गॉसिप भेड़िया और लोमड़ी की कहानी (Gossip Wolf And The Fox Story In Hindi)
जंगल में अक्सर जानवरों के बीच रिश्ते, दोस्ती और विश्वास की कहानियाँ सुनी जाती हैं। लेकिन इन कहानियों में कभी-कभी धोखा और चालाकी की घटनाएँ भी छुपी होती हैं, जो यह सिखाती हैं कि हर किसी पर आँख मूंदकर विश्वास करना खतरनाक हो सकता है। यह कहानी भी ऐसी ही एक घटना को उजागर करती है। यह कहानी एक भेड़ियानी, उसके नवजात बच्चे और एक चालाक लोमड़ी के इर्द-गिर्द घूमती है। इसमें दोस्ती का मुखौटा पहने विश्वासघात की एक अनोखी दास्तान है, जो हमें एक गहरी सीख देती है।
Gossip Wolf And The Fox Story In Hindi
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जंगल के एक शांत कोने में एक मादा भेड़िया ने अपने पहले बच्चे को जन्म दिया। वह बेहद खुश थी और उसने अपने बच्चे की भलाई के लिए कई सपने देखे थे। अपने बच्चे के भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए उसने सोचा कि उसे एक समझदार और बुद्धिमान मार्गदर्शक की ज़रूरत है। मादा भेड़िया ने सोचा कि लोमड़ी को अपने बच्चे का गॉडफादर बना ले।
“आखिरकार, लोमड़ी हमारी नज़दीकी रिश्तेदार है।” मादा भेड़िया ने खुद से कहा। “वह चालाक है, बहुत होशियार है, और दुनियादारी का अच्छा ज्ञान रखती है। वह मेरे बच्चे को दुनिया के गुर सिखा सकती है और उसे आगे बढ़ने में मदद कर सकती है।”
लोमड़ी को न्यौता भेजा गया। चालाक लोमड़ी ने अपनी स्वभाविक चतुराई से जवाब दिया, “आदरणीय श्रीमती गॉसिप (मादा भेड़िया), यह मेरा सौभाग्य है कि आपने मुझे इस सम्मान के लिए चुना। मैं अपने दायित्व को पूरी निष्ठा से निभाऊँगा और आपको इसका उचित प्रतिफल मिलेगा।”
लोमड़ी को मादा भेड़िया के घर दावत पर बुलाया गया। वहाँ उसने खूब खाया-पीया और मीठी-मीठी बातें कीं। जब दावत समाप्त हुई, तो लोमड़ी ने कहा, “प्रिय श्रीमती गॉसिप, बच्चे की परवरिश हमारी साझा जिम्मेदारी है। उसे अच्छा भोजन मिलना चाहिए ताकि वह जल्दी मजबूत और ताकतवर बन सके।”
लोमड़ी ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा, “मैं एक बाड़े के बारे में जानती हूँ जहाँ ताज़ा और पौष्टिक मांस मिल सकता है। अगर हम वहाँ जाएँ, तो बच्चे के लिए अच्छा भोजन ला सकते हैं।” मादा भेड़िया लोमड़ी के सुझाव से प्रभावित हो गई और तैयार हो गई। दोनों ने साथ में सफर शुरू किया।
जब वे खेत के पास पहुँचे, तो लोमड़ी ने चालाकी भरे शब्दों में कहा, “देखो, श्रीमती गॉसिप, वह बाड़ा सामने है। तुम आसानी से उसमें घुस सकती हो क्योंकि तुम्हारा शरीर मजबूत है और तुम जल्दी काम कर सकती हो। इस बीच, मैं दूसरी तरफ जाऊँगी और देखूँगी कि क्या मैं कोई मुर्गी पकड़ सकती हूँ।”
