बकरी और भेड़ की कहानी (Goat And Sheep Story In Hindi With Moral) Bhed Aur Bakri Ki Kahani इस पोस्ट में शेयर की जा रही है।
Goat And Sheep Story In Hindi With Moral
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हिमालय की तलहटी में बसे एक छोटे से गाँव में बकरी बिन्नी और भेड़ शेरी रहती थीं। दोनों बचपन से ही गहरी दोस्त थीं और साथ-साथ खेलना, चरना, और सोना उनकी दिनचर्या थी। बिन्नी अपनी चमकती सफेद बालों और सीधे सींगों के कारण पहचानी जाती थी, जबकि शेरी अपने मुलायम ऊनी बालों और भोले चेहरे के लिए मशहूर थी।
गाँव के पास एक बड़ा हरा-भरा मैदान था जहाँ बिन्नी और शेरी रोज चरने जाती थीं। वहाँ ताजे हरे घास के मैदान, फूलों की महक, और साफ बहती नदी ने उनकी जिंदगी को खुशनुमा बना रखा था। दोनों वहाँ घंटों बितातीं, चरतीं और नदी के ठंडे पानी से अपनी प्यास बुझातीं।
एक दिन, चरते-चरते बिन्नी ने शेरी से कहा, “शेरी, क्या तुमने कभी सोचा है कि इस गाँव के बाहर की दुनिया कैसी होगी?”
शेरी ने भोलेपन से जवाब दिया, “नहीं बिन्नी, लेकिन मुझे लगता है कि वहाँ भी हमारे जैसे हरे-भरे मैदान और खुशियाँ होंगी।”
बिन्नी ने कहा, “चलो, एक दिन हम वहाँ चलकर देखते हैं।”
कुछ दिनों बाद, दोनों ने अपने गाँव के बाहर की दुनिया देखने का फैसला किया। वे सुबह-सुबह ही निकल पड़ीं। चलते-चलते वे जंगल में पहुँच गईं। वहाँ की हरियाली और अजीब-अजीब पेड़ों ने उन्हें बहुत आकर्षित किया। लेकिन साथ ही, जंगल के कुछ हिस्सों में अंधेरा और डरावनी आवाजें भी थीं।
जंगल में चलते-चलते अचानक उन्हें एक भेड़िया दिखा। वह भेड़िया बहुत ही भूखा लग रहा था और उसने बिन्नी और शेरी को देखा। दोनों डर गईं और भागने लगीं। भागते-भागते वे एक गहरे गड्ढे में गिर गईं। गड्ढा बहुत गहरा था और वहाँ से बाहर निकलना मुश्किल था।
बिन्नी ने हिम्मत जुटाते हुए कहा, “शेरी, हमें एक-दूसरे का सहारा देकर यहाँ से बाहर निकलना होगा।”
दोनों ने एक-दूसरे की मदद से बाहर निकलने की कोशिश शुरू की। बिन्नी ने शेरी को अपने कंधों पर चढ़ाया और शेरी ने ऊपर की ओर छलांग लगाई। कुछ ही देर में वे बाहर निकल आईं। भेड़िया अब भी उनका पीछा कर रहा था।
बिन्नी ने कहा, “हमें एक सुरक्षित जगह ढूंढनी होगी।”
दोनों ने मिलकर तेज भागने का फैसला किया। उन्होंने देखा कि दूर एक गुफा है। वे उसी ओर भागी और गुफा में जाकर छिप गईं। गुफा के अंदर उन्हें अजीब चमकते पत्थर और रहस्यमयी चित्र दिखे। यह गुफा सामान्य नहीं थी; यह एक प्राचीन रहस्य को छुपाए हुए थी।
गुफा के अंदर उन्होंने एक प्राचीन पुस्तक पाई। बिन्नी ने आश्चर्य से पूछा, “शेरी, यह पुस्तक यहाँ कैसे आई?”
शेरी ने उत्तर दिया, “शायद यह किसी पुराने युग की होगी। हमें देखना चाहिए कि इसमें क्या लिखा है।”
बिन्नी ने पुस्तक के पन्ने पलटने शुरू किए और उसे एक अजीब सा प्रकाश दिखा। अचानक, पुस्तक के पन्नों से एक जादुई रोशनी निकली और एक बूढ़ा उल्लू प्रकट हुआ। उल्लू ने कहा, “मैं इस पुस्तक का संरक्षक हूँ। यह पुस्तक सिर्फ सच्चे दोस्तों के लिए है। मैं तुम्हें इसका रहस्य बताऊँगा।”
उल्लू ने बिन्नी और शेरी को बताया कि यह पुस्तक एक प्राचीन खजाने की दिशा दिखाती है। खजाना केवल उन दोस्तों को मिल सकता है जो सच्ची मित्रता और साहस का परिचय दें। उल्लू ने उन्हें खजाने तक पहुँचने के संकेत दिए।
दोनों ने उल्लू की बातों का पालन किया और गुफा के अंदर गहरे जाकर खोजबीन की। उन्होंने देखा कि गुफा में एक रास्ता है जो और भी गहरे जा रहा है। वे रास्ते पर चल पड़ीं और एक बड़े, सुंदर कमरे में पहुँचीं जहाँ चमचमाते गहने, सोने के सिक्के और बहुमूल्य पत्थरों का ढेर था।
लेकिन सबसे महत्वपूर्ण चीज थी, एक चमकता हुआ पत्थर, जिसे “दोस्ती का पत्थर” कहा गया। यह पत्थर किसी भी दोस्ती को अमर बना सकता था। उल्लू ने कहा, “यह पत्थर तुम्हारी सच्ची मित्रता का प्रतीक है। इसे सँभाल कर रखना।”
बिन्नी और शेरी ने खजाने में से कुछ गहने और सिक्के लिए और “दोस्ती का पत्थर” अपने साथ ले आईं। उन्होंने गुफा के रहस्य को गाँव वालों के साथ साझा किया। गाँव में खुशियों का माहौल बन गया और सभी ने उनकी बहादुरी की सराहना की।
बिन्नी और शेरी ने इस अद्भुत सफर से बहुत कुछ सीखा। उन्होंने समझा कि सच्ची दोस्ती से बड़ी कोई ताकत नहीं होती। “दोस्ती का पत्थर” उनके जीवन में एक प्रतीक बन गया, जो उनकी अमर दोस्ती का प्रतीक था। और इस तरह, बकरी बिन्नी और भेड़ शेरी की कहानी खत्म होती है, लेकिन उनकी दोस्ती और साहस की कहानी गाँव में हमेशा के लिए याद रह जाती है।
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