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हाथी, भालू और मधुमक्खी की कहानी | Hathi, Bhalu Aur Madhumakkhi Ki Kahani

हाथी, भालू और मधुमक्खी की कहानी (Hathi Bhalu Aur Madhumakkhi Ki Kahani) Elephant Bear And Honey Bee Story In Hindi इस पोस्ट में शेयर की जा रही है। ये कहानी एकता पर बल देती है।

Hathi Bhalu Aur Madhumakkhi Ki Kahani 

Hathi Bhalu Aur Madhumakkhi Ki Kahani 

एक घने जंगल में तीन अनोखे दोस्त रहते थे: हाथी, मधुमक्खी और भालू। ये तीनों अपनी-अपनी विशेषताओं और क्षमताओं के लिए जाने जाते थे। हाथी विशाल और शक्तिशाली था, मधुमक्खी छोटी लेकिन चतुर और मेहनती थी, और भालू तो मिठाई का शौकीन और हिम्मत वाला था।

गर्मियों का मौसम था और जंगल में हर तरफ हरियाली छाई हुई थी। पेड़ फलों से लदे हुए थे और फूलों की महक से पूरा जंगल महक रहा था। एक दिन जब तीनों दोस्त अपने पसंदीदा जगह पर आराम कर रहे थे, मधुमक्खी ने एक खबर दी, “दोस्तों, मैंने सुना है कि जंगल के दूसरे किनारे पर एक विशाल शहद का छत्ता है। वहाँ इतना शहद है कि हम सब मिलकर भी उसे खत्म नहीं कर सकते।”

भालू के कान खड़े हो गए। उसे शहद बहुत पसंद था। इस खबर ने उसे उत्साहित कर दिया। हाथी ने कहा, “यह तो बहुत अच्छी बात है। लेकिन हमें वहां तक पहुंचने के लिए बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।”

मधुमक्खी ने अपने पंख फड़फड़ाते हुए कहा, “चिंता मत करो मित्र। मेरे पास एक योजना है। हम सब मिलकर काम करेंगे और इस सफर को सफल बनाएंगे।”

अगले दिन सुबह तीनों दोस्तों ने सफर शुरू किया। सबसे पहले, उन्हें जंगल के घने हिस्से से गुजरना था, जहां रास्ता बंद था और बहुत सारे कांटे और झाड़ियाँ थीं। हाथी ने अपनी ताकत का इस्तेमाल किया और रास्ता साफ किया, जिससे  मधुमक्खी और भालू आराम से आगे बढ़ सके।

जब वे एक नदी के पास पहुंचे, तो मधुमक्खी ने तो उड़कर नदी पार कर ली। भालू पानी में जाने से दर रहा था। लेकिन जाती ने बिना सोचे-समझे नदी में कदम रखा और अपने विशाल शरीर से एक पुल बना दिया। भालू ने हाथी की पीठ पर चढ़कर नदी पार की।

अब उन्हें पहाड़ी चढ़नी थी। मधुमक्खी ने उड़ते हुए रास्ता दिखाया और हाथी तथा भालू ने धीरे-धीरे पहाड़ी पर चढ़ना शुरू किया। जब वे पहाड़ी के शीर्ष पर पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि वहां एक बहुत ही खतरनाक जानवर था – एक बाघ।

भालू ने हिम्मत जुटाई और बाघ से बात करने की कोशिश की। “हम यहां तुम्हारा कोई नुकसान नहीं करेंगे। हम सिर्फ शहद लेने आए हैं और फिर चले जाएंगे,” भालू ने कहा। बाघ ने कुछ देर सोचा और फिर कहा, “अगर तुम लोग मुझे एक हिस्सा दोगे, तो मैं तुम्हें जाने दूंगा।”

हाथी, मधुमक्खी और भालू ने सहमति व्यक्त की और बाघ के साथ शहद बांटने का वादा किया। बाघ ने उन्हें जाने दिया और वे अपने सफर पर आगे बढ़ गए।

अंततः, वे उस विशाल छत्ते के पास पहुंचे। छत्ता बहुत ऊंचाई पर था और वहाँ पहुँचने का कोई सीधा रास्ता नहीं था। मधुमक्खी ने अपने छोटे आकार और उड़ने की क्षमता का उपयोग करते हुए छत्ते तक पहुंचने का जिम्मा लिया। उसने शहद इकट्ठा किया और उसे धीरे-धीरे नीचे पहुंचाना शुरू किया।

हाथी और भालू ने नीचे शहद इकट्ठा किया और उसे बाघ के हिस्से के साथ-साथ अपने हिस्से में भी बांटा। जब उनका काम पूरा हो गया, तो उन्होंने देखा कि वहां इतना शहद बचा था कि वे उसे पूरी तरह से नहीं ले जा सकते थे। उन्होंने तय किया कि शेष शहद को वहीं छोड़ दें ताकि बाकी जंगल के जानवर भी इसका आनंद ले सकें।

जब वे वापस लौटे, तो बाघ ने अपने हिस्से का शहद लिया और कहा, “तुम लोग सच्चे दोस्त हो और तुम्हारी मेहनत की मैं कदर करता हूँ। अगर कभी तुम्हें मेरी जरूरत पड़े, तो मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ।”

तीनों दोस्तों ने धन्यवाद कहा और खुशी-खुशी अपने घर लौट आए। इस सफर ने उन्हें यह सिखाया कि सहयोग और एकता में ही असली ताकत होती है। 

इस प्रकार, हाथी, मधुमक्खी और भालू ने न सिर्फ शहद का मजा लिया, बल्कि अपनी दोस्ती को और मजबूत किया। वे हमेशा के लिए साथ रहे और जंगल में सभी जानवरों के बीच उनके सहयोग की मिसाल दी जाती रही।

सीख 

इस कहानी की सीख यह है कि जब हम मिलकर काम करते हैं, तो बड़ी से बड़ी चुनौतियों का सामना आसानी से कर सकते हैं। प्रत्येक व्यक्ति की अपनी विशेषताएँ और क्षमताएँ होती हैं, और जब हम एक-दूसरे की ताकत का सम्मान करते हैं और साथ मिलकर प्रयास करते हैं, तो हम सफलता प्राप्त कर सकते हैं। दोस्ती, सहयोग और एकता में ही असली शक्ति होती है। साथ ही, दूसरों के साथ मिल-बांटकर चलने से सबका भला होता है और समाज में समरसता और भाईचारे की भावना बढ़ती है।

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