हंसल और ग्रेटल की कहानी हिंदी में | Hansel And Gretel Story In Hindi Fairy Tales

फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम ‘हंसल और ग्रेटेल की कहानी’ (Hansel And Gretel Story In Hindi) शेयर कर रहे हैं. ये एक पुरानी लोकप्रिय जर्मन परी कथा (Fairy Tale) है, जिसे Brother Grimm द्वारा वर्ष १८१२ में प्रकाशित किया गया था. यह हंसल और ग्रेटेल नाम के दो भाई-बहन की कहानी है, जिन्हें उनके माता-पिता द्वारा जंगल में छोड़ दिया जाता है.  मुसीबत का सामना बहादुरी से करने की सीख देने वाली ये कहानी वर्णन करती है कि जंगल में हंसल और ग्रेटेल के साथ क्या होता है? कैसे वे घर लौटते हैं? पढ़िए पूरी कहानी (Little Brother And Little Sister Story In Hindi) : 

Hansel And Gretel Story In Hindi

 Hansel And Gretel Story In Hindi
Hansel And Gretel Story In Hindi

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जंगल किनारे बसे गाँव में दो बच्चे रहते थे – हंसल और ग्रेटल. उनकी माँ नहीं थी. पिता थे, जो लकड़ी काटने का काम करते थे. हेंसल और ग्रेटल अपनी माँ को बहुत याद किया करते थे और उसकी याद में उदास हो जाया करते थे. बच्चों की उदासी दूर करने के लिए उनके पिता ने दूसरी शादी कर ली.

हंसल और ग्रेटल नई माँ को पाकर बहुत ख़ुश हुए. लेकिन, उनकी सौतेली माँ उन्हें देखकर ख़ुश नहीं हुई. वह एक दुष्ट औरत थी. वह किसी भी तरह उनसे छुटकारा पाना चाहती थी और इसलिए हर समय नए-नए उपाय सोचा करती थे.

वह रोज़ अपने पति से हेंसल और ग्रेटल की शिकायतें करती, ताकि वो उनसे नाराज़ हो जाए. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. वो हेंसल और ग्रेटल से बहुत प्यार करता था. इसलिए वह उन्हें प्यार से समझाता कि वे अपनी माँ को परेशान न करे और उसे किसी प्रकार की शिकायत का मौका न दें.

हंसल और ग्रेटल भी पिता की बात मान अपनी सौतेली माँ को ख़ुश करने की कोशिश किया करते, लेकिन वह तो किसी भी तरह बस उन दोनों से छुटकारा पाना चाहती थी.

एक बार उनके गाँव में सूखा पड़ गया. लोग खाने को मोह्ताज़ हो गये. इस स्थिति में सौतेली माँ हंसल और ग्रेटल से और ज्यादा चिढ़ने लगी. उन्हें खिलाना-पिलाना उसे आफ़त लगने लगा.

एक रात वह अपने पति से बोली, “गाँव में सूखा पड़ा है. खाने के लाले पड़े हैं. ऐसे में हम हंसल और ग्रेटल को अपने साथ नहीं रख सकते. हमें उन्हें जंगल में छोड़ आना चाहिए.”

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यह सुनकर हंसल और ग्रेटल का पिता उदास हो गया और बोला, “वे नन्हें बच्चे हैं. मैं उनके साथ ऐसा कैसे कर सकता हूँ? कुछ तो उन पर दया करो.”

“मैं कुछ नहीं जानती. इस समय हमें अपने बारे में सोचना चाहिए. हम ख़ुद के खाने की व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं, उनकी कहाँ से करेंगे? मेरी बात मान लो. हम कल उन दोनों को जंगल में जाकर छोड़ देंगे.” सौतेली माँ ने अपना फ़ैसला सुना दिया, जिसे मन मारकर हंसल और ग्रेटल के पिता ने मान गया.

इस दोनों की बातें हंसल ने सुन ली, जो उस समय जाग रहा था. वह तुरंत घर के आंगन में गया और वहाँ से कुछ चमकीले पत्थर उठा लाया.

अगली सुबह सौतेली माँ उनसे बोली, “हंसल और ग्रेटल, हम लोग लकड़ियाँ काटने जंगल जा रहे हैं. तुम दोनों भी हमारे साथ चल रहे हो. जल्दी तैयार हो जाओ.”

हंसल और ग्रेटल जंगल जाने के लिए तैयार हो गए. हंसल ने रात में चुने सफ़ेद चमकदार पत्थर अपनी पेंट की जेब में रख लिए. फ़िर सब जंगल के लिए निकल पड़े.

