ज्ञान बिना परख नहीं ज्ञान पर प्रेरणादायक कहानी | Gyan Bina Parakh Nahin Kahani

दोस्तों, इस पोस्ट में हम ज्ञान बिना परख नहीं कहानी | Gyan Bina Parakh Nahin Kahani शेयर कर रहे हैं। ये प्रेरणादायक ज्ञान पर कहानी है, जिसमें सही और गलत को समझने के लिए ज्ञान के महत्व के बारे में बताया गया है. पढ़ें:

Gyan Bina Parakh Nahin Kahani

Gyan Bina Parakh Nahin Kahani
Gyan Bina Parakh Nahin Kahani

एक गाँव में रहने वाले जौहरी परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा, जब जौहरी चल बसा. परिवार में अब जौहरी का सोलह-सत्रह बरस का लड़का और पत्नी रह गए.

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घर की आर्थिक स्थिति दिनों दिन ख़राब होती जा रही थी. एक दिन माँ ने बेटे को अपने पास बुलाया और संदूक से निकालकर नीलम का हार देकर कहा, “बेटा, अब इसे बेचने के सिवा और कोई चारा नहीं. इसे लेकर अपने चाचाजी के पास चले जा. उनसे कहना कि इसे बेचने में हमारी मदद कर दें.”

लड़का नीलम का हार लेकर चाचा के पास गया और उन्हें हार देकर माँ की बात दोहरा दी.

लड़के का चाचा भी जौहरी था. उसने हार अपने हाथ में लिया और उसे जांचने-परखने के बाद बोला, “बेटा! चाहूं तो मैं ये हार अभी बेच दूं, पर बाज़ार मंदा होने से सही दाम न मिल सकेंगे. मेरी मानो, तो कुछ दिन रुक जाओ. अभी मैं तुम्हें कुछ पैसे दे देता हूँ. इससे कुछ दिनों तक घर चलाओ. और हाँ, कल से मेरे काम में मेरी मदद करो और काम भी सीखो.”

लड़का नीलम का हार और चाचा के दिए पैसे लेकर लौट गया. अगले दिन से वह रोज़ चाचा की दुकान पर हीरे-जवाहरात और रत्नों की परख का काम सीखने लगा. साल भर में वो रत्नों की परख में इतना पारगंत हो गया कि उस गाँव में ही नहीं आसपास के गाँव में भी उसका नाम हो गया. दूर-दूर से लोग रत्नों की परख के लिए उसके पास आने लगे.

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एक दिन चाचा ने उससे कहा, “बेटा! ऐसा करो, अपनी माँ का नीलम का हार हार ले आओ. अब मंदी रही नहीं. हमें उसके अच्छे दाम मिल जायेंगे.”

घर जाकर, लड़के ने माँ से नीलम का हार मांगा और खुद ही उसे परखने लगा. परखने पर उसे पता चला कि वो हार तो नकली है.

अगले दिन वह खाली हाथ चाचा के पास पहुँचा. चाचा ने पूछा, “बेटा! तुम हार नहीं लाये.’

लड़के ने कहा, “चाचाजी, वो हार तो नकली था.”

तब चाचा ने उसे बताया, “बेटा! जब तुम पहली बार वो हार लेकर मेरे पास आये थे, मैंने तब ही उसी परख लिया था कि वो नकली है. लेकिन मैंने तुम्हें बताया नहीं. उस वक़्त तुम लोग बुरे दौर से गुजर रहे थे. सोचते कि बुरे वक़्त में तुम्हारा चाचा तुमसे दगा कर रहा है. इस तरह हमारे रिश्ते बिगड़ जाते. आज तुम खुद इस काबिल हो चुके हो कि खुद ही परखकर हार की असलियत जान गए. अब किसी और पर शंका करने का प्रश्न ही नहीं उठता.”

सीख (Knowledge Story Moral)

दोस्तों, पूर्ण ज्ञान या जानकारी के अभाव में किसी भी व्यक्ति, वस्तु या परिस्थति के बारे में हम जो भी धारणा बनाते हैं, उसमें शंका और अविश्वास का समावेश होता है, जो सिर्फ गलतफहमियों को बढ़ावा देता है. ज्ञान के प्रकाश में ही वस्तुस्थिति को स्पष्ट तरीके से समझा जा सकता है. इसलिए किसी भी चीज़ के बारे में सही तरीके से समझने के लिए, उसके बारे में सारा ज्ञान या जानकारी ज़रूर हासिल करें.

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