ज्ञान हमेशा झुककर लो शिक्षाप्रद कहानी | Gyan Hamesha Jhuk Kar Lo Kahani

फ्रेंड्स, ज्ञान हमेशा झुककर लो शिक्षाप्रद कहानी (Gyan Hamesha Jhuk Kar Lo Kahani) हम इस पोस्ट में शेयर कर रहे हैं। जीवन की सीख देने वाली यह कहानी हमें यह सिखाती है कि ज्ञान प्राप्ति के लिए कैसे भाव रखना चाहिए। पढ़िए :

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Gyan Hamesha Jhuk Kar Lo Kahani

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Gyan Hamesha Jhuk Kar Lo

शास्त्रों में पारंगत एक विख्यात पंडित एक वृद्ध साधु के पास गया और बोला, “महात्मा जी! मैं सत्य की खोज में हूँ। कृपया मेरा मार्गदर्शन करें।”

साधु ने पूछा, “तुम कौन हो वत्स?”

पंडित बोला, “महात्मा जी! आप मुझे नहीं जानते। मैं कई शास्त्रों में पारंगत पंडित हूँ। इस नगर में मेरी बड़ी प्रतिष्ठा है। किंतु सत्य खोज न सका हूँ। आपसे ज्ञान प्राप्त करना चाहता हूँ, ताकि सत्य को पा सकूं।”

साधु बोले, “तुम लिखकर ले लाओ कि तुम क्या जानते हो। जो तुम जानते हो, उसे बताने का कोई औचित्य नहीं। जो तुम नहीं जानते, वो ज्ञान मैं तुम्हें दे दूंगा।”

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व्यक्ति लौट गया। उसे शास्त्रों का इतना अधिक ज्ञान था कि उसे लिखते-लिखते तीन वर्ष बीत गए। तीन वर्ष बाद जब वह साधु के पास पहुँचा, तो उसके हाथ में हजार पृष्ठों की पोथी थी।

साधु और वृद्ध हो चले थे, पोथी देखकर बोले, “मेरी आयु हो चली है। इतना तो मैं पढ़ न पाऊंगा। इसका सार लिखकर ले आओ।”
पंडित लौट गया और सार लिखने लगा। इसमें उसे तीन माह लग गए। तीन माह बाद जब वो साधु के पास पहुँचा, तो उसके हाथ में सौ पृष्ठ थे।

साधु बोले, “ये भी बहुत अधिक है। शरीर दुर्बल हो चला हैं। आँखें कमजोर हो चली हैं कि इतना पढ़ पाना भी संभव नहीं। इसे और संक्षिप्त कर आओ।”

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पंडित वापस चला गया और सात दिन बाद एक पृष्ठ में सार सूत्र लिखकर ले आया। साधु मृत्यु शैय्या पर थे। पंडित ने वो एक पृष्ठ साधु की ओर बढ़ाया, तो वे बोले, “मैं तुम्हारी ही बाट जोह रहा था। देख रहे हो कि मेरा अंतिम समय आ चुका है। तुम कब मेरी बात समझोगे। जाओ इसे और संक्षिप्त कर लाओ।”

साधु की बात सुनकर मानो पंडित की आँखें खुल गई। वह तत्काल दूसरे कक्ष में गया और एक कोरा कागज ले आया।

साधु मुस्कुराये और बोले, “इस कोरे कागज़ का अर्थ है कि मैं कोरा हूँ। पूर्णतः खाली…अज्ञानी…अब तुम मेरा ज्ञान प्राप्त करने के योग्य हुए। शिष्य वह है, जो गुरु के समक्ष ये भाव रखे कि वह कुछ नहीं जानता। जो सर्वज्ञाता हो, उसे गुरु की क्या आवश्यकता।”

साधु ने उसे जीवन के सत्य का ज्ञान दिया और प्राण त्याग दिए।

सीख (Moral Gyan Ki Kahani)

मित्रों, ज्ञान सदा अज्ञानी बनकर ही प्राप्त किया जाता है।

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