जंगल में एक स्थान पर पहुँचकर सौतेली माँ बोली, “हंसल और ग्रेटल तुम लोग यहीं रुको. हम लोग दूसरी जगह से लड़कियाँ काटकर आते हैं.”

उनका पिता कुछ नहीं बोला, बस उदास आँखों से उन्हें देखता रहा. फिर उनकी सौतेली माँ के साथ वहाँ से चला गया. हेंसल और ग्रेटल वहीं उनका इंतज़ार करने लगे.

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शाम हो गई. अंधेरा छाने लगा, लेकिन उनके माता-पिता नहीं लौटे. ग्रेटल डर के मारे रोने लगी. तब हंसल उसे दिलासा देता हुआ बोला, “ग्रेटल! डरो मत. मैं तुम्हें घर ले जाऊंगा.”

उसके बाद वह अपने द्वारा रास्ते में डाले गए सफ़ेद चमकदार पत्थरों को देखता हुआ ग्रेटल के साथ घर चला आया. जब उनके पिता ने दोनों को देखा, तो दौड़कर उनके पास गया और उन्हें गले लगा लिया.

उसे अपने किये पर बहुत पछतावा हो रहा था. वह बोला, “आइंदा से मैं तुम लोगों को कभी ख़ुद से दूर नहीं करूंगा.”

हंसल और ग्रेटल को वापस घर आया देख सौतेली माँ नाराज़ हो गई. वह दूसरे मौके का इंतजार करने लगी. कुछ दिनों बाद जब उसका पति किसी काम से शहर गया, तो वो हंसल और ग्रेटल के पास जाकर बोली, “चलो, आज लकड़ियाँ काटने जंगल चलते हैं.”

हंसल अपनी माँ की चाल समझ गया. लेकिन उस समय उसे सफ़ेद चमकदार पत्थर चुनने का मौका नहीं मिल पाया. वह भागकर रसोईघर गया और वहाँ से एक ब्रेड उठाकर अपनी जेब में डाल लिया.

इस बार सौतेली माँ उन्हें दूसरे रास्ते से जंगल ले गई. हंसल इस बार ब्रेड के छोटे-छोटे टुकड़े कर रास्ते में डालता गया. जंगल पहुँचने के बाद सौतेली माँ उन्हें एक पेड़ के नीचे बैठाकर बोली, “तुम दोनों यहाँ बैठकर मेरा इंतज़ार करो. मैं दूसरी तरफ़ से लकड़ियाँ काटकर आती हूँ.”

हंसल और ग्रेटल वहीँ बैठकर सौतेली माँ का इंतज़ार करने लगे. शाम हो गई और फ़िर रात, लेकिन सौतेली माँ नहीं आई. ग्रेटल डर के मारे रोने लगी और कहने लगी, “हंसल, अब क्या होगा? हम घर कैसे जायेंगे? जंगल में तो हमें जंगली जानवर मारकर खा जायेंगे.”

हंसल बोला, “ग्रेटल, हमें सुबह तक जंगल में ही रुकना पड़ेगा. मैंने घर से यहाँ तक के रास्ते में ब्रेड के टुकड़े डाले हैं, लेकिन अँधेरे में हम उन्हें देख नहीं पाएंगे. सुबह होने पर हम उन्हें देखकर घर पहुँच जायेंगे.”

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डरते-डरते दोनों ने जंगल में ही पूरी रात बिताई. सुबह होने पर वे घर के लिए निकले. लेकिन, हंसल ने जो ब्रेड के टुकड़े रास्ते में डाले थे, वे चिड़िया और गिलहरी खा गई थी. इस कारण दोनों जंगल में भटक गए.

भटकते-भटकते वे एक स्थान पर पहुँचे, जहाँ उन्हें एक खूबसूरत घर दिखाई पड़ा. वह घर ब्रेड, केक और मिठाइयों से बना हुआ था. उसमें ढेर सारी कैंडी और टॉफ़ी भी लगी हुई थी.

दोनों की भूख जाग गई. दोनों उस घर के पास गए और उन केक खाने लगे. तभी एक बूढ़ी औरत वहाँ आई. उसे देखकर हंसल और ग्रेटल डर गए.

बूढी औरत बोली, “डरो नहीं बच्चों, ये घर मेरा है और मैंने इसे तुम जैसे बच्चों के लिए ही बनाया है. आओ अंदर आओ. मैं तुम्हें अच्छा-अच्छा खाना खिलाउंगी.”

