ख़ुशी की तलाश : प्रेरक कहानी | Happiness Story In Hindi

फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम प्रेरक कहानी “ख़ुशी की तलाश” (Happiness Story In Hindi) शेयर कर रहे हैं. मानव सदा ख़ुशी की तलाश में रहता है और उसे प्राप्त करने जीवन में कई लक्ष्य निर्धारित करता है. लेकिन उन लक्ष्यों की प्राप्ति उपरांत भी वह पूर्णरूपेण ख़ुश नहीं हो पाता. उसे सदा ख़ुशियों की तलाश रहती है. यह कहानी आपको वास्तविक ख़ुशी का अर्थ समझने में मदद करेगी. पढ़िए (Motivational Story For Happiness In Hindi) :

Happiness Story In Hindi

Happiness Story In Hindi

Happiness Story In Hindi 

ख़ुशी की तलाश

एक बार सृष्टि के रचियता ब्रह्माजी ने मानवजाति के साथ एक खेल खेलने का निर्णय लिया. उन्होंने ख़ुशी को कहीं छुपा देने का मन बनाया, ताकि मानव उसे आसानी से प्राप्त न कर सके. ब्रह्माजी की सोच थी कि जब बहुत तलाश करने के बाद मानव ख़ुशी को ढूंढ निकलेगा, तब शायद वास्तव में ख़ुश हो पायेगा.  

इस संबंध में मंत्रणा करने उन्होंने अपनी परामर्श-मंडली को बुलाया. जब परामर्श-मंडली उपस्थित हुई, तो ब्रह्माजी बोले, “मैं मानवजाति के साथ एक खेल खेलना चाहता हूँ. इस खेल में मैं ख़ुशी को ऐसे स्थान पर छुपाना चाहता हूँ, जहाँ से वह उसे आसानी से न मिल सके. क्योंकि आसानी से प्राप्त ख़ुशी का महत्व मानव नहीं समझता और पूरी तरह से ख़ुश नहीं होता. अब आप लोग मुझे परामर्श दें कि मैं ख़ुशी को कहाँ छुपाऊं.”

“इसे धरती की गहराई में छुपा देना उचित होगा.” पहला परामर्श आया.

“लेकिन मानव खुदाई कर आसानी से इसे प्राप्त कर लेगा.” ब्रह्माजी ने असहमति जताते हुए कहा.

“तो फिर इसे सागर की गहराई में छुपा देना अच्छा रहेगा.” एक परामर्श और आया.

“मानव सारे सागर छान मारेगा और ख़ुशी आसानी से ढूंढ निकलेगा. इसलिए ऐसा करना ठीक नहीं होगा.” ब्रह्माजी बोले.

बहुत से परामर्श सलाहकार मंडली ने दिए, लेकिन कोई ब्रह्माजी को जंचे नहीं.

काफ़ी सोच-विचार कर ब्रह्माजी एक निर्णय पर पहुँचे, जिससे परामर्श-मंडली भी सहमत थी. वह निर्णय था कि ख़ुशी को मानव के अंदर ही छुपा दिया जाये. वहाँ उसे ढूंढने के बारे में मानव कभी सोचता ही नहीं है. लेकिन यदि उसने वहाँ ख़ुशी ढूंढ ली, तो वह अपने जीवन में वास्तव में ख़ुश रहेगा.

सीख (Moral of the story)

हम अक्सर ख़ुशी को बाहर तलाशते रहते हैं, किंतु वास्तविक ख़ुशी हमारी भीतर ही है. आवश्यकता है उसे अपने भीतर तलाशने की.


