गधे का मालिक अकबर बीरबल की कहानी (Gadhe Ka Malik Akbar Birbal Ki Kahani Story In Hindi)
अकबर और बीरबल की कहानियाँ भारतीय साहित्य और संस्कृति का अहम हिस्सा हैं। ये कहानियाँ हमें न केवल मनोरंजन देती हैं, बल्कि उनमें छुपे व्यावहारिक जीवन के संदेश भी हमें सिखाते हैं। आज की यह नई कहानी भी बीरबल की बुद्धिमत्ता और हाजिरजवाबी का एक अद्भुत उदाहरण है।
Gadhe Ka Malik Akbar Birbal Ki Kahani
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एक दिन बादशाह अकबर अपने दरबार में बैठे थे। अचानक, दो ग्रामीण उनकी अदालत में आए। उनके साथ एक गधा भी था। दोनों जोर-जोर से चिल्ला रहे थे और दावा कर रहे थे कि गधा उनका है। एक ने कहा, “जहांपनाह, यह गधा मेरा है। मैं इसे बचपन से पाल रहा हूँ।” दूसरा बोला, “नहीं, यह मेरा है। मैं इसे खुद जंगल से लाया था।”
अकबर ने गधे का असली मालिक तय करने के लिए सभी दरबारियों से सुझाव मांगे। कुछ दरबारियों ने कहा कि गधे की देखभाल करने वाले को बुलाकर पूछा जाए। कुछ ने कहा कि दोनों से गधे के पालन-पोषण से जुड़े सवाल पूछे जाएं। लेकिन अकबर किसी भी सुझाव से संतुष्ट नहीं हुए।
तभी बीरबल ने दरबार में प्रवेश किया। अकबर ने कहा, “बीरबल, यह समस्या सुलझाओ। हमें यह तय करना है कि गधे का असली मालिक कौन है।”
बीरबल मुस्कुराए और बोले, “जहांपनाह, यह समस्या हल करना आसान है। मुझे थोड़ा समय दें।” अकबर ने अनुमति दी, और बीरबल ने गधे को अपने साथ बाहर ले जाने को कहा।
बीरबल गधे को लेकर दरबार से बाहर गए। उन्होंने दोनों ग्रामीणों को बुलाया और कहा, “गधे का असली मालिक पता लगाने के लिए मैं एक परीक्षा लूंगा। गधा जिस व्यक्ति के पास जाएगा, वही उसका असली मालिक होगा।”
फिर उन्होंने गधे को एक खुली जगह पर छोड़ दिया और दोनों व्यक्तियों से कहा, “तुम दोनों थोड़ी दूर खड़े हो जाओ और गधे को पुकारो। वह जिस व्यक्ति के पास जाएगा, वही उसका मालिक होगा।”
पहला व्यक्ति जोर-जोर से गधे को बुलाने लगा, “आजा मेरे गधे! मैं ही तेरा मालिक हूँ।” दूसरा भी चिल्लाने लगा, “यहाँ आ मेरे गधे! मैं तुझे बचपन से पाल रहा हूँ।” लेकिन गधा दोनों की ओर देखता रहा और अपनी जगह से हिला तक नहीं।
अब बीरबल ने दोनों व्यक्तियों को शांत किया और अपनी दूसरी योजना के तहत गधे को एक खास परीक्षण में डालने का फैसला किया।
बीरबल ने गधे को एक कोने में ले जाकर उसकी पीठ थपथपाई। फिर उन्होंने दोनों ग्रामीणों से कहा, “अब हमें यह देखना होगा कि गधा किससे ज्यादा जुड़ा हुआ है। तुम दोनों बारी-बारी से गधे की पूंछ खींचोगे। अगर गधा किसी एक के खींचने पर चिल्लाएगा, तो वह उसका असली मालिक होगा।”
पहला व्यक्ति आगे आया और उसने गधे की पूंछ खींची। गधा बस थोड़ा हिला, लेकिन कुछ नहीं बोला। दूसरा व्यक्ति आया और जैसे ही उसने पूंछ खींची, गधा जोर से रेंकने लगा।
बीरबल मुस्कुराए और बोले, “जहांपनाह, गधे का असली मालिक यही दूसरा व्यक्ति है।”
अकबर ने पूछा, “यह तुमने कैसे तय किया, बीरबल?”
बीरबल ने उत्तर दिया, “जहांपनाह, जो गधा अपने मालिक के संपर्क में लंबे समय तक रहता है, वह उसे पहचानता है। दूसरे व्यक्ति ने जैसे ही उसकी पूंछ खींची, गधा तुरंत चिल्लाया क्योंकि उसे अपने मालिक की पहचान हो गई।”
बीरबल ने फिर दोनों ग्रामीणों से सच्चाई उगलवाने के लिए एक और चाल चली। उन्होंने पहले व्यक्ति से पूछा, “क्या तुमने कभी इस गधे को चारा खिलाया है?”
पहले व्यक्ति ने सिर झुका लिया और कहा, “नहीं। सच कहूं तो यह गधा मेरा नहीं है। मैंने इसे जंगल में देखा था और इसे अपना बनाने का फैसला किया।”
दूसरा व्यक्ति रोते हुए बोला, “जहांपनाह, यह गधा मेरा है। मैं इसे बचपन से पाल रहा हूँ। यह मेरे परिवार का हिस्सा है।”
अब बीरबल ने गधे को दूसरे व्यक्ति के पास जाने दिया। गधा खुशी-खुशी उसके पास चला गया।
गधे का मालिक अकबर बीरबल की कहानी | Gadhe Ka Malik Akbar Birbal Ki Kahani Story In Hindi
अकबर ने बीरबल की बुद्धिमत्ता और न्यायप्रियता की सराहना की। उन्होंने कहा, “बीरबल, तुमने बड़ी सरलता से यह समस्या सुलझा दी। तुम्हारे जैसे चतुर सलाहकार के बिना यह दरबार अधूरा है।”
दोनों ग्रामीणों को भी अकबर ने चेतावनी दी कि भविष्य में ऐसा झूठ न बोलें।
सीख
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि झूठ का कोई स्थान नहीं है। सत्य और न्याय की हमेशा जीत होती है। बीरबल की तरह हमें भी अपनी बुद्धिमानी और विवेक से समस्याओं को हल करना चाहिए।
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