गुड़ियों का मेला कर्नाटक की लोक कथा | Gudiyon Ka Mela Karnataka Folk Tale In Hindi

गुड़ियों का मेला कर्नाटक की लोक कथा Gudiyon Ka Mela Karnataka Folk Tale In Hindi, Gudiyon Ka Mela Lok Karnataka Ki Lok Katha 

Gudiyon Ka Mela Karnataka Folk Tale Hindi 

Gudiyon Ka Mela Karnataka Folk Tale

नवरात्र के समय दक्षिण भारतीय राज्यों में एक पर्व मनाया जाता है, जिसमें स्त्रियां गुड़ियों का रंग बिरंगे सुंदर वस्त्रों से श्रृंगार करती हैं और गुड़ियों का दरबार लगाती हैं। ये पर्व क्यों मनाया जाता है, इसके पीछे एक लोक कथा है।

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उन दिनों अर्जुन राजकुमारी उत्तरा के पास बृहन्नला का रूप धरकर रहा करते थे। अचानक युद्ध छिड़ गया और वे राजकुमार के सारथी बनकर युद्ध क्षेत्र में जाने के लिए निकलने लगे, तब राजकुमारी उत्तरा ने उनसे पूछा –

“आप कौरवों से लड़ने युद्ध क्षेत्र में जा रहे हैं, वापसी में हमारे लिए क्या लायेंगे?”

बृहन्नला रूपी अर्जुन ने उत्तर दिया, “आप ही बताइए, क्या लेकर आएं। किंतु वही मांगिए, जो युद्ध क्षेत्र में मिल सके।”

राजकुमारी उत्तरा ने कहा, “आप युद्ध क्षेत्र से हमारे लिए दुर्योधन, कृपाचार्य, भीम, कर्ण, द्रोण व अश्वत्थामा के वस्त्र लेकर आएं। हम उन योद्धाओं के वस्त्रों से अपनी गुड़ियों का श्रृंगार करेंगे।”

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अर्जुन ने वचन दिया कि वह उनकी मांग अवश्य पूरी करेंगे और युद्ध के लिए चले गए।

युद्ध क्षेत्र में उनके सामने कौरव सेना थी। युद्ध छिड़ गया और घमासान युद्ध हुआ, किंतु अंततः कौरव सेना को पराजय का मुंह देखना पड़ा।

अर्जुन युद्ध में विजयी होने के कारण अति प्रसन्न थे। वे लौटने लगे, तभी उन्हें स्मरण हो आया कि राजकुमारी उत्तरा ने उनसे दुर्योधन, कृपाचार्य, भीम, कर्ण, द्रोण व अश्वत्थामा के वस्त्र लाने को कहा है। 

वे वापस युद्ध क्षेत्र में लौटे। किंतु उन शूरवीरों के वस्त्र निकालना कठिन था। किंतु राजकुमारी की इच्छा पूर्ण करना ही था। अतः उन्होंने उन पर सम्मोहन अस्त्र का उपयोग किया। सारे कौरव सम्मोहित हो गए। तब अर्जुन ने उन सबके जरीदार कौशेय उतारे और वापस महल आ गए।

उन्होंने वे वस्त्र राजकुमारी उत्तरा को दिए। जिन्हें पाकर वह बहुत प्रसन्न हुई। उसने विजय पर्व के लिए अपनी सारी गुड़ियों का उन वस्त्रों से श्रृंगार किया और उन्हें पंक्तिबद्ध करके खड़ा किया। उनके साथ देवताओं की प्रतिमाएं भी थीं।

उसी दिन को स्मरण करते हुए स्त्रियां आज भी दक्षिण भारत में ये पर्व मनाती हैं। इस अवसर पर होने वाले आयोजनों में विभिन्न कलाकार अपनी प्रस्तुति देते हैं और उन्हें सम्मानित भी किया जाता है।

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