सबसे खुश पक्षी

एक कौवा एक वन में रहा करता था. उसे कोई कष्ट नहीं था और वह अपने जीवन से पूरी तरह संतुष्ट था. एक दिन उड़ते हुए वह एक सरोवर के किनारे पहुँचा. वहाँ उसने एक उजले सफ़ेद हंस को तैरते हुए देखा. उसे देखकर वह सोचने लगा – “यह हंस कितना सौभाग्यशाली है, जो इतना सफेद और सुंदर है. इधर मुझे देखो, मैं कितना काला और बदसूरत हूँ. ये हंस अवश्य इस दुनिया का सबसे खुश पक्षी होगा.”

वह हंस के पास गया और अपने मन की बात उसे बता दी. सुनकर हंस बोला, “नहीं मित्र! वास्तव में ऐसा नहीं है. पहले मैं भी सोचा करता था कि मैं इस दुनिया का सबसे सुंदर पक्षी हूँ. इसलिए बहुत सुखी और खुश था. लेकिन एक दिन मैंने तोते को देखा, जिसके पास दो रंगों की अनोखी छटा है. उसके बाद से मुझे यकीन है कि वही दुनिया का सबसे सुंदर और खुश पक्षी है.”

हंस की बात सुनने के बाद कौवा तोते के पास गया और उससे पूछा कि क्या वह दुनिया का सबसे खुश पक्षी है. तोते ने उत्तर दिया, “मैं बहुत ही खुशगवार जीवन व्यतीत कर रहा था, जब तक मैंने मोर को नहीं देखा था. किंतु अब मुझे लगता है कि मोर से सुंदर तो कोई हो ही नहीं सकता. इसलिये वही दुनिया का सबसे सुखी और खुश पक्षी है.”

इसके बाद कौवा मोर की खोज में निकला. उड़ते-उड़ते वह एक चिड़ियाघर पहुँचा. वहाँ उसने देखा कि मोर एक पिंजरे में बंद है और उसे देखने के लिए बहुत सारे लोग जमा हैं. सभी मोर की बहुत सराहना कर रहे थे. सबके जाने के बाद कौवा मोर के पास गया और उससे बोला, “तुम कितने सौभाग्यशाली हो, जो तुम्हारी सुंदरता के कारण हर रोज़ हजारों लोग तुम्हें देखने आते है. मुझे तो लोग अपने आस-पास भी फटकने नहीं देते और देखते ही भगा देते है. तुम इस दुनिया के सबसे खुश पक्षी हो ना?”

कौवे की बात सुनकर मोर उदास हो गया.

वह बोला, “मित्र! मुझे भी अपनी सुंदरता पर बड़ा गुमान था. मैं सोचा करता था कि मैं इस दुनिया का क्या, बल्कि इस पूरे ब्रम्हाण्ड का सबसे सुंदर पक्षी हूँ. इसलिए खुश भी बहुत था. लेकिन मेरी यही सुंदरता मेरी शत्रु बन गई है और मैं इस चिड़ियाघर में बंद हूँ. यहाँ आने के बाद इस पूरे चिड़ियाघर का अच्छी तरह मुआयना करने के बाद मैं इस नतीजे पर पहुँचा हूँ कि कौवा ही एक ऐसा पक्षी है, जो यहाँ कैद नहीं है. इसलिए पिछले कुछ दिनों से मैं सोचने लगा हूँ कि काश मैं कौवा होता, तो कम से कम आज़ादी से बाहर घूम सकता और तब मैं इस दुनिया का सबसे सुखी और खुश पक्षी होता.”

सीख (Moral of the story)

हम हमेशा दूसरों को देखकर व्यर्थ ही स्वयं की तुलना उनसे करने लगते है और दु:खी हो जाते है. भगवान ने सबको अलग बनाया है और अलग गुण दिए हैं. हम उसका महत्व नहीं समझते और दु:ख के चक्र में फंस जाते हैं. इसलिए दूसरों के पास जो है, उसे देखकर जलने की बजाय हमें हमारे पास जो है, उसके साथ खुश रहना सीखना चाहिए. खुशी बाहर ढूंढने से नहीं मिलती, वह तो हमारे अंदर ही छिपी हुई होती है.


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