घमंडी जादूगर की कहानी (Ghamandi Jadugar Ki Kahani) Arrogant Magician Story In Hindi इस पोस्ट में शेयर की जा रही है।
Ghamandi Jadugar Ki Kahani
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एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में एक घमंडी जादूगर रहता था। उसका नाम था गोगा। गोगा के पास अद्भुत जादुई शक्तियाँ थीं, जिनकी वजह से वह गाँव में बहुत प्रसिद्ध था। लेकिन उसकी प्रसिद्धि ने उसे अत्यधिक घमंडी बना दिया था। वह हमेशा खुद को सबसे श्रेष्ठ मानता था और गाँव वालों को तुच्छ समझता था।
गोगा का घर गाँव के बाहरी हिस्से में था, जहाँ वह अपनी जादुई किताबों और औजारों के साथ रहता था। वह कभी भी गाँव वालों की मदद के लिए तैयार नहीं होता था, बल्कि उन्हें अपने जादू से डराता और उनके ऊपर रौब जमाता था। अगर किसी गाँववाले को कोई समस्या होती और वे गोगा के पास मदद के लिए आते, तो वह उन्हें अपमानित करता और उनकी समस्या को और बढ़ा देता।
एक दिन गाँव में एक बूढ़ी औरत, जिसका नाम दयाबेन था, गोगा के पास आई। उसने गोगा से विनती की, “मेरे बेटे को एक गंभीर बीमारी हो गई है। कृपया उसकी मदद करो।”
गोगा ने हंसते हुए कहा, “तुम्हारे बेटे की बीमारी से मुझे क्या? मैं कोई वैद्य नहीं हूँ। जाओ यहाँ से, और मुझे परेशान मत करो।”
दयाबेन दुखी मन से वापस चली गई। गाँववाले विक्रम के इस व्यवहार से बहुत निराश थे, लेकिन वे उसकी शक्तियों से डरते थे और उसका सामना करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते थे।
कुछ दिनों बाद गाँव में एक रहस्यमयी यात्री आया। वह एक बुजुर्ग व्यक्ति था, जिसका नाम था शुभंकर था। उसने गाँववालों से गोगा के बारे में सुना और उसके घमंड के बारे में जानकर दुखी हुआ। शुभंकर ने तय किया कि वह गोगा को सबक सिखाएगा।
शुभंकर गोगा के घर गया और उसने दरवाजा खटखटाया। गोगा ने दरवाजा खोला और शुभंकर को देखकर पूछा, “तुम कौन हो और यहाँ क्यों आए हो?”
शुभंकर ने विनम्रता से कहा, “मेरा नाम शुभंकर है, और मैं दूर के देश से आया हूँ। मैं एक साधारण यात्री हूँ और मैं आपकी महानता के बारे में सुनकर यहाँ आया हूँ। क्या आप मुझे अपने कुछ जादुई करतब दिखा सकते हैं?”
गोगा को यह सुनकर बहुत अच्छा लगा और उसने अपनी सभी शक्तियों का प्रदर्शन करना शुरू किया। उसने आग से खेला, पानी को हवा में उछाला, और हवा में उड़ते हुए फूलों की वर्षा कर दी। शुभंकर6 ने यह सब बहुत ध्यान से देखा और प्रशंसा की।
शुभंकर ने फिर कहा, “गोगा! तुम सचमुच महान हो। लेकिन क्या तुम एक साधारण आदमी को जादू सिखा सकते हो?”
गोगा ने गर्व से कहा, “बिलकुल, लेकिन तुम्हें पहले यह साबित करना होगा कि तुम इसके योग्य हो।”
गोगा ने मुस्कुराते हुए कहा, “ठीक है, मैं तुम्हारी परीक्षा देने के लिए तैयार हूँ।”
गोगा ने शुभंकर को एक कठिन पहेली दी और कहा, “यदि तुम इस पहेली का हल निकाल सकते हो, तो मैं तुम्हें जादू सिखाऊंगा।”
शुभंकर ने ध्यान से पहेली को सुना और थोड़ी देर में उसका समाधान कर दिया। गोगा यह देखकर हैरान रह गया, लेकिन उसने अपने घमंड को बरकरार रखते हुए कहा, “ठीक है, अब मैं तुम्हें जादू सिखाऊंगा।”
गोगा ने शुभंकर को एक जादूई मंत्र सिखाया और कहा, “अब इसे दोहराओ।”
शुभंकर ने मंत्र दोहराया, लेकिन कुछ भी नहीं हुआ। गोगा ने हंसते हुए कहा, “तुम्हारे पास जादू करने की क्षमता नहीं है। तुम इसे कभी नहीं सीख सकते।”
शुभंकर ने मुस्कुराते हुए कहा, “गोगा, जादू सिर्फ मंत्रों में नहीं होता। यह दिल और आत्मा की शुद्धता में होता है। तुमने अपनी शक्तियों का उपयोग घमंड और अहंकार के लिए किया है, न कि दूसरों की मदद के लिए। यही कारण है कि तुम्हारी शक्तियाँ अब तुम्हारे नियंत्रण से बाहर हैं।”
गोगा ने शुभंकर की बात को हल्के में लिया और उसे बाहर निकाल दिया। लेकिन अगले दिन, गोगा ने महसूस किया कि उसकी जादुई शक्तियाँ कमजोर हो रही हैं। वह जितना ज्यादा जादू करने की कोशिश करता, उसकी शक्तियाँ उतनी ही कम होती जातीं।
गोगा को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने गाँववालों से माफी मांगने का निर्णय लिया। उसने सबसे पहले दयाबेन से माफी मांगी और उसके बेटे की बीमारी ठीक करने के लिए अपनी बची हुई शक्तियों का उपयोग किया। गोगा का घमंड टूट चुका था। अब उसने दूसरों की मदद करने का संकल्प लिया।
गाँववाले गोगा के इस बदलाव को देखकर बहुत खुश हुए और उन्होंने उसे माफ कर दिया। शुभंकर ने भी गोगा के इस परिवर्तन को देखा और उसे आशीर्वाद दिया। उसकी जादुई शक्तियां वापस मिल गई। उसके बाद वह हमेशा अपनी जादुई शक्तियां से लोगों की मदद करने लगा।
सीख
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि घमंड और अहंकार हमें दूसरों से दूर कर देता है और अंततः हमारी अपनी शक्तियों को भी कमजोर कर देता है। सच्ची शक्ति दूसरों की मदद करने और विनम्र बने रहने में है।
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