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गुलाब के फूल की कहानी | Gulab Ke Phool Ki Kahani 

गुलाब के फूल की कहानी (Gulab Ke Phool Ki Kahani) फूल प्रकृति का एक अद्भुत उपहार हैं, जो अपनी सुंदरता और सुगंध से हर किसी का मन मोह लेते हैं। इन फूलों में सबसे सुंदर और प्रसिद्ध है गुलाब का फूल। यह प्रेम, करुणा और सुंदरता का प्रतीक है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि गुलाब को अपनी यह प्रतिष्ठा कैसे मिली? इसके पीछे एक कहानी छिपी है। यह कहानी न केवल गुलाब की सुंदरता और सुगंध का रहस्य बताती है, बल्कि हमें जीवन के कई महत्वपूर्ण पाठ भी सिखाती है।  

Gulab Ke Phool Ki Kahani

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Gulab Ke Phool Ki Kahani

बहुत समय पहले की बात है। प्रकृति की रचना अपने चरम पर थी। धरती पर हर जगह हरियाली थी, नदियाँ बह रही थीं, और पहाड़ों की चोटियाँ बर्फ से ढकी हुई थीं। वनस्पतियाँ और फूल हर दिशा में अपनी सुंदरता फैला रहे थे। लेकिन एक जंगल में फूलों के बीच एक बहस छिड़ गई।  

हर फूल खुद को सबसे श्रेष्ठ मानता था। सूरजमुखी ने अपनी लंबाई और सूरज के प्रति आकर्षण का गुणगान किया। कमल ने अपनी पवित्रता और जल में खिलने की कला पर गर्व किया। चमेली ने अपनी मीठी सुगंध को अपनी श्रेष्ठता का कारण बताया। हर फूल अपनी खूबी गिना रहा था, लेकिन गुलाब का कोई अस्तित्व नहीं था।  

गुलाब उस समय एक साधारण सा पौधा था, जिसमें न कोई विशेषता थी, न कोई आकर्षण। न ही उसके फूल थे और न ही कोई खास सुगंध। वह जंगल के एक कोने में चुपचाप खड़ा था और दूसरों की बहस सुन रहा था। बाकी फूल गुलाब को अक्सर उपेक्षा से देखते और उसे तुच्छ समझते थे।  

एक दिन प्रकृति माता जंगल में आईं। उन्होंने फूलों की बहस सुनी और सबको शांत कराते हुए कहा, “तुम सब बहुत सुंदर हो और अपनी-अपनी विशेषताओं के लिए प्रिय हो। लेकिन सुंदरता केवल बाहरी नहीं होती। असली सुंदरता वह है जो दूसरों को सुख और प्रेरणा दे। अब मैं एक ऐसा फूल बनाऊँगी, जो इन सब खूबियों का प्रतिनिधित्व करेगा।”  

यह सुनकर सभी फूल उत्साहित हो गए। वे चाहते थे कि प्रकृति माता उनकी खूबियों को लेकर ही नया फूल बनाएँ। सूरजमुखी ने कहा, “माता, मेरी ऊँचाई और सूरज के प्रति प्रेम इस नए फूल में होना चाहिए।” चमेली बोली, “मेरी सुगंध को मत भूलिएगा।” कमल ने अपनी पवित्रता और शांत स्वरूप की सिफारिश की। हर फूल ने अपनी बात रखी, लेकिन गुलाब चुप रहा। वह जानता था कि उसमें कोई खासियत नहीं है, इसलिए उसने कुछ नहीं कहा।  

प्रकृति माता ने हर फूल की बात सुनी और गुलाब के पास पहुँचीं। उन्होंने पूछा, “गुलाब, तुम क्यों चुप हो?”  

