मित्रों, “hasty decision akbar birbal Story in hindi” में अकबर एक युवक को जल्दबाजी में निर्णय लेकर मौत की सजा सुना देते हैं. बीरबल कैसे उस युवक की जान बचाता है? यह जानने के लिए पढ़िये पूरी कहानी :
Hasty Decision Akbar Birbal
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एक दिन की बात है. बादशाह अकबर घोड़े पर सवार होकर आम के एक बगीचे से गुजर रहे थे. उनके साथ बीरबल, कुछ मंत्री और सैनिक थे. अचानक एक तीर सनसनाता हुआ उनके करीब से निकला और वे बाल-बाल बचे.
अकबर पर हुआ हमला देखा सैनिक हरक़त में आ गए और फ़ौरन उस दिशा में भागे, जहाँ से निशाना साधा गया था. तीर एक झुरमुट के पीछे से आया था. वहाँ पहुँचने पर सैनिकों को एक लड़का खड़ा दिखाई दिया. वे उसे पकड़कर अकबर के सामने ले आये.
अकबर स्वयं पर हुए हमले से बौखलाये हुए थे. उन्होंने लड़के से इसका कारण पूछा, तो लड़का बोला, “जहाँपनाह माफ़ कीजियेगा. मेरा इरादा आपको मारना नहीं था. मैंने तो बस उस पेड़ से आम तोड़ने के लिए तीर चलाया था. लेकिन मेरा निशाना चूक गया.” लड़के ने एक पेड़ की ओर इशारा किया.
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लड़के ने जानबूझकर ऐसा नहीं किया था. लेकिन अकबर बहुत क्रोधित थे. उनके चाटुकार मंत्रियों ने उन्हें भड़काना प्रारंभ किया कि चाहे जो भी कारण रहा हो, इससे बादशाह सलामत की मौत हो सकती थी. इंसाफ होना चाहिए. जैसे इसने आपको तीर-कमान से मारने का प्रयास किया, इसे भी वैसे ही मारना चाहिए.
अकबर ने मंत्रियों की सलाह मान लड़के को मौत की सजा सुना दी. लड़का गिड़गिड़ाने लगा, लेकिन अकबर ने उसकी एक ना सुनी. सैनिक उसे खींचकर एक आम के पेड़ के पास ले गए और उसे पेड़ के तने से बांध दिया. वे लड़के पर तीर से निशाना साधने लगे.
बीरबल यह सब देख रहा था. उसे अकबर का यह निर्णय उचित नहीं लगा. वह अकबर से बोला, “जहाँपनाह! क्या आपको सच में लगता है कि इस लड़के के साथ इंसाफ हो रहा है? यदि आप इसे इसके किये का फल देना चाहते हैं, तो इसके साथ वही करिये, जो इसने किया था. आप सैनिकों को आदेश दीजिये कि लड़के पर नहीं आम पर निशाना साधें. यदि तीर चूक कर लड़के को लग गया, तब इंसाफ होगा.”
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बीरबल की बात सुनकर अकबर को अहसास हुआ कि उन्होंने जल्दबाज़ी में निर्णय ले लिया है. उन्होंने लड़के को माफ़ कर दिया.
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