दोनों भूखे थे, इसलिए बूढ़ी औरत के साथ घर के अंदर चले गये. बूढी औरत ने उन्हें ढेर सारा खाना खिलाया. खाना खाकर हेंसल और ग्रेटल बहुत खुश हुए. उन्होंने बूढ़ी औरत का धन्यवाद किया और उसे अपने साथ घटी सारी घटना बता दी. उन्होंने उसे बताया कि अपने घर का रास्ता भूल गए हैं और वे जंगल में भटक गए है.

उन्होंने बूढ़ी औरत से पूछा, “क्या आप हमें हमारे घर पहुँचा देंगी.”

ये सुनकर बूढ़ी औरत जोर–जोर से हँसने लगी और बोली, “अब तुम लोग यहाँ से कहीं नहीं जा सकते. तुम्हें यहीं रहना होगा. मैं तुम दोनों को खाकर अपनी भूख मिताऊंगी.”

दरअसल, वो बूढ़ी औरत एक चुड़ैल थी, जो बच्चों को मारकर खाया करती थी. ब्रेड, केक, मिठाइयों वाला घर उसने बच्चों को आकर्षित करने के लिए ही बनाया था.

उसने हेंसल को एक पिंजरे में कैद कर लिया और बोली, “जब तू मोटा हो जायेगा, तब मैं तुझे खाऊंगी.”

ग्रेटल को उसने घर के काम में लगा दिया. हेंसल और ग्रेटल डर में जीने लगे. वे दोनों वहाँ से बाहर निकलने का उपाय भी सोचते रहते थे.

एक दिन बूढ़ी चुड़ैल ग्रेटल से बोली, “आज एक बड़े बर्तन में पानी गर्म करो. मैं उनमें हेंसल का सूप बनाकर पीऊंगी.”

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ग्रेटल डर गई. उसने ये बात जाकर हेन्सल को बताई, तो उसे वहाँ से बाहर निकलने का एक उपाय सूझ गया. उसने वो उपाय ग्रेटल के कान में बता दिया.

फ़िर ग्रेटल एक बड़े बर्तन में पानी गर्म करने लगी. कुछ देर बाद बूढ़ी चुड़ैल आई और ग्रेटल से पूछने लगी, “पानी गर्म हो गया क्या?”

ग्रेटल बोली, “मैं इतनी छोटी सी हूँ और ये बर्तन इतना बड़ा. मैं इसमें झांक कर कैसे देखूं? आप खुद ही देख लो ना!”

बूढ़ी चुड़ैल बोली, “ठीक है”. और एक स्टूल पर चढ़कर बर्तन में झांकने लगी. तभी पीछे से ग्रेटल ने उसे गर्म पानी के बतर्न में धक्का दे दिया. गर्म पानी में जलकर चुड़ैल मर गई.

ग्रेटल ने हेंसल को आज़ाद कर दिया. हेंसल ग्रेटल से बोला, “अब हमें बिना देर किये यहाँ से बाहर निकल जाना चाहिए.”

ग्रेटल बोले, “भाई! मैंने यहाँ एक मटके में ढेर सारे सोने के सिक्के और हीरे-जवाहरात देखे हैं. क्यों न हम उनमें से कुछ अपने साथ ले चलें. इससे हमारी ग़रीबी दूर हो जायेगी और हम कभी भूखे नहीं रहेंगे. हमारे माता-पिता भी हमें घर से नहीं निकालेंगे.”

दोनों सोने के कुछ सिक्के और हीरे-जवारात एक थैले में डालकर घर से बाहर निकल गए. इधर-उधर जंगल में भटकते हुए वे किसी तरह शाम ढले अपने घर पहुँच ही गए. वहाँ उन्होंने देखा कि उनका पिता घर के बाहर उदास बैठा हुआ है.

वे जब पिता के पास पहुँचे, तो उन्हें देखकर पिता रो पड़ा और उन्हें गले लगाते हुए बोला, “बच्चों मुझे माफ़ कर दो. मेरी वजह से तुम्हें इतनी परेशानी हुई. अब तुम्हें कोई परेशानी नहीं होगी. मैंने तुम्हारी सौतेली माँ को घर से निकाल दिया है.”

हेंसल और ग्रेटल ने अपने साथ घटी घटना पिता को बताई और उसे सोने के सिक्कों और हीरे-जवाहरतों की थैली दे दी. उससे उनकी ग़रीबी दूर हो गई और वे ख़ुशी-ख़ुशी रहने लगे.

सीख (Moral of the story)

विपत्ति का सामना हिम्मत और सूझ-बूझ से करना चाहिए.


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