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यहेजकेल की कहानी | Ezekiel Story In Hindi

यहेजकेल की कहानी (Ezekiel Story In Hindi Bible) बाइबल के पुराने नियम में यहेजकेल एक प्रमुख भविष्यवक्ता के रूप में जाने जाते हैं। उनकी पुस्तक, यहेजकेल की पुस्तक, परमेश्वर द्वारा यहेजकेल को दी गई रहस्यमयी और गहरी दृष्टियों से भरी हुई है। 

यहेजकेल की कहानी इस्राएल के लोगों के लिए एक संदेश है, जो बंधन, पाप, और परमेश्वर के न्याय के बारे में गहरी अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। यहेजकेल का जीवन और उनकी भविष्यवाणियाँ उस समय के इस्राएल के लोगों को चेताने और उन्हें सुधारने के लिए थीं, जो उस समय नैतिक और धार्मिक पतन में फंसे हुए थे। यहेजकेल की कहानी सिर्फ ऐतिहासिक महत्व की नहीं है, बल्कि आज के समय में भी आध्यात्मिक दिशा और समझ देती है।

Ezekiel Story In Hindi

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Ezekiel Story In Hindi

यहेजकेल एक यहूदी याजक और भविष्यवक्ता थे, जिनका जीवन उस समय बीता, जब इस्राएल के लोग बाबुल की बंधुआई में थे। वे यहूदा के राजा यहोयाकीन के समय में जीवित थे और बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर के द्वारा यहूदा की बर्बादी के समय निर्वासन में चले गए थे। यहेजकेल का जन्म एक याजकीय परिवार में हुआ था, और उन्हें उनके याजक धर्म का पालन करना सिखाया गया था। हालांकि, उनके जीवन में एक बड़ा मोड़ तब आया जब परमेश्वर ने उन्हें भविष्यवक्ता के रूप में बुलाया और उन्हें इस्राएल के लोगों को उनका सन्देश देने के लिए नियुक्त किया।

यहेजकेल की भविष्यवाणियाँ और दर्शन अत्यंत अद्भुत और अलौकिक थे। उन्हें लगभग 593 ईसा पूर्व के आस-पास परमेश्वर द्वारा बाबुल में भविष्यवक्ता नियुक्त किया गया। उनकी प्रमुख दृष्टियों में से एक यहेजकेल का ‘पहियों के साथ चार प्राणियों’ का दर्शन था, जो उन्हें यहूदा के पतन और भविष्य में आने वाले परमेश्वर के न्याय के बारे में बताता था।

यह चार प्राणियों के दर्शन का विवरण बहुत ही रहस्यमयी और प्रतीकात्मक है। इसमें उन्होंने चार प्राणियों को देखा, जिनके चार मुख थे: मनुष्य, सिंह, बैल और गरुड़, और यह प्राणी पहियों के साथ घूम रहे थे। इस दर्शन को अनेक व्याख्याकारों ने विभिन्न तरीकों से समझने का प्रयास किया है, लेकिन सामान्य रूप से इसे परमेश्वर की सर्वज्ञता, सर्वशक्तिमानता और सर्वव्यापीता का प्रतीक माना जाता है।

यहेजकेल की भविष्यवाणियों का एक बड़ा हिस्सा यरूशलेम और इस्राएल के पतन के बारे में था। यहेजकेल ने भविष्यवाणी की थी कि यरूशलेम बर्बाद हो जाएगा क्योंकि इस्राएल के लोगों ने परमेश्वर की उपेक्षा की थी और वे मूर्तिपूजा, अन्याय, और नैतिक पतन में लिप्त हो गए थे। यहेजकेल ने इस्राएल के नेताओं को चेतावनी दी और कहा कि उनके पापों के कारण उन पर परमेश्वर का न्याय आने वाला है। यहेजकेल ने एक बार यरूशलेम की बर्बादी के प्रतीक के रूप में एक ईंट पर यरूशलेम का चित्र बनाकर उसे नष्ट कर दिया, ताकि लोग परमेश्वर के न्याय का गंभीरता से अनुभव कर सकें।

यहेजकेल की एक अन्य प्रमुख दृष्टि यहेजकेल 37 में है, जिसे ‘सूखी हड्डियों की घाटी’ के रूप में जाना जाता है। यहेजकेल को एक ऐसी घाटी दिखाई गई जहाँ सिर्फ सूखी हड्डियाँ पड़ी थीं। परमेश्वर ने उनसे कहा कि वे उन हड्डियों पर भविष्यवाणी करें, और जब उन्होंने ऐसा किया, तो उन हड्डियों में मांस और त्वचा आने लगीं और वे जीवित हो उठीं।

यह दृष्टि इस्राएल के पुनर्जीवन का प्रतीक है। सूखी हड्डियाँ उन लोगों का प्रतीक थीं जो अपने पापों के कारण मृत और निराश हो गए थे, लेकिन परमेश्वर ने वादा किया कि वे अपने लोगों को पुनः जीवित करेंगे और उन्हें नई आशा देंगे। यह दर्शाता है कि चाहे कितनी भी कठिन परिस्थिति क्यों न हो, परमेश्वर के पास पुनर्जीवन और पुनःस्थापन की शक्ति है।

