गौतम बुद्ध और अंगुलिमाल की कहानी (Gautam Buddha Aur Angulimal Ki Kahani) Gautam Buddha And Angulimal Story In Hindi इस पोस्ट में शेयर की जा रही है
Gautam Buddha Aur Angulimal Ki Kahani
Table of Contents
गौतम बुद्ध और अंगुलिमाल की कहानी भारतीय इतिहास और बौद्ध धर्म की एक महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक कथा है। यह कहानी आत्म-परिवर्तन, करुणा और अहिंसा का एक अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत करती है।
बहुत समय पहले कोशल राज्य के भीतर एक भयानक डाकू का आतंक था जिसका नाम अंगुलिमाल था। उसका असली नाम अहिंसक था, लेकिन उसे अंगुलिमाल के नाम से इसलिए जाना गया क्योंकि वह अपने शिकारों की उंगलियाँ काटकर उनकी माला बनाता था। अंगुलिमाल की क्रूरता के पीछे एक त्रासदीपूर्ण कहानी थी।
अहिंसक एक बहुत ही बुद्धिमान और होनहार युवा था, जो तक्षशिला विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त कर रहा था। उसकी बुद्धिमत्ता और प्रतिभा से उसका गुरु उससे जलने लगा। गुरु ने एक षड्यंत्र रचा और अहिंसक को ऐसा कार्य करने के लिए मजबूर किया जो उसे अकल्पनीय बना देगा। उसने अहिंसक को आदेश दिया कि वह 1000 उंगलियाँ एकत्रित करे, ताकि वह शिक्षा पूरी कर सके।
अहिंसक, अपने गुरु के प्रति अटूट निष्ठा के कारण, इस निर्दयी कार्य को पूरा करने के लिए मजबूर हो गया। धीरे-धीरे, वह एक भयंकर डाकू में परिवर्तित हो गया और अंगुलिमाल कहलाने लगा। उसने जंगल में आतंक का राज फैला दिया, और लोग भयभीत होकर उस क्षेत्र से गुजरने से कतराने लगे।
इस समय, गौतम बुद्ध अपने अनुयायियों के साथ कोशल राज्य में भ्रमण कर रहे थे। लोगों ने उन्हें अंगुलिमाल के बारे में बताया और उनसे प्रार्थना की कि वे उस भयंकर डाकू से बचें। बुद्ध ने लोगों की चिंता सुनी, लेकिन उन्होंने निर्णय लिया कि वे अंगुलिमाल से स्वयं मिलेंगे और उसका हृदय परिवर्तन करेंगे।
एक दिन जब अंगुलिमाल एक और शिकार की तलाश में था, बुद्ध ने अकेले जंगल के उस रास्ते पर चलने का निर्णय लिया। जब अंगुलिमाल ने बुद्ध को देखा, तो वह उनकी ओर तेजी से बढ़ा, लेकिन उसे आश्चर्य हुआ कि बुद्ध शांतिपूर्वक चल रहे थे और उनके चेहरे पर कोई भय नहीं था। उसने बुद्ध को रोका और उनसे पूछा, “तुम्हें पता नहीं कि मैं कौन हूं? मैं अंगुलिमाल हूं!”
बुद्ध ने शांतिपूर्वक उत्तर दिया, “मैं जानता हूं कि तुम कौन हो। मैं तुम्हारे लिए ही आया हूं।”
अंगुलिमाल ने हंसते हुए कहा, “तुम्हें मुझसे डर नहीं लगता? क्या तुम्हें अपनी जान की परवाह नहीं?”
बुद्ध ने उत्तर दिया, “डर और परवाह मन के अज्ञान का परिणाम हैं। मैं तुम्हें सच्ची करुणा और अहिंसा का मार्ग दिखाने आया हूं।”
अंगुलिमाल ने बुद्ध के शब्दों को सुनकर उसे छोड़ने का निर्णय लिया। उसने कहा, “अगर तुम वास्तव में महान हो, तो मुझे अपनी शक्ति दिखाओ। मैं चल रहा हूं और तुम चल रहे हो, फिर भी तुम मुझसे पहले पहुंच गए हो। इसे कैसे समझूं?”
बुद्ध ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया, “अंगुलिमाल, मैं पहले ही रुक चुका हूं। मैंने हिंसा और अज्ञान का मार्ग छोड़ दिया है। अब तुम्हारी बारी है कि तुम भी रुक जाओ और अहिंसा का मार्ग अपनाओ।”
अंगुलिमाल ने बुद्ध के शब्दों में एक गहरा अर्थ पाया। उसने अपने जीवन की क्रूरता और हिंसा का स्मरण किया और महसूस किया कि वह गलत मार्ग पर चल रहा है। उसने बुद्ध के चरणों में गिरकर उनसे क्षमा मांगी और अपना जीवन बदलने का प्रण लिया।
बुद्ध ने अंगुलिमाल को सांत्वना दी और उसे धम्म की दीक्षा दी। अंगुलिमाल ने अपनी क्रूरता को छोड़कर एक नए जीवन की शुरुआत की। वह बुद्ध का अनुयायी बन गया और अपने पिछले कर्मों का प्रायश्चित करने के लिए ध्यान और साधना में लग गया।
अंगुलिमाल का परिवर्तन एक चमत्कारिक घटना थी। वह जिसने पहले हजारों लोगों की उंगलियाँ काटी थीं, अब एक शांतिपूर्ण भिक्षु बन गया था। उसने अपनी पूरी जिंदगी लोगों की सेवा में बिताई और बुद्ध के संदेश का प्रचार किया।
गौतम बुद्ध और अंगुलिमाल की यह कहानी हमें यह सिखाती है कि सच्चा परिवर्तन और आत्म-परिवर्तन किसी भी समय संभव है, चाहे स्थिति कितनी भी विकट क्यों न हो। यह कहानी हमें यह भी सिखाती है कि करुणा और अहिंसा के मार्ग पर चलकर हम अपने जीवन को सही दिशा में मोड़ सकते हैं और दूसरों के लिए भी प्रेरणा बन सकते हैं।
सीख
इस प्रकार गौतम बुद्ध की करुणा और अंगुलिमाल का आत्म-परिवर्तन हमें एक महत्वपूर्ण संदेश देते हैं कि सच्ची शांति और संतोष आंतरिक परिवर्तन और अहिंसा में निहित है। यह कहानी आज भी हमारे समाज में एक प्रेरणा स्रोत बनी हुई है, जो हमें बताती है कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी गिरा हुआ क्यों न हो, सच्चे मार्ग पर लौट सकता है और अपने जीवन को सार्थक बना सकता है।
आकर्षण का नियम गौतम बुद्ध की कहानी
सफ़लता कदम चूमेगी गौतम बुद्ध की कहानी
जो सोचोगे वही मिलेगा बुद्ध कथा