घोड़ा और घोंघा की कहानी | Horse And Snail Story In Hindi | Ghoda Aur Ghongha Ki Kahani
Horse And Snail Story In Hindi
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हरे-भरे जंगल के पास एक सुंदर मैदान था जहाँ बहुत सारे जानवर रहते थे। इस मैदान में एक तेज दौड़ने वाला घोड़ा और कई धीमे चलने वाले घोंघे रहते थे। घोड़ा अपनी तेज रफ्तार और सुंदरता के लिए मशहूर था, जबकि घोंघे अपनी धीमी गति के कारण अक्सर मजाक का पात्र बनते थे।
एक दिन, घोड़ा घोंघों के पास आया और हंसते हुए बोला, “तुम्हारी चाल देखकर हंसी आती है। इतनी धीमी गति से तुम कभी किसी जगह पर समय पर नहीं पहुंच सकते।”
एक घोंघे ने मुस्कुराते हुए कहा, “तुम्हारी बात सही हो सकती है, लेकिन हमारी धीमी गति के बावजूद हम हमेशा अपने लक्ष्य तक पहुंच जाते हैं।”
घोड़े ने हंसते हुए कहा, “चलो, एक दौड़ लगाते हैं। अगर तुम जीत गए, तो मैं मान लूंगा कि धीमी चाल भी कामयाबी तक पहुंच सकती है।”
घोंघों ने आपस में बातचीत की और एक योजना बनाई। वे सभी थोड़ी-थोड़ी दूरी पर खड़े रहने का निर्णय लिया ताकि घोड़ा यह न समझ पाए कि वे अलग-अलग घोंघे हैं।
अगले दिन, जंगल के सभी जानवर इस अनोखी दौड़ को देखने के लिए इकट्ठा हुए। दौड़ शुरू होते ही घोड़ा बिजली की गति से दौड़ पड़ा, जबकि घोंघे अपनी धीमी चाल में ही आगे बढ़ने लगे।
घोड़ा बहुत आगे निकल गया और उसने सोचा कि घोंघे तो अभी बहुत पीछे हैं, थोड़ा आराम कर लिया जाए। वह एक पेड़ के नीचे आराम करने लगा और जल्दी ही गहरी नींद में सो गया।
इस बीच, घोंघों ने अपनी योजना के अनुसार रास्ते में थोड़ी-थोड़ी दूरी पर खड़े होना शुरू किया। जैसे ही घोड़ा जागा और दौड़ने लगा, उसने देखा कि एक घोंघा उससे आगे बढ़ चुका है। वह तेजी से दौड़ा और उस घोंघे को पार कर लिया, लेकिन कुछ ही दूरी पर उसे एक और घोंघा दिखा।
घोड़ा आश्चर्यचकित हुआ कि घोंघा इतनी तेजी से कैसे आगे बढ़ गया, लेकिन उसने ज्यादा ध्यान नहीं दिया और उसे भी पार कर लिया। इस प्रकार, हर कुछ दूरी पर उसे एक नया घोंघा मिलता रहा। घोड़ा जितनी भी तेजी से दौड़ता, वह हमेशा एक नए घोंघे को अपने आगे पाता।
अंततः, अंतिम घोंघा धीरे-धीरे रेखा के पास पहुंच गया और जीत की रेखा पार कर गया। जंगल के सभी जानवर घोंघों की चालाकी और उनकी योजना पर हैरान थे और उनकी प्रशंसा करने लगे।
घोड़ा हार स्वीकार कर घोंघों के पास आया और बोला, “तुमने मुझे सिखा दिया कि एकता, निरंतरता और धैर्य से ही सफलता मिलती है, चाहे गति कितनी भी धीमी क्यों न हो।”
एक घोंघे ने मुस्कुराते हुए कहा, “धन्यवाद! हमें कभी भी अपनी क्षमताओं को कम नहीं समझना चाहिए और अपने लक्ष्य की ओर निरंतर बढ़ते रहना चाहिए।”
घोड़ा और घोंघे अच्छे दोस्त बन गए और घोड़ा हमेशा इस बात का ध्यान रखता कि दूसरों की क्षमताओं का सम्मान करना चाहिए।
सीख
मेहनत, धैर्य और चतुराई से असली सफलता पाई जा सकती है।
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