाथी की लंबी सूंड पकड़ी और कहने लगा, “अरे नहीं, हाथी तो पेड़ के तने जैसा होता है.”

चौथे व्यक्ति ने हाथी के पंखें जैसे कान छुए और उसे लगा कि बाकी सब गलत कह रहे हैं, वो उन्हें समझाते हुए बोला, “हाथी पंखें जैसा होता है.”

पांचवें व्यक्ति ने हाथी का पेट छूते हुए कहा, “अरे तुम सब कैसे अजीब बातें कर रहे हो. हाथी तो दीवार की तरह होता है.”

छटवें व्यक्ति ने हाथी के दांत को छुआ और बोला, “सब गलत कह रहे हो. हाथी कठोर नली की तरह होता है.”

सब अपनी-अपनी बात पर अडिग थे. कोई दूसरे की बात सुनने को तैयार नहीं था. वे आपस में बहस कर अपनी बात सही साबित करने में लग गए. धीरे-धीरे बहस बढ़ती गई और झगड़े में तब्दील हो गई.

उस समय एक सयाना व्यक्ति वहाँ आया. उन सबको झगड़ते हुए देख उनसे पूछा, “तुम लोग आपस में क्यों झगड़ रहे हो?”

छहो अंधे व्यक्तियों ने उसे बताया कि वे हाथी को छूकर महसूस करने आये थे और उसे छूने के बाद हम सबमें बहस हो रही है कि हाथी होता कैसा है. फ़िर सबने उसे अपना आंकलन बताया.

उनकी बात सुनकर सयाना व्यक्ति हँस पड़ा और बोला, “तुम सब लोग ख़ुद को सही साबित करने के लिए झगड़ रहे हो और सच ये है कि तुम सब सही हो.”

“ऐसा कैसे हो सकता है?” अंधे व्यक्ति हैरत में बोले.

“बिल्कुल हो सकता है और ऐसा ही है. तुम सब अपनी-अपनी जगह सही हो. तुम लोगों ने हाथी के शरीर के अलग-अलग अंगों को छुआ है और उसके हिसाब से उसका वर्णन किया है. इसलिए हाथी के बारे में तुम्हारा आंकलन भिन्न है. वास्तव में हाथी तुम सबके आंकलन अनुसार ही है, वह खंबे जैसे पैरों वाला, पंखे जैसे कान वाला, रस्सी जैसे पूंछ वाला, तने जैसे सूंड वाला, दीवार जैसे पेट वाला, नली जैसे दांतों वाला एक विशालकाय जानवर है. इसलिए झगड़ा बंद करो और अपने-अपने घर जाओ.”

यह सुनकर सब सोचते लगे कि हम सब बेकार में ही झगड़ रहे थे और फ़िर सब घर लौट गये.

सीख (The Blind Man And The Elephant Story Moral Lesson)

१. अक्सर हम किसी विषय के संबंध में सीमित ज्ञान के आधार पर अपनी धारणा बना लेते हैं और दूसरों से अपनी धारणा को लेकर उलझ जाते हैं तथा स्वयं को सही साबित करने की कोशिश करने लगते हैं. जबकि संभव है कि उस व्यक्ति की धारणा भी उसके सीमित ज्ञान के दायरे में सही हो. किसी भी विषय के हर पहलू के बारे में जाने बिना उस संबंध में एकदम से कोई अटल धारणा नहीं बनाना चाहिए.

२. कई बार फ़र्क नज़रिये का होता है. किसी भी चीज़ को देखने का हमारा नज़रिया दूसरों से भिन्न हो सकता है. हमें एक-दूसरे के नज़रिये का भी सम्मान करना चाहिए.  

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