Moral Story In Hindi

लालची आदमी की कहानी | Greedy Man Moral Story In Hindi

फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम एक लालची आदमी की कहानी (Greedy Man Moral Story In Hindi) शेयर कर रहे हैं.  Lalchi Aadmi Ki Kahani लालच का उसे क्या परिणाम भोगना पड़ता है, ये इस शिक्षाप्रद कहानी में बताया गया है. पढ़िए लालच न करने की सीख देती Hindi Kahani :

Greedy Man Moral Story In Hindi

Greedy Man Moral Story In Hindi

Greedy Man Moral Story In Hindi | Greedy Man Moral Story In Hindi

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एक नगर में एक लालची आदमी  रहता था. अपार धन-संपदा होने के बाद भी उसे हर समय और अधिक धन प्राप्ति की लालसा रहती थी.

एक बार नगर में एक चमत्कारी संत का आगमन हुआ. लोभी व्यक्ति को जब उनके चमत्कारों के बारे में ज्ञात हुआ, तो वह दौड़ा-दौड़ा उनके पास गया और उन्हें अपने घर आमंत्रित कर उनकी अच्छी सेवा-सुश्रुषा की. सेवा से प्रसन्न होकर नगर से प्रस्थान करने के पूर्व संत ने उसे चार दीपक दिए.

चारों दीपक देकर संत ने उसे बताया, “पुत्र! जब भी तुम्हें धन की आवश्यकता हो, तो पहला दीपक जला लेना और पूर्व दिशा में चलते जाना. जहाँ दीपक बुझ जाये, उस जगह की जमीन खोद लेना. वहाँ तुम्हें धन की प्राप्ति होगी. उसके उपरांत पुनः तुम्हें धन की आवश्यकता हुई, तो दूसरा दीपक जला लेना. जिसे लेकर पश्चिम दिशा में तब तक चलते जाना, जब तक वह बुझ ना जाये. उस स्थान से जमीन में गड़ी अपार धन-संपदा तुम्हें प्राप्त होगा. धन की तुम्हारी आवश्यकता तब भी पूरी ना हो, तो तीसरा दीपक जलाकर दक्षिण दिशा में चलते जाना. जहाँ दीपक बुझे, वहाँ की जमीन खोदकर वहाँ का धन प्राप्त कर लेना. अंत में तुम्हारे पास एक दीपक और एक दिशा शेष रहेगी. किंतु तुम्हें न उस दीपक को जलाना है, न ही उस दिशा में जाना है.”

इतना कहकर संत लोभी व्यक्ति के घर और उस नगर से प्रस्थान कर गए. संत के जाते ही लोभी व्यक्ति ने पहला दीपक जला लिया और धन की तलाश में पूर्व दिशा की ओर चल पड़ा. एक जंगल में दीपक बुझ गया. वहाँ की खुदाई करने पर उसे एक कलश प्राप्त हुआ. वह कलश सोने के आभूषणों से भरा हुआ था.

लोभी व्यक्ति ने सोचा कि पहले दूसरी दिशाओं का धन प्राप्त कर लेता हूँ, फिर यहाँ का धन ले जाऊँगा. वह कलश वहीं झाड़ियों में छुपाकर उसने दूसरा दीपक जलाया और पश्चिम दिशा की ओर चल पड़ा. एक सुनसान स्थान में दूसरा दीपक बुझ गया. लोभी व्यक्ति ने वहाँ की जमीन खोदी. उसे वहाँ एक संदूक मिला, जो सोने के सिक्कों से भरा हुआ था.

लोभी व्यक्ति ने वह संदूक उसी गड्ढे में बाद में ले जाने के लिए छोड़ दिया. अब उसने तीसरा दीपक जलाया और दक्षिण दिशा की ओर बढ़ गया. वह दीपक एक पेड़ के नीचे बुझा. वहाँ जमीन के नीचे लोभी व्यक्ति को एक घड़ा मिला, जिसमें हीरे-मोती भरे हुए थे.

