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गरीब माँ की जादुई कहानियां | Garib Maa Ki Jadui Kahaniyan

garib maa ki jadui kahaniya गरीब माँ की जादुई कहानियां | Garib Maa Ki Jadui Kahaniyan
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Garib Maa Ki Jadui Kahaniyan

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कहानी 1: गरीब माँ की मेहनत का जादू

किसी गाँव में सविता नाम की एक गरीब माँ अपने बेटे रवि के साथ रहती थी। सविता की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी, लेकिन उसने कभी अपनी गरीबी को रवि की पढ़ाई में बाधा नहीं बनने दिया। वह दिन-रात मेहनत करती थी – दूसरों के खेतों में काम करती, घरों में सफाई करती और सिलाई का काम भी करती थी।

रवि एक समझदार और मेहनती लड़का था, जो अपनी माँ की कड़ी मेहनत को देखता और समझता था। उसका सपना था कि वह एक दिन बड़ा आदमी बने और अपनी माँ को गरीबी से बाहर निकाल सके। लेकिन हर बार जब रवि स्कूल जाता, उसके पास किताबों की कमी होती और उसके कपड़े भी फटे-पुराने होते थे। फिर भी, वह कभी निराश नहीं हुआ।

एक दिन, रवि को स्कूल में एक बड़ा विज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन मिला। रवि ने माँ से कहा, “माँ, अगर मैं इस प्रतियोगिता को जीत गया, तो मुझे स्कॉलरशिप मिलेगी। फिर हमें पैसे की चिंता नहीं करनी पड़ेगी।”

माँ ने अपने बेटे को हौसला देते हुए कहा, “बेटा, मेहनत और सच्चाई से बढ़कर कोई जादू नहीं होता। तुम मेहनत करो, परिणाम जरूर मिलेगा।”

रवि ने अपनी माँ की बात को ध्यान में रखकर खूब मेहनत की। वह रात-दिन पढ़ाई करता और अपनी परियोजना पर काम करता। उसकी माँ भी रात को चुपचाप उसके साथ जागती, उसकी मदद करती और उसे खाना देती।

प्रतियोगिता का दिन आया। रवि ने अपनी परियोजना सबके सामने प्रस्तुत की। उसकी परियोजना बहुत प्रभावी थी और जजों ने उसे बहुत सराहा। आखिरकार, रवि ने प्रतियोगिता जीत ली और उसे स्कॉलरशिप मिल गई।

रवि दौड़ता हुआ अपनी माँ के पास आया और बोला, “माँ, हमने जीत लिया!” सविता ने अपने बेटे को गले लगाते हुए कहा, “बेटा, यह तुम्हारी मेहनत का जादू है। मेहनत का फल कभी खाली नहीं जाता।”

उस दिन के बाद, रवि ने अपनी माँ की मेहनत और सच्चाई से प्रेरित होकर पढ़ाई जारी रखी और एक दिन एक सफल वैज्ञानिक बना। उसने अपनी माँ को गरीबी से बाहर निकाल दिया, और सविता की मेहनत का जादू सबको प्रेरणा देने वाला बन गया।

कहानी 2: गरीब माँ का विश्वास का जादू

एक छोटे से गाँव में राधा नाम की एक गरीब विधवा महिला रहती थी। उसका बेटा सोहन उसके जीवन की उम्मीद था। राधा बहुत गरीब थी, उसके पास रहने के लिए एक टूटी-फूटी झोपड़ी थी और खाने के लिए बहुत कम अनाज। फिर भी, वह हमेशा अपने बेटे को यह सिखाती थी कि “भगवान पर विश्वास रखो, सब ठीक हो जाएगा।”

सोहन को अक्सर लगता था कि उनकी गरीबी का कोई अंत नहीं है। वह कई बार माँ से कहता, “माँ, हमारे पास कुछ भी नहीं है, हम कैसे जी पाएंगे?”

राधा हंसते हुए कहती, “बेटा, भगवान हमें देख रहे हैं। जब सही समय आएगा, सब कुछ ठीक हो जाएगा। बस धैर्य और विश्वास बनाए रखो।”

एक दिन गाँव में एक व्यापारी आया, जिसे सोहन के बारे में पता चला। उसने सोहन से कहा, “अगर तुम मेरे साथ शहर आओगे और मेरे यहाँ काम करोगे, तो मैं तुम्हें बहुत अच्छा पैसा दूँगा।”

सोहन ने अपनी माँ से इस बारे में बात की। राधा ने उसे समझाया, “बेटा, पैसे जरूरी हैं, लेकिन तुम्हारे ईमान और चरित्र से बढ़कर कुछ नहीं। तुम वहीं काम करो जहाँ तुम्हें सम्मान मिले और तुम्हारा विश्वास बना रहे।”

सोहन ने माँ की बात मानी और व्यापारी के यहाँ जाने का इरादा छोड़ दिया। कुछ ही समय बाद, गाँव के ही एक बड़े ज़मींदार को सोहन की ईमानदारी और मेहनत के बारे में पता चला। उन्होंने उसे अपने खेतों में काम देने का प्रस्ताव किया। सोहन ने वहाँ काम करना शुरू किया और उसकी ईमानदारी और मेहनत से ज़मींदार बहुत खुश हुए। उन्होंने सोहन को बहुत सारे पैसे दिए और उसकी माँ राधा की मदद भी की।

