किसान और सारस की कहानी (The Farmer And The Stork Story In Hindi)
पंचतंत्र और इसप की कहानियाँ न केवल मनोरंजन प्रदान करती हैं, बल्कि जीवन के महत्वपूर्ण नैतिक मूल्यों को भी सरल भाषा में सिखाती हैं। ऐसी ही एक प्रसिद्ध कथा है “किसान और सारस” की, जो यह सिखाती है कि गलत संगत में रहने से निर्दोष व्यक्ति भी दंडित हो सकता है। इस कहानी में प्रकृति, न्याय, और संगति का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखने को मिलता है।
The Farmer And The Stork Story In Hindi
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एक समय की बात है, एक गाँव में एक मेहनती किसान रहता था। उसका एक छोटा-सा खेत था, जहाँ वह अनाज बोता और पूरी लगन से मेहनत करता। जब फसल पकने लगती, तो वह उसे काटने की तैयारी करता, लेकिन हर साल उसे एक समस्या का सामना करना पड़ता—बगुले और अन्य पक्षी उसकी फसल पर धावा बोलते और बड़े हिस्से को नष्ट कर देते।
कई वर्षों तक किसान ने पक्षियों को भगाने की कोशिश की, लेकिन वे फिर लौट आते। एक साल, जब फसल फिर से पकने लगी, तो किसान ने ठान लिया कि वह इस बार कोई उपाय जरूर करेगा।
उसने एक बड़ा जाल लिया और रात के समय उसे अपने खेत में बिछा दिया। अगली सुबह जब वह खेत में गया, तो उसने देखा कि कई बगुले और उनके साथ एक सुंदर सारस भी उस जाल में फंसे हुए थे। बगुले तो शोर मचा रहे थे, लेकिन सारस चुपचाप बैठा था।
किसान जैसे ही उन्हें पकड़ने के लिए आगे बढ़ा, सारस धीरे-धीरे बोलने लगा, “कृपया मुझे छोड़ दीजिए। मैं कोई साधारण पक्षी नहीं हूँ। मैं एक शिक्षित और शालीन सारस हूँ। मैं आपकी फसल नष्ट करने के इरादे से नहीं आया था। मैं तो बस गलती से इन बगुलों के साथ आ गया। मैं न तो आपके खेत की उपज खाता हूँ, न ही कोई नुकसान पहुँचाता हूँ। कृपया मुझे दया दिखाइए और मुझे छोड़ दीजिए।”
किसान ने सारस की बातें ध्यान से सुनीं और कहा, “तुम भले ही निर्दोष हो, लेकिन तुम गलत संगत में थे। तुम उन्हीं पक्षियों के साथ फंसे हुए हो, जो मेरी फसल को नुकसान पहुँचाते हैं। मैं यह नहीं देख सकता कि कौन दोषी है और कौन निर्दोष। जब तुम गलत साथियों के साथ रहोगे, तो तुम्हें भी वही दंड भोगना पड़ेगा जो बाकी को मिलेगा।”
यह कहकर किसान ने सभी पक्षियों को दंडित किया, और सारस को भी बगुलों के साथ वहाँ से भगा दिया।
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सीख:
इस कहानी से हमें बहुत सी महत्वपूर्ण बातें सीखने को मिलती हैं:
1. संगति का प्रभाव: अगर आप गलत लोगों के साथ रहेंगे, तो भले ही आप अच्छे हों, आपके कर्मों का मूल्यांकन उनकी संगति के आधार पर ही होगा।
2. निर्णय और परिणाम: जीवन में लिए गए हर निर्णय के परिणाम होते हैं। सारस का बगुलों के साथ रहना उसका निर्णय था, जिसका परिणाम उसे भुगतना पड़ा।
3. समय पर सतर्कता: अगर सारस पहले ही समझ जाता कि वह जिनके साथ है, वे गलत हैं, तो वह अपनी गलती सुधार सकता था।
4. दया और न्याय का संतुलन: किसान ने अपने खेत की सुरक्षा के लिए कठोर निर्णय लिया। उसका उद्देश्य क्रूरता नहीं बल्कि न्याय था।
5. व्यक्ति अपने कर्मों और संगत से पहचाना जाता है: सिर्फ खुद अच्छा होना काफी नहीं, अच्छी संगति भी जरूरी है।
“किसान और सारस” की यह कहानी बच्चों और बड़ों दोनों के लिए प्रेरणास्पद है। यह जीवन के हर क्षेत्र में लागू होती है—चाहे वह विद्यालय हो, कार्यस्थल हो या हमारा सामाजिक जीवन। सही संगति और सतर्कता से हम न केवल स्वयं को बचा सकते हैं, बल्कि समाज में भी सकारात्मक योगदान दे सकते हैं। किसी की पहचान केवल उसके शब्दों से नहीं, बल्कि उसके कार्यों और संगत से होती है।
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