इतना धन प्राप्त कर लोभी व्यक्ति प्रसन्न तो बहुत हुआ, किंतु उसका लोभ और बढ़ गया. वह अंतिम दीपक जलाकर उत्तर दिशा में जाने का विचार करने लगा, जिसके लिए उसे संत ने मना किया था. किंतु लोभ में अंधे हो चुके व्यक्ति ने सोचा कि अवश्य उस स्थान पर इन स्थानों से भी अधिक धन छुपा होगा, जो संत स्वयं रखना चाहता होगा. मुझे तत्काल वहाँ जाकर उससे पहले उस धन को अपने कब्जे में ले लेना चाहिए. उसके बाद सारा जीवन मैं ऐशो-आराम से बिताऊंगा.

उसने अंतिम दीपक जला लिया और उत्तर दिशा में बढ़ने लगा. चलते-चलते वह एक महल के सामने पहुँचा. वहाँ पहुँचते ही दीपक बुझ गया.

दीपक बुझने के बाद लोभी व्यक्ति ने महल का द्वार खोल लिया और महल के भीतर प्रवेश कर महल के कक्षों में धन की तलाश करने लगा. एक कक्ष में उसे हीरे-जवाहरातों का भंडार मिला, जिन्हें देख उसकी आँखें चौंधियां गई. एक अन्य कक्ष में उसे सोने का भंडार मिला. अपार धन देख उसका लालच और बढ़ने लगा. कुछ आगे जाने पर उसे चक्की चलने की आवाज़ सुनाई पड़ी. वह एक कक्ष से आ रही थी. आश्चर्यचकित होकर उसने उस कक्ष का द्वार खोल लिया. वहाँ उसे एक वृद्ध व्यक्ति चक्की पीसता हुआ दिखाई पड़ा.

लोभी व्यक्ति ने उससे पूछा, “यहाँ कैसे पहुँचे बाबा?”

“क्या थोड़ी देर तुम चक्की चलाओगे? मैं ज़रा सांस ले लूं. फिर तुम्हें पूरी बात बताता हूँ कि मैं यहाँ कैसे पहुँचा और मुझे यहाँ क्या मिला?” वृद्ध व्यक्ति बोला.

लोभी व्यक्ति ने सोचा कि वृद्ध व्यक्ति से यह जानकारी प्राप्त हो जायेगी कि इस महल में धन कहाँ-कहाँ छुपा है और उसकी बात मानकर वह चक्की चलाने लगा. इधर वृद्ध व्यक्ति उठ खड़ा हुआ और जोर-जोर से हँसने लगा.

उसे हँसता देख लोभी व्यक्ति ने पूछा, “ऐसे क्यों हंस रहे हो?” यह कहकर वह चक्की बंद करने लगा.

“अरे अरे, चक्की बंद मत करना. अबसे ये महल तेरा है. इस पर अब तेरा अधिकार है और साथ ही इस चक्की पर भी. ये चक्की तुम्हें अब हर समय चलाते रहना है क्योंकि चक्की बंद होते ही ये महल ढह जायेगा और तू इसमें दब कर मर जायेगा.”

गहरी सांस लेकर वृद्ध व्यक्ति आगे बोला, “संत की बात न मानकर मैं भी लोभवश आखिरी दीपक जलाकर इस महल में पहुँच गया था. तब से यहाँ चक्की चला रहा हूँ. मेरी पूरी जवानी चक्की चलाते-चलाते निकल गई.” इतना कहकर वृद्ध व्यक्ति वहाँ से जाने लगा.

“जाते-जाते ये बताते जाओ कि इस चक्की से छुटकारा कैसे मिलेगा?” लोभी व्यक्ति पीछे से चिल्लाया.

“जब तक मेरे और तुम्हारे जैसा कोई व्यक्ति लोभ में अंधा होकर यहाँ नहीं आयेगा, तुम्हें इस चक्की से छुटकारा नहीं मिलेगा.” इतना कहकर वृद्ध व्यक्ति चला गया.

लोभी व्यक्ति चक्की पीसता और खुद को कोसता रह गया.

सीख  (Lalchi Aadmi Ki Kahani Moral)

लालच बुरी बला है. इसलिए लालच कभी न करें.


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