राधा ने मुस्कुराते हुए कहा, “देखा बेटा, भगवान पर विश्वास रखने का जादू काम कर गया। मेहनत और ईमानदारी से सब कुछ ठीक हो जाता है।”

 कहानी 3: गरीब माँ की शिक्षा का जादू

कुसुम नाम की एक गरीब माँ थी, जिसके पास बहुत कम साधन थे, लेकिन वह अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए कुछ भी करने को तैयार थी। उसका बेटा राजू पढ़ने में बहुत अच्छा था, लेकिन स्कूल में बच्चों के पास अच्छे कपड़े और किताबें थीं, जबकि राजू के पास पुराने कपड़े और फटे-पुराने किताबें थीं।

एक दिन, राजू ने माँ से कहा, “माँ, मेरे पास अच्छे कपड़े नहीं हैं, स्कूल में बच्चे मेरा मज़ाक उड़ाते हैं। मैं कैसे पढ़ाई करूँ?”

कुसुम ने अपने बेटे को प्यार से समझाया, “बेटा, याद रखो, कपड़े और चीज़ें जरूरी नहीं हैं, असली संपत्ति तुम्हारी शिक्षा है। तुम्हारी मेहनत और ज्ञान ही तुम्हें आगे बढ़ाएंगे।”

राजू ने माँ की बात को ध्यान में रखते हुए पढ़ाई पर ध्यान देना शुरू किया। वह दिन-रात मेहनत करने लगा और अपनी कक्षा में हमेशा अव्वल आता। उसकी लगन और ज्ञान देखकर स्कूल के शिक्षकों ने उसे स्कॉलरशिप देने का फैसला किया, जिससे उसकी आगे की पढ़ाई आसान हो गई।

कुछ वर्षों बाद, राजू एक बड़ा अधिकारी बन गया और अपनी माँ की शिक्षा के महत्व को समझा। उसने गाँव के गरीब बच्चों के लिए एक स्कूल बनवाया, ताकि कोई बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे।

कुसुम ने गर्व से अपने बेटे को देखा और कहा, “शिक्षा का जादू सबसे शक्तिशाली होता है।”

कहानी 4: गरीब माँ के धैर्य का जादू

सीमा एक गरीब माँ थी, जिसके पति की अचानक मौत हो गई थी। अब वह अकेली अपने दो बच्चों का पालन-पोषण कर रही थी। गरीबी ने उसे घेर लिया था, लेकिन उसने कभी हार नहीं मानी।

सीमा छोटे-मोटे काम करके अपने बच्चों का पेट पालती थी। एक दिन, उसके बड़े बेटे ने कहा, “माँ, हम कब तक ऐसे गरीबी में जीते रहेंगे? हमारे पास कुछ भी नहीं है।”

सीमा ने मुस्कुराते हुए कहा, “बेटा, धैर्य रखो। हर कठिन समय के बाद अच्छा समय आता है। हमें बस अपने काम पर ध्यान देना है और ईश्वर पर विश्वास रखना है।”

समय बीतता गया, और सीमा ने कभी हार नहीं मानी। उसका धैर्य और कठिन परिश्रम धीरे-धीरे रंग लाने लगा। गाँव के लोगों ने उसकी मेहनत को पहचानना शुरू किया और उसे और काम मिलने लगा। उसका जीवन धीरे-धीरे सुधरने लगा।

एक दिन, सीमा के बेटे ने देखा कि माँ की बातें सच थीं। धैर्य और मेहनत का जादू उनके जीवन को बेहतर बना रहा था। उसने माँ से कहा, “माँ, आपने सही कहा था। धैर्य का जादू काम करता है।”

कहानी 5: गरीब माँ का प्रेम का जादू

मीना नाम की एक गरीब माँ थी, जिसके तीन बच्चे थे। वह बहुत गरीब थी, लेकिन उसने अपने बच्चों को कभी प्यार और स्नेह की कमी महसूस नहीं होने दी। उसके पास भले ही खाने के लिए कम हो, लेकिन उसने हमेशा अपने बच्चों को खुश रखने का तरीका ढूंढा।

एक दिन, सबसे बड़े बेटे ने माँ से पूछा, “माँ, हमारे पास इतने कम साधन हैं, फिर भी आप हमेशा खुश कैसे रहती हैं?”

मीना ने मुस्कुराते हुए कहा, “बेटा, असली खुशी चीजों में नहीं, बल्कि प्रेम में होती है। जब हम एक-दूसरे से प्यार करते हैं, तो सब कुछ अच्छा लगता है।”

मीना का प्रेम और देखभाल उसके बच्चों को हर कठिन परिस्थिति में मजबूत बनाए रखता था। चाहे जीवन में कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न आएं, उसका प्रेम ही वह जादू था जिसने उसके परिवार को एकजुट और खुश रखा।

समय बीतता गया, और मीना के बच्चे बड़े होकर समझदार और सफल बने। उन्होंने अपने जीवन में माँ के प्रेम के जादू को महसूस किया और दुनिया को सिखाया कि असली संपत्ति प्रेम और साथ में है, न कि धन-दौलत में।

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