गुलाब ने विनम्रता से कहा, “माता, मैं साधारण हूँ। मुझमें न तो सूरजमुखी की ऊँचाई है, न कमल की पवित्रता, न चमेली की सुगंध। मैं बस जंगल का एक हिस्सा हूँ। आप जो भी निर्णय लेंगी, मुझे स्वीकार होगा।”  

प्रकृति माता गुलाब की विनम्रता से प्रभावित हुईं। उन्होंने तय किया कि इस साधारण पौधे को ही विशेष बनाएँगी।  

प्रकृति माता ने अपने जादुई हाथों से गुलाब को छुआ। देखते ही देखते, गुलाब के पौधे में नए परिवर्तन होने लगे। उसकी टहनियों पर कांटे उग आए, ताकि वह अपनी रक्षा कर सके। उसके तनों पर सुंदर हरे पत्ते झिलमिलाने लगे। और सबसे खास बात, गुलाब पर एक अद्भुत फूल खिला। उस फूल की पंखुड़ियाँ इतनी कोमल थीं जैसे रेशम, और उसकी सुगंध इतनी मोहक कि हर कोई उसकी ओर खिंच जाए।  

गुलाब अब न केवल सुंदर था, बल्कि उसकी सुगंध भी मनमोहक थी। उसकी पंखुड़ियों में प्रेम और कोमलता झलकती थी, और उसके काँटे उसे बुराई और खतरों से बचाते थे। अब वह जंगल के सबसे अनोखे और आकर्षक फूलों में से एक बन गया।  

जंगल के बाकी फूल गुलाब को देखकर दंग रह गए। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि साधारण सा दिखने वाला गुलाब एक दिन इतना खास बन जाएगा। लेकिन गुलाब ने किसी पर घमंड नहीं किया। वह विनम्र रहा और सबको अपनी सुगंध से आनंदित करता रहा।  

गुलाब के रूपांतरण ने जंगल के बाकी फूलों को एक महत्वपूर्ण सबक सिखाया। सूरजमुखी ने सीखा कि ऊँचाई ही सब कुछ नहीं होती, बल्कि दूसरों को रोशनी और प्रेरणा देना महत्वपूर्ण है। कमल ने समझा कि पवित्रता को दूसरों की भलाई के लिए उपयोग करना चाहिए। और चमेली ने जाना कि सुगंध केवल अपनी प्रशंसा के लिए नहीं, बल्कि दूसरों को खुशी देने के लिए होनी चाहिए।  

गुलाब ने सबको दिखाया कि विनम्रता और सेवा का भाव सबसे बड़ा गुण है। उसकी सफलता का राज उसकी सादगी और दूसरों की भलाई की सोच थी।  

सीख

इस कहानी से हमें कई शिक्षाएँ मिलती हैं:  

1. विनम्रता का महत्व: अपने गुणों पर घमंड करना किसी को श्रेष्ठ नहीं बनाता। सच्ची महानता विनम्रता में है।  

2. सेवा का भाव: दूसरों की भलाई के लिए जीना सबसे बड़ी खूबी है।  

3. सादगी की शक्ति: साधारण व्यक्ति भी असाधारण बन सकता है, अगर वह अपने अंदर सकारात्मकता और सेवा का भाव विकसित करे।  

4. हर बाधा का समाधान: गुलाब के काँटे हमें सिखाते हैं कि जीवन में सुरक्षा और आत्मरक्षा जरूरी है, लेकिन इसे दूसरों को नुकसान पहुँचाने के लिए नहीं इस्तेमाल करना चाहिए।  

गुलाब आज भी दुनिया भर में प्रेम, सौंदर्य और विनम्रता का प्रतीक है। उसकी सुगंध और सुंदरता हर किसी को आकर्षित करती है, लेकिन उसके काँटे हमें यह भी याद दिलाते हैं कि जीवन में संतुलन जरूरी है।  

यह कहानी न केवल फूलों की, बल्कि हमारे जीवन की भी है। अगर हम अपनी विशेषताओं का उपयोग विनम्रता और दूसरों की भलाई के लिए करें, तो हम भी गुलाब की तरह खास बन सकते हैं।  

गुलाब हमें सिखाता है कि असली सुंदरता बाहरी नहीं, बल्कि आंतरिक गुणों में होती है। यही कारण है कि गुलाब फूलों का राजा कहलाता है।  

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