मादा भेड़िया ने लोमड़ी की बात पर भरोसा किया और बाड़े की ओर बढ़ी। उधर लोमड़ी, जो अपनी चालाकी के लिए मशहूर थी, जंगल के किनारे जाकर आराम करने लगी। उसने मादा भेड़िया को अकेले भेज दिया, जबकि वह खुद बाड़े के आसपास भी नहीं गई।
मादा भेड़िया धीरे-धीरे बाड़े के अंदर घुस गई। लेकिन जैसे ही उसने वहाँ कदम रखा, एक बड़ा और चौकस कुत्ता उसकी ओर झपट पड़ा। कुत्ते ने इतनी जोर से भौंकना शुरू किया कि खेत का मालिक और किसान लाठी-डंडे लेकर भागे-भागे आ गए।
मादा भेड़िया बुरी तरह डर गई, लेकिन अब वह फँस चुकी थी। किसान उसे पकड़ने में सफल हो गए। उन्होंने उसे दंड देने के लिए एक तेज़ जलने वाला तरल उसके ऊपर फेंक दिया। दर्द से कराहती मादा भेड़िया किसी तरह वहाँ से भागने में कामयाब हुई।
जैसे ही मादा भेड़िया खुद को घसीटते हुए जंगल के किनारे पहुँची, उसने देखा कि लोमड़ी वहीं आराम से बैठी हुई थी। लोमड़ी ने मादा भेड़िया को आते देखा और तुरंत कराहने का नाटक शुरू कर दिया। वह ज़मीन पर लेट गई और दर्दभरी आवाज़ में बोली, “ओह, प्यारी श्रीमती गॉसिप, मुझे किसान ने बुरी तरह से मारा है। मेरे शरीर का हर हिस्सा दुख रहा है। अगर तुम मेरी मदद नहीं करोगी, तो मैं यहीं मर जाऊँगी।”
मादा भेड़िया खुद बुरी हालत में थी, लेकिन लोमड़ी की झूठी करुणा से वह भावुक हो गई। उसने अपनी तकलीफों को भूलकर लोमड़ी की मदद करने का फैसला किया। मादा भेड़िया ने लोमड़ी को अपनी पीठ पर उठाया और धीरे-धीरे अपने घर की ओर चलने लगी।
घर पहुँचते ही लोमड़ी ने अपनी चालाकी को अंजाम दिया। जैसे ही मादा भेड़िया ने उसे नीचे उतारा, वह खिलखिलाकर हँसने लगी और बोली, “श्रीमती गॉसिप, तुम्हारी हालत देखकर बड़ा मज़ा आया। किसान ने जो तुम्हें जलाया है, वह तुम्हें अच्छा स्वाद देगा। मुझे तुम्हारे भोलेपन का फायदा उठाने में बड़ा आनंद आया। अब मैं तुम्हारे इस एहसान का बदला ऐसे चुकाती हूँ।”
यह कहते ही लोमड़ी झटपट भाग खड़ी हुई। मादा भेड़िया बेबस होकर उसे जाते हुए देखती रह गई। वह दर्द और धोखे के एहसास से भर गई, लेकिन अब कुछ नहीं कर सकती थी।
सीख
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हर चमकती चीज़ सोना नहीं होती और हर मीठी बात करने वाला दोस्त नहीं। आँख मूँदकर किसी पर भरोसा करना कभी-कभी बहुत बड़े संकट को बुलावा दे सकता है। लोमड़ी ने अपने चालाक दिमाग का इस्तेमाल मादा भेड़िया को धोखा देने के लिए किया और उसकी मासूमियत का फायदा उठाया।
इसलिए, चाहे दोस्ती कितनी भी गहरी क्यों न लगे, हर कदम पर सतर्क रहना जरूरी है। जो अपने लाभ के लिए आपकी मासूमियत का फायदा उठाता है, उससे सावधान रहना ही बुद्धिमानी है।
कहावत: “चालाकी के पीछे छुपे धोखे को पहचानना, समझदारी की सबसे बड़ी निशानी है।”
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