हर दिन एक अच्छा दिन जेन कथा (Every Day is a Good Day Zen Story In Hindi)
ज़ेन परंपरा की कथाएँ छोटी होती हैं, परंतु उनके भीतर छिपे संदेश विशाल होते हैं। वे किसी प्रवचन की तरह शोर नहीं मचातीं, बल्कि किसी शांत झील की तरह हमारे भीतर उतरती हैं।
“हर दिन एक अच्छा दिन” — यह वाक्य जितना साधारण दिखता है, उतना ही गहन है। यह हमें समय, परिस्थिति और भावनाओं के पार जाकर जीना सिखाता है।
इस कथा में हम एक ऐसे शिष्य और गुरु की यात्रा देखेंगे, जहाँ अच्छे दिन का मतलब केवल ख़ुशी नहीं, बल्कि स्वीकार और जागरूकता से है।
Every Day is a Good Day Zen Story In Hindi
Table of Contents
कई वर्षों पहले जापान के एक पहाड़ी गाँव में एक युवा शिष्य, केन्तो, ज़ेन मठ में दीक्षा लेने आया। केन्तो की आँखों में जिज्ञासा थी, लेकिन मन में बहुत उतार-चढ़ाव। वह हर चीज़ को समझना चाहता था—जन्म, मृत्यु, दुःख, सफलता, विफलता, और जीवन का अर्थ।
गुरु हॉशिन एक वृद्ध और शांत ज़ेन मास्टर थे। उनका चेहरा झुर्रियों से भरा था, पर आँखों में ऐसा नूर था जैसे वे हर चीज़ को देख चुके हों, और अब बस मौन में जीते हों।
पहले दिन, केन्तो ने उनसे पूछा—
“गुरुदेव, आप इतने शांत कैसे रहते हैं? क्या आपको कभी बुरा दिन नहीं आता?”
हॉशिन मुस्कुराए, चाय की प्याली केन्तो की ओर बढ़ाते हुए बोले—
“हर दिन एक अच्छा दिन है।”
केन्तो चौंका। वह सोच रहा था कि गुरु शायद ध्यान, योग या आत्मा की गहराई पर कोई जटिल उत्तर देंगे, लेकिन ये… इतना साधारण?
“हर दिन एक अच्छा दिन?”
यह वाक्य केन्तो के मन में फँस गया। उसने सोचा—“यह संभव कैसे है? क्या उस दिन भी जब तूफ़ान आया और गाँव का पुल बह गया… वह भी अच्छा दिन था?”
अगले हफ्ते केन्तो ने गुरु के साथ रहना शुरू किया। वह सुबह 4 बजे उठता, झाड़ू लगाता, चाय बनाता, ध्यान करता, बाग़ की देखरेख करता, और गुरु के साथ मौन में बैठता।
शुरुआत में सब कुछ अच्छा लगा।
लेकिन कुछ ही दिनों में उसका मन चिढ़ने लगा।
एक दिन, उसके जूते किसी और ने पहन लिए।
एक दिन, उसके बनाए चाय पर किसी ने नाक सिकोड़ ली।
एक दिन, उसे तेज बुखार हो गया, फिर भी काम करना पड़ा।
हर दिन कुछ न कुछ बिगड़ता।
वह गुरु के पास गया और बोला, “गुरुदेव, ये कैसे ‘अच्छे दिन’ हैं? ये तो तकलीफ़ों से भरे हैं।”
हॉशिन ने उसकी ओर देखा, फिर एक पंखा उठाया और धीरे-धीरे झलने लगे।
“पवन अच्छा है,” उन्होंने कहा।
“लेकिन क्या जब गर्म हवा चलती है, तब भी वही पवन अच्छा कहलाएगा?” केन्तो ने तर्क दिया।
गुरु ने कहा—
“गर्मी, ठंड, सुख, दुःख… ये सब तो पवन के अलग-अलग रूप हैं। लेकिन पवन पवन है। बस वही देखो—जो है, जैसा है।”
अगले दिन गुरु नहीं दिखे।
केन्तो ने मठ में खोजा—वह ध्यान कक्ष में मौन बैठे थे। उस दिन गुरु ने उससे कुछ नहीं कहा।
फिर अगला दिन आया। और फिर अगला।
तीन दिन तक गुरु ने मौन व्रत रखा।
केन्तो बेचैन हो उठा। उसे जवाब चाहिए था।
तीसरे दिन शाम को, गुरु ने एक खाली पृष्ठ के नीचे कुछ लिखा और केन्तो को थमा दिया।
केन्तो ने पढ़ा—
“हर दिन एक अच्छा दिन है। जब तुम उम्मीद करना छोड़ दो, तो देखना—हर दिन तुम्हारे सामने खुल जाएगा, जैसे कमल।”
उस रात, केन्तो ने पहली बार मौन को भीतर सुना।
अब वह सुबह उठता था, लेकिन किसी परिणाम की अपेक्षा नहीं रखता था।
अगर चाय उबल गई, तो बस अगली बनाता।
अगर झाड़ू लगाते समय धूल उड़ती, तो वह उस उड़ती धूल को देखता।
अगर कोई कुछ कहता, तो वह केवल सुनता… प्रतिक्रिया नहीं देता।
वह देख रहा था—जीवन बदल नहीं रहा था, पर वह बदल रहा था।
कुछ महीनों बाद, एक दिन उसने पूछा—
“गुरुदेव, अब मैं समझता हूँ। लेकिन फिर भी, क्या कभी आपको दुःख नहीं होता?”
हॉशिन मुस्कुराए—
“दुःख आता है, हाँ। पर अब मैं उसके साथ बैठता हूँ, जैसे किसी पुराने मित्र के साथ। वह आता है, कुछ कहता है… और चला जाता है। जैसे मौसम।”
सीख (Moral Of The Story)
हर दिन एक अच्छा दिन है — इसका अर्थ यह नहीं कि हर दिन केवल सुखद घटनाएँ होंगी। इसका अर्थ यह है कि हर दिन पूर्ण है, जैसा वह है। जीवन में यदि हम अपने दृष्टिकोण को बदल लें—अपेक्षाओं से हटकर, जागरूकता की ओर—तो हम हर अनुभव में कुछ न कुछ सीख पाएँगे।
हम बुरे दिन को “बुरा” इसलिए मानते हैं क्योंकि हम उसके परिणामों से डरते हैं। पर जब हम उसे पूरी तरह स्वीकारते हैं, तो वही दिन भी हमें कुछ सिखाता है, कुछ बड़ा बना देता है।
ज़ेन हमें सिखाता है कि जीवन को तोड़ा-फोड़ा न जाए — बल्कि जैसा है, वैसा स्वीकारा जाए। जब हम संघर्ष बंद कर देते हैं, तब ही शांति शुरू होती है।
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