यहेजकेल ने यहूदियों को उनकी धार्मिकता के बारे में चेतावनी दी और उन्हें उनके व्यक्तिगत पापों के लिए जिम्मेदार ठहराया। उनका संदेश यह था कि हर व्यक्ति को अपने कर्मों के लिए उत्तरदायी होना होगा, और किसी का भी उद्धार उसके वंश या परंपरा के आधार पर नहीं हो सकता। यहेजकेल ने एक गहरे नैतिक और धार्मिक सुधार की बात की, जिसमें परमेश्वर के साथ सच्चा और व्यक्तिगत संबंध महत्वपूर्ण था।

उनकी अन्य भविष्यवाणियों में से एक महत्वपूर्ण भविष्यवाणी इस्राएल के दुश्मनों के खिलाफ थी। उन्होंने अम्मोन, मोआब, एदोम, और मिस्र जैसे राष्ट्रों पर परमेश्वर के न्याय की घोषणा की। ये राष्ट्र इस्राएल को नुकसान पहुँचाने और परमेश्वर की इच्छा के खिलाफ जाने के लिए जाने जाते थे, और यहेजकेल ने भविष्यवाणी की कि वे परमेश्वर के क्रोध का सामना करेंगे। यह यहेजकेल की इस्राएल की सुरक्षा और पुनःस्थापन के लिए परमेश्वर की योजना का हिस्सा था।

यहेजकेल के भविष्यवाणियों का अंतिम हिस्सा इस्राएल के पुनःस्थापन और भविष्य में एक नए यरूशलेम की आशा पर केंद्रित है। यहेजकेल 40-48 में, उन्होंने नए मंदिर और एक नए राष्ट्र के पुनर्निर्माण की दृष्टि देखी। यह मंदिर पहले के किसी भी मंदिर से बड़ा और अधिक भव्य था, और यह परमेश्वर की महिमा का प्रतीक था। यह भविष्यवाणी इस्राएल को यह बताने के लिए थी कि जब वे परमेश्वर के साथ सच्चे हृदय से लौटेंगे, तब परमेश्वर उनके साथ फिर से स्थायी रूप से निवास करेगा। यहेजकेल की इस दृष्टि ने इस्राएल के लोगों को एक नई आशा दी, कि भले ही वे अभी बंधन में हों, परमेश्वर उन्हें एक दिन पुनः स्थापित करेगा।

सीख:

यहेजकेल की कहानी हमें कई महत्वपूर्ण शिक्षाएँ देती है, जो आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी उस समय थीं। सबसे पहले, यह हमें यह सिखाती है कि परमेश्वर न्यायप्रिय हैं, और पाप के लिए जिम्मेदारी अवश्य उठानी पड़ती है। पाप के परिणामों से कोई नहीं बच सकता, चाहे वह व्यक्ति हो या एक पूरा राष्ट्र। यहेजकेल की भविष्यवाणियों ने स्पष्ट किया कि जब लोग परमेश्वर की उपेक्षा करते हैं और अन्याय, मूर्तिपूजा, और अनैतिकता में पड़ जाते हैं, तो उनका विनाश निश्चित होता है।

दूसरी सीख यह है कि परमेश्वर दयालु और क्षमाशील भी हैं। यद्यपि यहेजकेल ने इस्राएल के विनाश की भविष्यवाणी की, उन्होंने यह भी वादा किया कि परमेश्वर अपने लोगों को पुनःस्थापित करेंगे। सूखी हड्डियों की घाटी की दृष्टि इस बात का प्रतीक है कि चाहे जीवन में कितनी भी कठिनाई क्यों न आए, परमेश्वर में हमेशा पुनर्जीवन और आशा की संभावना है। यह विश्वास और आशा का संदेश है कि बुराई और कठिनाइयों के बावजूद, परमेश्वर हमें पुनः जीवन दे सकते हैं।

तीसरी महत्वपूर्ण सीख यह है कि हर व्यक्ति अपने कर्मों के लिए व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी होता है। यहेजकेल का संदेश यह था कि व्यक्ति को उसके वंश, सामाजिक स्थिति, या परंपरा के आधार पर नहीं, बल्कि उसके व्यक्तिगत आचरण और विश्वास के आधार पर न्याय किया जाएगा। यह हमें यह सिखाता है कि हमें अपनी धार्मिकता और विश्वास की जिम्मेदारी खुद उठानी चाहिए, और किसी दूसरे पर निर्भर नहीं रहना चाहिए।

यहेजकेल की कहानी एक गहरे आध्यात्मिक और नैतिक संदेश को संप्रेषित करती है, जो न्याय, दया, और व्यक्तिगत जिम्मेदारी पर केंद्रित है। उनकी दृष्टियाँ और भविष्यवाणियाँ इस्राएल के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ को दर्शाती हैं, लेकिन उनकी शिक्षा आज भी हर इंसान के लिए मार्गदर्शक हो सकती है।

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