गोनू झा और भैंस का बंटवारा मजेदार कहानी, Gonu Jha Aur Bhains Ka Bantwara Majedar Kahani
Gonu Jha Aur Bhains Ka Bantwara
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गोनू झा और भोनू झा दो भाई थे। दोनों में बड़ा स्नेह था। दोनों एक घर में एक दूसरे के साथ रहते, एक दूसरे के साथ खाते पीते, खेलते बड़े हुए। बड़े होने के बाद भी उनमें स्नेह बना रहा। दोनों का विवाह हुआ और उनकी पत्नियां घर आ गई।
पत्नियों के घर आने के बाद स्थिति बदल गई। छोटी छोटी बातों पर कहा सुनी होने लगी। दोनों भाइयों के बीच पहले जैसा स्नेह न रहा। घर में बढ़ती खटपट के कारण गोनू और भोनू झा ने निर्णय किया कि अब वे बंटवारा कर अलग हो जाएंगे।
गांव में पंचायत बुलाई गई और उनकी संपत्ति का बंटवारा किया गया। सभी चीजों का बंटवारा होने के बाद बात भैंस और कंबल पर अटक गई। पंचों को समझ नहीं आया कि इनका बंटवारा कैसे करें?
आखिर काफ़ी सोच विचार के बाद पंचों ने ये फैसला किया कि भैंस के आगे का हिस्सा गोनू झा का है और पीछे का हिस्सा भोनू झा का। कंबल दिन के समय गोनू झा का है और रात के समय भोनू झा का।
बंटवारे के समय किसी ने कोई आपत्ति नहीं की। लेकिन कुछ दिनों में ही गोनू झा को समझ आ गया कि वह मूर्ख बन गया है।
वह दिनभर भैंस को चराता, उसे खिलाने पिलाने का पूरा ध्यान रखता, लेकिन शाम को भोनू पूरा दूध दुह लेता। गोबर पर भी वह अपना अधिकार जमाता। कंबल को गोनू दिन में धोता सुखाता, लेकिन रात में भोनू उसे ओढ़कर सो जाता।
कुछ दिनों तक गोनू सब चुपचाप देखता रहा। उसे लगता था कि भोनू उसका भाई है। कुछ दिनों में वह उसे भी भैंस का दूध देने लगेगा और कंबल भी देगा। लेकिन वैसा नहीं हुआ।
जब उसे विश्वास हो गया कि भोनू नहीं सुधरने वाला, तो उसने भी चालाकी दिखाई। जब शाम को भोनू भैंस का दूध दुहने बैठता, गोनू डंडा लेकर भैंस के सामने खड़े हो जाता और उसे मारता। भैंस भोनू को दुलत्ती मार देती। भोनू दूध दुह ही नहीं पाता।
गोनू कंबल को गीला करके रखता और भोनू उसे रात में ओढ़ नहीं पाता। तंग आकर भोनू फिर पंचों के पास गया और गोनू की शिकायत की। गोनू ने भी पंचों को सारी बात बता दी। तब भोनू ने गोनू से क्षमा मांगी और उसके बाद से उसे भैंस के दूध में हिस्सा देने लगा। कंबल भी दोनों एक एक दिन छोड़कर इस्तेमाल करने लगे। इस तरह अपनी चतुराई से गोनू ने अपने भाई भोनू को सबक सिखा दिया।
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